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Korba News: चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ शशिकांत भास्कर ने Bharat.one से बातचीत में कहा कि निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है. इस वजह से फेफड़ों में सूजन और तरल पदार्थ जमा हो जाता है. निमोनिया के सामान्य लक्षण तेज बुखार, ठंड लगना, खांसी- जिसमें कभी-कभी खून भी आ सकता है, सांस लेने में तकलीफ और अत्यधिक थकान हैं.
कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पारा गिरने के साथ ही ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. सर्द हवाओं के चलते खासकर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है. स्व. बिसाहुदास महंत स्मृति नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा में इन दिनों हर दिन औसतन 10 निमोनिया के मामले दर्ज किए जा रहे हैं. अस्पतालों में पहुंच रहे ज्यादातर बच्चे बुखार, खांसी-जुकाम की शिकायत लेकर आते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में परिजन अक्सर यह नहीं समझ पाते कि उनका बच्चा निमोनिया की चपेट में आ गया है. निमोनिया के शुरुआती लक्षण तेज बुखार, खांसी-जुकाम और सांस लेने में तकलीफ के रूप में दिखते हैं. बड़े लोगों में सांस फूलने से बेचैनी बनी रहती है. शिशुओं में मां का दूध न पी पाना इसका एक महत्वपूर्ण लक्षण है क्योंकि सांस लेने में दिक्कत के कारण वे दूध नहीं पी पाते. डॉक्टरों का कहना है कि समय पर लक्षणों की पहचान कर ली जाए, तो बिना भर्ती किए भी बच्चे स्वस्थ हो सकते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर में लंबे समय तक रहने वाला बुखार निमोनिया का कारण बन सकता है. खासकर कोरोना काल के बाद से इस तरह के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसका शिकार मुख्य रूप से बच्चे और बुजुर्ग हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीडियाट्रिक, मेडिसिन और सांस-छाती रोग विभाग में हर दिन औसतन 10 से ज्यादा निमोनिया के केस सामने आ रहे हैं, जिनमें से 20-30 प्रतिशत मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है. कई बार बुखार पर ध्यान न देने के कारण मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं, जहां ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ता है.
स्व. बिसाहुदास महंत स्मृति नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा सह जिला चिकित्सालय के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ शशिकांत भास्कर ने Bharat.one को बताया कि निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है, जिससे फेफड़ों में सूजन और तरल पदार्थ जमा हो जाता है. निमोनिया के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, खांसी- जिसमें कभी-कभी खून भी आ सकता है, ठंड लगना, सांस लेने में तकलीफ और अत्यधिक थकान शामिल हैं. इसके अलावा सीने में दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मितली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. बच्चों में सांस लेने में परेशानी और छाती का धंसना (पसलियों का अंदर जाना) भी निमोनिया का एक महत्वपूर्ण संकेत है.
निमोनिया से बचाव को वैक्सीनेशन भी अनिवार्य
शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके वर्मा ने बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि बच्चों को ठंड या ठंडी हवा लगने से बचाना चाहिए. गर्म कपड़े पहनाकर रखें. रात में सफर करने से बचें और पांच साल तक के बच्चों को खासकर ठंडी जगह से दूर रखें. डॉ वर्मा ने निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को भी अनिवार्य बताया.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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