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डेंगू-मलेरिया में अधि‍कांश लोग करते हैं ये गलती! और अस्‍पताल पहुंच जाता है मरीज, एक्‍सपर्ट ने दी सलाह dengue malaria chikungunya patient care tips


Dengue- malaria Mistakes: हर साल बारिश के मौसम के बाद अस्पतालों और क्लिनिकों में मरीजों की बाढ़ आ जाती है. ये ज्यादातर केसेज डेंगू, मलेरिया और कई बार चिकनगुनिया बुखार के होते हैं. मच्छरों की वजह से होने वाली इन बीमारियों के ज़्यादातर मरीज डॉक्टरों के पास तेज़ बुखार की शिकायत लेकर आते हैं और उनका पूरा फोकस बुखार उतारने पर होता है लेकिन डॉक्टरों की मानें तो असली समस्या तेज बुखार नहीं, बल्कि कुछ और होती है, जिस पर लोगों का ध्यान ही नहीं जाता और मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाती है.

जाने माने कंसल्टेंट डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. मनोज चावला कहते हैं कि असली खतरा शरीर में पानी और नमक की कमी यानी डिहाइड्रेशन होता है जो बीमारी से उबरने में देरी करता है. कई मरीजों में उल्टी या दस्त नहीं होते, फिर भी शरीर के अंदर पानी और जरूरी लवण (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड) की कमी हो जाती है.घर वाले और मरीज अक्सर सिर्फ बुखार कम करने की कोशिश करते हैं, जबकि शरीर चुपचाप इस कमी से जूझ रहा होता है.

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क्यों होता है डिहाइड्रेशन?
डॉ. चावला कहते हैं कि डेंगू में बुखार और थकान के साथ शरीर से तरल बाहर निकलता है. कई बार बुखार उतरने के बाद मरीज की हालत अचानक बिगड़ जाती है क्योंकि उस समय ब्लड प्रेशर गिरने और शॉक का खतरा बढ़ जाता है. वहीं मलेरिया में बार-बार तेज बुखार, पसीना और कंपकंपी पानी और नमक की कमी कर देते हैं. जबकि चिकनगुनिया लंबे समय तक भूख और कमजोरी के कारण शरीर को डिहाइड्रेट कर देता है.

थकान और चक्कर – सिर्फ़ कमज़ोरी नहीं
अक्सर लोगों को लगता है कि बुखार के बाद थकान, चक्कर या लो ब्लड प्रेशर सामान्य होते हैं लेकिन यह डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकता है. अगर बीमारी के दौरान सही तरह से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई नहीं की जाती तो बच्चों और बुज़ुर्गों में यह गंभीर रूप ले सकता है.

सिर्फ पानी क्यों नहीं है काफी
हालांकि शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए सिर्फ पानी काफी नहीं है. बुखार में शरीर केवल पानी ही नहीं, बल्कि जरूरी लवण और ऊर्जा भी खोता है. ऐसे में सिर्फ पानी पीना काफी नहीं है. नींबू पानी या घर पर बनाई गई ग्लूकोज़ ड्रिंक थोड़ी मदद कर सकती है, लेकिन इनमें अक्सर अनुपात सही नहीं होता, जिससे असर कम हो जाता है. सही तरीका है ऐसे पेय जिनमें पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स और थोड़ी ऊर्जा संतुलित मात्रा में हो.

डॉक्टर की सलाह
डॉ. मनोज चावला कहते हैं, ‘हमें सिर्फ बुखार कम करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए. असली लक्ष्य होना चाहिए मरीज की पूरी रिकवरी. इसके लिए जरूरी है कि मरीजों को समझाया जाए कि बुखार के दौरान पानी पीना ही काफी नहीं है. उन्हें ऐसे पेय लेने चाहिए जिनमें इलेक्ट्रोलाइट्स और ऊर्जा भी हों.

जैसे दस्त के इलाज में WHO-ORS को मानक माना जाता है, वैसे ही डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे बुखारों में भी वैज्ञानिक तरीके से तैयार इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स को अपनाना चाहिए. इनमें नारियल पानी, नीबू पानी, छाछ, अनार-तरबूज आदि फलों के घर पर निकाले हुए जूस आदि फायदा पहुंचा सकते हैं.

वे कहते हैं कि बुखार तो दिखाई देता है लेकिन डिहाइड्रेशन छुपा हुआ बड़ा खतरा है. अगर हमें मरीजों को जल्दी ठीक करना है और अस्पताल में भर्ती से बचाना है, तो बुखार के इलाज में हाइड्रेशन को भी उतनी ही अहमियत देनी होगी जितनी दवा को. वैज्ञानिक रूप से थकान सिर्फ बुखार से नहीं आती, बल्कि उस कमी से भी आती है जो बुखार शरीर से खींच लेता है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-not-fever-but-water-salt-electrolyte-shortage-worsen-patients-condition-in-dengue-malaria-and-chikungunya-doctor-advices-ws-kl-9605242.html

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