व्रत या उपवास करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि इससे मन-मस्तिष्क तो तरोताजा होता ही है, शरीर की भी शुद्धि हो जाती है. विषैले पदार्थ बाहर हो जाते हैं. यही वजह है कि नवरात्रि में बहुत सारे लोग लगातार 8 दिन तक, अन्न छोड़कर उपवास करते हैं और व्रत का खाना ही खाते हैं लेकिन अगर आप सोचते हैं कि व्रत के इन दिनों में स्वादिष्ट व्यंजनों से भर-भर के व्रत की थाली, आलू, खीर, कुट्टू के पकौड़े आदि दबाकर खाए जाएं क्योंकि यह व्रत के लिए हैं इसलिए सेहत को फायदा ही पहुंचाएंगे तो आप गलत हो सकते हैं. आयुर्वेद में व्रत में फलाहार के लिए अलग नियम हैं और अगर आपने इन्हें फॉलो कर लिया, तो नवरात्रि के इन दिनों में आपका चेहरा और आपकी सेहत दोनों चमक जाएंगे.
राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के सदस्य और जाने-माने आयुर्वेदाचार्य, वैद्य अच्युत त्रिपाठी बताते हैं कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, उनमें जीवनी शक्ति बढ़ जाती है और कैंसर के वायरस भी खत्म होते देखे गए हैं. उपवास रखने से लिवर और आंतों को आराम मिलता है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी चीजों की वृद्धि नहीं होती. शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. हालांकि उपवास रखते समय क्या खाना है, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है.
ये भी पढ़ें
व्रत में कब और कितनी बार खाना चाहिए, एक बार फलाहार करने से घटता है वजन? डाइटीशियन से जानें
आयुर्वेद में क्या है बेस्ट फलाहार
वैद्य त्रिपाठी बताते हैं कि भारत में चूंकि अनेक प्रदेश हैं, और उनका खानपान सभी का अलग है. ऐसे में उपवास में भी खाने की बहुत सारी चीजें हैं. बुंदेलखंड के इलाके में लोग नवरात्रि के व्रतों में नमक भी नहीं लेते. जबकि पश्चिमी प्रदेश और पूर्वांचल में कुट्टू की पकौड़ी, आलू, साबूदाना आदि पर ज्यादा जोर रहता है. वहीं कई अन्य जगहों पर पारंपरिक भोजन किया जाता है.
जहां तक आयुर्वेद की बात है तो सबसे पहले तो यहां उपवास के लिए लंघनम की बात कही गई है. यानि कि कम से कम दिन के कुछ प्रहर भूखे रहिए. जहां तक सबसे उत्तम फलाहार की बात है तो नवरात्रि के इन दिनों में व्रत में अगर कोई व्यक्ति साधारण समां के चावल की खिचड़ी और दही का सेवन करता है, या फिर सिंघाड़े के आटे से बने हलवे को दही के साथ खाता है तो ये दोनों ही कॉम्बिनेशन स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम हैं. दही जीवनी शक्ति बढ़ाता है. हालांकि यह ठंडा भी होता है ऐसे में गठिया, दर्द या वात आदि बीमारियों से जूझ रहे कुछ लोगों को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए. जबकि प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर सिंघाड़े का आटा और समां के चावल की खिचड़ी का कोई नुकसान नहीं है, यह मिलेट है, हल्का और सुपाच्य है और फायदेमंद है.
लोगों को इन व्रतों में लगातार साबूदाना की खिचड़ी खाने से बचना चाहिए, खासतौर पर जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है, पेट खराब रहता है, उन्हें साबूदाना नहीं खाना चाहिए.
सभी इस बात का ध्यान रखें
वैद्य त्रिपाठी कहते हैं कि व्रत के लिए भी तमाम तरह के फलाहार आज मौजूद हैं लेकिन अगर कोई पूरे नवरात्र व्रत रख रहा है तो उसे अपनी प्रकृति के अनुसार व्रत में खाए जाने वाली चीजों का चुनाव करना चाहिए. ताकि व्रत के बाद उसका शरीर फिर से नई ऊर्जा के साथ काम करना शुरू कर सके.
ये भी पढ़ें
गाजियाबाद में फ्लैट लेने वालों.. नए प्रोजेक्ट की हो गई है लॉन्चिंग, जानें कितने में मिलेगा?
FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 11:38 IST
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-navratri-vrat-healthy-falahari-food-tips-what-to-eat-during-fast-by-ayurveda-navratri-upvas-ya-vrat-me-kya-khana-chahiye-in-hindi-8743327.html