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Khargone News: डॉ हेमंत रोकड़े Bharat.one को बताते हैं कि असली देसी अंडा साइज में छोटा लेकिन भारी होता है जबकि नकली अंडा बड़ा और हल्का होता है. असली देसी अंडे की परत मोटी और मजबूत होती है. वहीं नकली अंडे की परत पतली और मुलायम होती है.
खरगोन. नॉनवेज खाने वालों के लिए देसी अंडा ठंड के मौसम में ताकत, गर्माहट और ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत माना जाता है. प्रोटीन, विटामिन A, E, K और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होने के कारण यह शरीर को बीमारियों से बचाने में बड़ी भूमिका निभाता है. यही वजह है कि इन दिनों मध्य प्रदेश के खरगोन सहित ग्रामीण क्षेत्रों में देसी अंडों की मांग तेज हो गई है. आदिवासी इलाकों में कई लोग देसी अंडों की दुकान लगाए हुए देखे जा रहे हैं. बढ़ती मांग के चलते प्रति व्यक्ति दिनभर में 40 से 50 अंडे बेच देता है. पशु चिकित्सक डॉ खेमंद्र रोडके के अनुसार, देसी अंडों की तासीर गर्म होती है, जिससे सर्द मौसम में शरीर को प्राकृतिक गर्माहट मिलती है. इन अंडों में मौजूद उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. वहीं जिंक और फास्फोरस रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. इनमें मौजूद विटामिन D और कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देते हैं, जो खासकर ठंड में होने वाले जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में सहायक है. ओमेगा-3 फैटी एसिड दिमाग की कोशिकाओं को पोषण देकर मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है.
सर्दियों में देसी अंडा खाने के कई स्वादिष्ट और पौष्टिक तरीके हैं. देसी घी में बनी अंडा भुर्जी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है, जो शरीर को अतिरिक्त गर्मी देती है. ग्रामीणों क्षेत्रों में सूर्योदय के पहले छोटे बच्चों को देसी घी में अंडा और शक्कर मिलाकर मीठी भुर्जी भी खिलाई जाती है जबकि कई लोग कच्चा अंडा भी पीते हैं. इसके बाद उसी अंडे जितनी मात्रा में घी पीते हैं. कुछ लोग दूध में अंडा फोड़कर एग मिल्क पीते हैं, जो ठंड में तुरंत ऊर्जा देता है. वहीं कुछ लोग देसी घी में बना ऑमलेट भी खाना पसंद करते हैं. आप चाहें तो उबला अंडा, एग फ्राई, एग करी, एग रोल और एग चिली के रूप में भी इसका सेवन कर सकते हैं.
देसी मुर्गी और मीनार के अंडे में फर्क?
विशेषज्ञ बताते हैं कि देसी अंडे और मीनार (लेयर) मुर्गी के सफेद अंडों में भी बड़ा अंतर होता है. देसी मुर्गियां खुले वातावरण में विचरण करते हुए दाने और प्राकृतिक भोजन खाती हैं, जिससे इनके अंडों में पोषण अधिक होता है. देसी अंडे आकार में छोटे लेकिन वजन में भारी होते हैं और इनका पीला हिस्सा गहरा रंग लिए होता है. स्वाद भी हल्का खारा और ज्यादा पौष्टिक माना जाता है. वहीं मीनार मुर्गी के सफेद अंडे आकार में बड़े लेकिन हल्के होते हैं. इनका यॉक हल्का पीला होता है और पोषक तत्व भी अपेक्षाकृत कम पाए जाते हैं लेकिन कई बार सही पहचान नहीं होने से लोग देसी की जगह मीनार के अंडे ले आते हैं.
असली और नकली अंडों की पहचान
यही वजह है कि ठंड के दिनों में अधिक मांग के चलते बाजार में नकली देसी अंडों की सप्लाई भी बढ़ जाती है. डॉ हेमंत रोकड़े बताते हैं कि असली देसी अंडा आकार में छोटा लेकिन भारी होता है जबकि नकली बड़ा और हल्का होता है. असली अंडे की परत मोटी और मजबूत होती है जबकि नकली की परत पतली और मुलायम होती है. नकली अंडों को घिसने पर रंग उतर जाता है. असली अंडे पर चमक नहीं होती जबकि नकली अंडे ज्यादा चमकीले दिखते हैं.
खरगोन के ग्रामीण विक्रेता बताते हैं कि ठंड के दिनों में देसी अंडों की मांग दोगुनी हो जाती है. दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से आए एक विक्रेता ने बताया कि वह 30 से 40 देसी मुर्गियां पालते हैं, जिनसे मिलने वाले अंडे वह शहर में बेचने आते हैं. रोज 40–50 अंडे बिकते हैं. 12 से 15 रुपये का एक अंडा बिक रहा है, जिससे दिनभर में 500 से 600 रुपये की कमाई हो जाती है. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक तरीके से पाली गई मुर्गियों के कारण असली देसी अंडे आसानी से मिल जाते हैं लेकिन शहरों में खरीदते समय पहचान कर लेना जरूरी है.
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राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
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