Saturday, September 27, 2025
26 C
Surat

जब आप नहीं रहेंगे! आपकी आंखों से दुनिया देखेंगे लोग… जरा सोच के देखिए\ eye donation cornea transplant to prevent blindness in india aiims rp centre


Why Eye donation is needed: जरा सोचकर देखिए कि जब आप या आपके सगे-संबंधी इस दुनिया में नहीं होंगे, लेकिन उनकी आंखें यहां होंगी और ये आंखें उन लोगों की दुनिया को रोशन कर रही होंगी जिनके जीवन में अंधेरे के सिवा कुछ न था. वे इन्हीं आंखों से अपनी मां, अपने बच्चों का चेहरा देखेंगे. उस खुशी का क्या कोई मोल होगा? शायद नहीं! लेकिन ऐसा होना तभी संभव है जब कि आप नेत्रदान के महत्व को समझें, आई डोनेशन को लेकर फैली भ्रंतियों को मिटा दें और मृत्यु के बाद हर कीमत पर अपनी आंखों के दान के लिए खुद को तैयार कर लें.

एम्‍स स्‍थि‍त देश के सबसे बड़े आई सेंटर डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की चीफ डॉ. राधिका टंडन कहती हैं कि आपके द्वारा डोनेट की गई आंखें 6 लोगों की जिंदगी में प्रकाश ला सकती हैं, यह ऐसा काम है जो आपकी मृत्यु के बाद होना है और कई जिंदगियां संभल सकती हैं लेकिन इसके लिए आई डोनेशन और कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन को लेकर लोगों में फैली बहुत सी भ्रांतियों को मिटाने की जरूरत है. लोगों को लगता है कि डॉक्टर आंख निकाल लेंगे और इससे अवैध गतिविधियां हो सकती हैं या आंखों की तस्करी हो सकती है. जबकि ऐसा नहीं है.

ऑनलाइन गेमिंग की 3 वास्तविक कहानियां, कैसे बर्बाद की दुनिया? अब ढो रहे…

नेत्रदान पखवाड़ा में आई डोनेशन का महत्‍व बताते एम्‍स के आरपी सेंटर के एक्‍सपर्ट्स
नेत्रदान पखवाड़ा में आई डोनेशन का महत्‍व बताते एम्‍स के आरपी सेंटर के एक्‍सपर्ट्स

कॉर्निया सिर्फ मृत्यु के बाद ही दान किया जा सकता है और यह बहुत पारदर्शी प्रक्रिया है. जब अस्पतालों या आई बैंक के द्वारा किसी व्यक्ति की आंख ली जाती है तो उसे प्रोसेस करके सबसे योग्य और सटीक मरीज को लगाया जाता है. ताकि लोग कॉर्नियल बीमारियों से अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं, उन्हें उनकी रोशनी वापस मिल सके. वे फिर से देख सकें. यही वजह है कि भारत सरकार भी नेत्रदान को बढ़ावा दे रही है.

ये है सबसे बड़ी मदद, दूर करें ये भ्रम
डॉ. कहती हैं कि जो भी व्यक्ति आई डोनेशन का संकल्प करता है, उन्हें समझना चाहिए कि उन्होंने इंसानियत की ये सबसे बड़ी मदद की है. इससे ज्यादा खुशी की बात नहीं हो सकती. बहुत सारे लोगों को लगता है कि मृत्यु के बाद आंख दान करने से चेहरा क्षतिग्रस्त हो जाएगा या देखने लायक नहीं रहेगा, तो इस भ्रम को भी दूर करने की जरूरत है. जब भी कॉर्निया लिया जाता है तो पूरी आंख नहीं निकाली जाती, बल्कि आंख की सबसे सामने की कुछ लेयर्स निकाली जाती हैं, या कहें कि आंख का बस कॉर्निया निकाला जाता है, और जब यह निकाल लिया जाता है तो आंख पहले की तरह ही रहती है, कोई भी अंतर नहीं आता है.

आरपी सेंटर, एम्स कर रहा बड़ा काम
एम्स स्थित नेशनल आई बैंक की चेयरपर्सन डॉ.नम्रता शर्मा ने बताया कि पिछले 60 सालों में आई बैंक में 36,000 से ज्यादा कॉर्निया इकट्ठा किए गए हैं और 26,000 से ज्यादा मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाई जा चुकी है. साल 2024 में 1,931 कॉर्निया इकट्ठा किए गए, जिनमें से 1,611 अस्पताल से ही लिए गए थे. यह 83% हिस्सा है. आई डोनेशन और कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट के लिए एम्स दिल्ली का HCRP प्रोग्राम बहुत सफल रहा है.

कॉर्निया के लिए कभी नहीं करते मना
डॉ. नम्रता कहती हैं कि जब भी कोई व्यक्ति आई डोनेशन के लिए कहता है तो किसी को भी मना नहीं किया जाता. कोई भी उम्र हो, किसी भी तरह मृत्यु हुई हो, हर किसी का कॉर्निया लिया जाता है. ये अलग बात है कि इनमें से सभी कॉर्नियां मरीजों में ट्रांसप्लांट नहीं हो पाते क्योंकि कुछ कमियां भी उनमें होती हैं. हालांकि एम्स में 80 फीसदी कॉर्निया को कहीं न कहीं मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बाकी बचे कॉर्निया को मेडिकल कॉलेज में एजुकेशनल प्रयोगों में इस्तेमाल कर लिया जाता है.

नेत्रदान को बढ़ाने की जरूरत है
डॉ. राजेश सिन्हा बताते हैं कि RP सेंटर कॉर्निया इन्फेक्शन और जटिल केसों का भी इलाज करता है. 2024 में 821 गंभीर मरीजों की सर्जरी की गई है. पिछले 6 सालों से एम्स में हर साल 1000 से ज्यादा कॉर्निया प्रत्यारोपण किए जा रहे हैं. हालांकि कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों की संख्या ज्यादा है इसके लिए नेत्रदान को बढ़ाने की जरूरत है.

वहीं आई सर्जन डॉ. न्यूवेट लोमी ने बताया कि अस्पताल में आने वाले मोतियाबिंद या अन्य कॉर्नियल बीमारियों के मरीजों की सर्जरी के लिए अब नई तकनीक (DMEK) से बिना टांके के कॉर्निया प्रत्यारोपण किया जाता है जिससे मरीज जल्दी ठीक होता है.

ड्रोन की मदद से आया कॉर्निया
इस साल पहली बार एम्स में ड्रोन की मदद से कॉर्निया लाने का प्रयोग किया गया था. इससे न केवल समय बचा बल्कि ज्यादा टिशू भी इस्तेमाल किया जा सका. एसपर्ट्स ने बताया कि रेमेड कंपनी की मदद से बच्चों के लिए विशेष सर्जरी (Pediatric Keratoplasty) के लिए टिशू इकट्ठा किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली और NCR के सरकारी अस्पतालों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा नेत्रदान हो सके.

बता दें कि डोनर कॉर्निया पर निर्भरता कम करने के लिए आर्टिफिशियल (biosynthetic) कॉर्निया और अन्य विकल्पों पर भी काम हो रहा है.IIT दिल्ली के साथ मिलकर बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया भी बनाया जा रहा है, जो इमरजेंसी स्थितियों में इस्तेमाल किया जाएगा.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-eye-donation-for-corneal-transplant-to-prevent-blindness-in-india-netradan-mahadan-kyo-zaruri-by-rp-centre-aiims-experts-ws-kl-9578031.html

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img