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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही नवजात शिशु की देखभाल और भी जरूरी हो जाती है. ठंड के कारण बच्चे जल्दी बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए कुछ खास सावधानियां अपनाना बेहद अहम है. इसके लिए एक्सपर्ट ने खास सलाह दी है.
अलीगढ़: सर्दियों का मौसम आते ही नवजात शिशुओं की देखभाल पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो जाती है. ठंड का असर छोटे बच्चों पर जल्दी पड़ता है, इसलिए उन्हें सुरक्षित, गर्म और स्वस्थ रखना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है. सही सावधानियां अपनाकर न केवल बच्चे को सर्दी-जुकाम से बचाया जा सकता है, बल्कि उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत की जा सकती है. आइए बाल रोग विशेषज्ञ से जानते हैं कि सर्दियों में बच्चों का कैसे ख्याल रखें.
जानकारी देते हुए अलीगढ़ के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदीप बंसल ने Bharat.one को बताया कि सर्दियों का मौसम शुरू होते ही नवजात शिशु की देखभाल और भी जरूरी हो जाती है. ठंड के कारण बच्चे जल्दी बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए कुछ खास सावधानियां अपनाना बेहद अहम है. सबसे पहले, नवजात शिशु को हल्के लेकिन गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दें, ताकि शरीर का तापमान संतुलित रहे. ठंडी हवा से बचाने के लिए बच्चे को अच्छी तरह ढककर रखें, लेकिन ओवर-ड्रेसिंग भी न करें.
नवजात के लिए क्या होगा सबसे असरदार?
डॉ. प्रदीप बंसल कहते हैं कि नवजात को किसी भी तरह की बीमारी से बचाने का सबसे असरदार तरीका है मां का दूध. मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उसे ठंड, खांसी, सर्दी-जुकाम जैसे संक्रमणों से बचाता है. इसलिए स्तनपान बिल्कुल बंद न करें. शुरुआती छह महीने तक केवल मां का दूध ही पर्याप्त है. घर का वातावरण भी स्वच्छ और सुरक्षित होना चाहिए.
उन्होंने बताया कि घर के अंदर किसी को भी बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू या गुटखे का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका धुआं बच्चे की सांस पर सीधा असर डालता है. अगर घर में किसी बड़े को खांसी या जुकाम हो तो वह बच्चे के पास जाते समय मास्क जरूर पहनें. बच्चे को बार-बार पुच्ची या किस न करें, इससे कीटाणु बच्चे तक पहुंच सकते हैं.
समय पर कराएं बच्चे का टीकाकरण
डॉ. बंसल ने कहा कि सर्दियों में नवजात के लिए सुबह की हल्की धूप बहुत फायदेमंद होती है. तेज धूप निकले तो कुछ देर के लिए बच्चे को धूप दिखाना उसकी सेहत के लिए अच्छा है. इससे विटामिन-डी मिलता है और शरीर की गर्मी भी नियंत्रित रहती है. साथ ही बच्चे का टीकाकरण समय पर कराना बहुत जरूरी है. नजदीकी चिकित्सक या स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर सभी टीके नियम से लगवाएं, इससे कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है.
अगर बच्चा छह महीने से छोटा है तो मां का दूध ही पिलाएं. किसी भी तरह का फार्मूला या जानवर का दूध देने से बचें. छह महीने के बाद धीरे-धीरे पूरक आहार जैसे दाल का पानी, चावल का पानी, मैश की हुई खिचड़ी, दलिया और फलों का रस थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देना शुरू किया जा सकता है. शुरुआत के छह महीने तक मां का दूध बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित और पौष्टिक आहार है.
आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.
आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-take-care-of-newborn-baby-winter-doctor-told-important-tips-and-precautions-local18-9852146.html
