Cancer Causing Things in Home: कैंसर आज भी पूरी दुनिया के लिए संकट बना हुआ है. कैंसर के लिए कई तरह के इलाज आ गए हैं लेकिन अब भी आखिरी स्टेज में पता चलने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है. कैंसर को मुख्य रूप से शराब, सिगरेट और जीन से जोड़ा जाता है लेकिन घर में भी कई ऐसे सामान होते हैं जो कैंसर फैलाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. हमारे खान-पान में बहुत से ऐसे आइटम होते हैं जो कैंसरकारक होते हैं. आइए पहले ये जानते हैं कि कौन-कौन से घर के आइटम कैंसर कारक हो सकते हैं.
इन 10 चीजों से रहें दूर
1.रिफ़ाइंड शुगर –
टीओआई की खबर के मुताबिक मिठास में छुपा ज़हर: सफेद चीनी सीधे कैंसर का कारण नहीं है लेकिन यह शरीर में इंसुलिन को तेजी से बढ़ाती है. इससे सूजन बढ़ती है और कोशिकाओं को खराब करने लगती है. यह कोशिकाओं को असामान्य और अनियंत्रित तरीके से बढ़ने का माहौल देती है. यही कैंसर कोशिकाओं के लिए अनुकूल ज़मीन तैयार करता है.
2. आर्टिफ़िशियल स्वीटनर – डाइट-फ्रेंडली या खतरनाक: बाज़ार में बिकने वाले एस्पार्टेम और सैकरीन जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर कैंसर कारक होते हैं. जानवरों पर हुई स्टडी में पाया गया है कि स्वीटनर कैंसर से सीधे जुड़ा हुआ है.हालांकि इंसानों पर अभी पुख़्ता सबूत नहीं हैं लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़कर ख़तरे को बढ़ाता है. आइस्क्रीम, चॉकलेट, कैंडी आदि में स्वीटनर का ही इस्तेमाल किया जाता है.
3. सोडा – मीठे बुलबुले, जहरीले असर: कार्बोनेटेड ड्रिंक्स यानी सोडा में भरपूर आर्टिफिशियल स्वीटर या चीनी और केमिकल ऐडिटिव्स होते हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाला कारमेल कलर 4-MEI नामक रसायन से बनाया जाता है जिसे संभावित कैंसरकारी माना गया है. शक्कर और अम्लीय तत्व इसे और अधिक जोखिम भरा बना देते हैं.
4. प्लास्टिक में मौजूद BPA –हॉर्मोन का जाल : बिस्फेनॉल A (BPA), जो प्लास्टिक और डिब्बाबंद खाने की कोटिंग में मिलाया जाता है, शरीर में हॉर्मोन की नकल करता है. यह कोशिकाओं के सिग्नलिंग सिस्टम को बाधित करता है और लंबे समय में ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.
5. ज़्यादा शराब – WHO का साफ़ संदेश: WHO ने शराब को ग्रुप-1 कार्सिनोजेन घोषित किया है,जिसका मतलब है कि यह इंसानों में निश्चित रूप से कैंसर पैदा करती है. शराब शरीर में जाकर एसिटैल्डिहाइड नामक ज़हरीले यौगिक में बदलती है, जो DNA को नुकसान पहुंचाता है. इसका सीधा संबंध मुंह, आंत और ब्रेस्ट कैंसर से है.
6. माइक्रोवेव फूड –गरमी से ज़्यादा पैकेजिंग का ख़तरा : ख़तरा माइक्रोवेव से निकलने वाले रेज से नहीं है बल्कि उसमें पकाए जाने वाले रेडी-टू-हीट फूड से है. इनमें ज़्यादा प्रिज़र्वेटिव्स, नमक और नकली फ्लेवर पाए जाते हैं. अगर इन्हें प्लास्टिक कंटेनर में गरम किया जाए तो फ़्थेलेट्स जैसे केमिकल खाने में घुल सकते हैं. यह कैंसरकारी साबित हो सकते हैं.
7. प्रोसेस्ड मीट – स्वाद के पीछे छुपा हानिकारक सच : रेड मीट कैंसर कारक हो सकते हैं. सॉसेज, बेकन और सलामी जैसे प्रोसेस्ड मीट में नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स मिलाए जाते हैं. पकाने पर ये नाइट्रोसामिन में बदलकर शरीर में कैंसरकारी असर डालते हैं. WHO ने इन्हें ग्रुप-1 कार्सिनोजेन में रखा है, यानी इनका खतरा तंबाकू और एस्बेस्टस जितना माना गया है.
8. नॉन-ऑर्गेनिक डेयरी –हॉर्मोन का असंतुलन: औद्योगिक स्तर पर बने दूध और डेयरी उत्पादों में हॉर्मोन और ऐंटिबायोटिक के अंश हो सकते हैं. इनका सेवन लंबी अवधि में इंसानों में हॉर्मोनल संतुलन बिगाड़कर हॉर्मोन-निर्भर कैंसर, जैसे ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.
9. GMO फूड – खेत से थाली तक का रिस्क: जीन-संशोधित फसलों (GMO) को कीट और खरपतवार रोधी बनाने के लिए ग्लाइफोसेट जैसे रसायन इस्तेमाल होते हैं. अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) ने ग्लाइफोसेट को कैंसरकारी कहा है. लंबे समय तक इनका सेवन शरीर पर असर डाल सकता है.
10. फार्म्ड सीफ़ूड –सागर जैसा प्राकृतिक नहीं: फार्मिंग की गई मछलियों, जैसे सैल्मन को आकर्षक बनाने के लिए ऐंटिबायोटिक्स, कीटनाशक और कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल होता है. ये केमिकल धीरे-धीरे शरीर में जमकर कैंसरकारी असर डाल सकते हैं.
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