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कुदरत का अचूक नुस्खा है पत्थरचट्टा, बीपी ही नहीं शुगर जैसी कई बीमारियों का है काल..यहां जानें फायदे


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Ambala News: भारत में आज भी लोग आयुर्वेद और देसी नुस्खों पर भरोसा करते हैं. ऐसी कई बीमारियों हैं जिनपर आयुर्वेद कारगर है.

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भारत एक प्राचीन देश है ओर यहां पर आयुर्वेद और देसी नुस्खों का खज़ाना इतना बड़ा है कि हर बीमारी का कोई न कोई घरेलू उपाय ज़रूर मिल जाता है.ऐसे में हम आपको पथरचट्टा के पौधे के बारे ने बताने जा रहे है जिसका घरेलू भी काफी ज्यादा फायदा होता.कई शहरों में इस पत्ते को लोग पत्थरचूर कहते हैं, और कहीं पानफटी या अमृत पत्ती भी कहते हैं.इसका नाम ही इसके सबसे बड़े काम को बता देता है – पत्थर चट्टा यानी पथरी को गलाने वाला पौधा.आयुर्वेद में पथरचट्टा का इस्तेमाल सदियों से होता आया है ओर इसके पत्ते रसदार, मोटे और हल्के खट्टे स्वाद वाले होते हैं. लोग इसे सीधे चबाते हैं या इसका रस निकालकर पीते हैं.

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पथरचट्टा का पत्ता चबाने या रस पीने से किडनी स्टोन धीरे-धीरे गलने और छोटे टुकड़ों में बाहर निकलने लगता है. यह पेशाब की जलन और रुकावट कम होती है और आयुर्वेद में इसे किडनी के लिए सबसे असरदार देसी नुस्ख़ा माना गया है.

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जिन लोगों को पेशाब रुक-रुककर आता है या जलन होती है, उनके लिए पथरचट्टा बहुत फायदेमंद है.
इसके रस में कूलिंग इफ़ेक्ट होता है जो पेशाब को साफ़ और आरामदायक बनाता है.

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ज्यादा मसालेदार या गरम चीजें खाने से पेट में जलन हो जाती है. पथरचट्टा पत्ती का रस या चाय पीने से पेट की गर्मी शांत हो जाती है.

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पत्तियों का रस हल्का गुनगुना करके शहद में मिलाकर लेने से खाँसी और गले की खराश ठीक होती है. बच्चों में भी हल्की-फुल्की खाँसी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.

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पत्तों को पीसकर लेप बनाया जाए तो सूजन, जलन और छोटे-छोटे घाव भरने में मदद करता है. इसमें मौजूद प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल गुण घाव जल्दी भरते हैं.

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एक रिसर्च के मुताबिक पथरचट्टा का नियमित सेवन हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायक होता है.
ये ब्लड को पतला रखता है और नसों में जमे दबाव को कम करता है.

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1. पत्ता सीधे चबाकर
1–2 ताजे पत्ते धोकर अच्छी तरह चबाएं,
दिन में एक बार खाना खाने के बाद लें.
इससे किडनी स्टोन गलना शुरू होता है.
रस निकालकर 3–4 पत्ते पीसकर रस निकाल लें.
2 .
2–3 चम्मच रस को पानी में मिलाकर पिएं.
पेशाब साफ़ होगा और पथरी धीरे-धीरे टूटने लगेगी.
3. काढ़ा बनाकर
4–5 पत्ते उबालकर आधा पानी रह जाने तक पकाएं।
छानकर हल्का गुनगुना काढ़ा सुबह-शाम पिएं.
ये तरीका खासकर पेट की गर्मी और पेशाब की जलन के लिए बेहतर है.
4. लेप बनाकर
पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें.सूजन या चोट वाली जगह पर लगाएं.दर्द और सूजन कम हो जाएगी।

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ज़्यादा मात्रा में पत्ता न खाएं, वरना पेट ख़राब हो सकता है.
गर्भवती महिलाएँ और छोटे बच्चे बिना डॉक्टर की सलाह न लें.अगर पथरी बड़ी है या बार-बार दर्द होता है तो सिर्फ़ पथरचट्टा पर निर्भर न रहें.
एलर्जी वाले लोगों को पहले थोड़ी मात्रा ट्राय करनी चाहिए.पथरचट्टा घरेलू नुस्ख़ा है, लेकिन गंभीर बीमारी में डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है.

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कुदरत का अचूक नुस्खा है पत्थरचट्टा, बीपी ही नहीं कई बीमारियों का है काल


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