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Balaghat Tribal Lifestyle: बालाघाट के आदिवासी जंगल से बेहड़ा (हर्रा) चुनकर करते हैं जीवन यापन. जानिए कैसे ठंड में यह वनोपज बनती है आय का बड़ा जरिया और इसके औषधीय फायदे.
बालाघाट एक ऐसा जिला है, जहां पर 53 % भू-भाग पर वन है. साथ ही एक बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय की है. ऐसे में उनका जीवन वनों पर ही निर्भर है. वह साल भर अलग-अलग तरीके से वनों से वनोपज लाते हैं और उन्हें सूखा कर बेचते हैं. अब ठंड के दिनों में बेहड़ा आदिवासियों के लिए आय का एक स्त्रोत भी बना हुआ है. आदिवासियों के बदौलत ही मार्केट में बेहड़ा आता है. बालाघाट के कई इलाकों में आदिवासी हर्रा चुनते हैं और बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं. Bharat.one भी एक ऐसे ही आदिवासी बहुल गांव केरकोना पहुंचा…
जंगल जाते हैं और बेहड़ा चुनकर लाते हैं
दक्षिण बैहर के केरीकोना गांव में एक घर के आंगन में बेहड़ा सुख रहे थे. ऐसे में हमने एक ग्रामीण से बातचीत की, उन्होंने बताया कि गांव के लोग जंगल जाते हैं और हर्रा चुनकर लाते हैं. इसके बाद उसे सुखाते हैं फिर एक टेंपो आता है और हर्रा को खरीदता है. बात सिर्फ इतनी नहीं है. वह सुबह 6 बजे उठकर जंगल जाते हैं और वन्य प्राणियों के खतरे के बीच वनोपज चुनते हैं और उसे चुनकर लाते हैं. ऐसे में शहर से आए व्यापारी उनसे औने पौने दाम में खरीद हर्रा को शहर के बाजार में बेचने के लिए आते हैं.
नोट छापने की है मशीन
सुकचंद टेकाम बताते हैं कि पूरे गांव के लोग हर्रा चुनने जाते हैं. इसके बाद तोड़ते हैं और सुखाते है और इसे लोकल मार्केट में बेच देते हैं. वहीं, आयुर्वेदिक दवा उद्योग में इसकी भारी डिमांड होती है. ऐसे में कंपनियां बड़ी मात्रा में इसकी खरीदारी करते हैं. वहीं, लोकल लेवल पर समूह बनाकर इसकी प्रोसेसिंग कर पाउडर बनाकर या फिर गुड़ सहित दूसरों चीजों में मिलाकर लघु उद्योग शुरु कर सकते हैं.
जानिए क्या है इसका इस्तेमाल
हर्रा एक प्राकृतिक रेचक है, जो कब्ज की समस्या से मुक्ति दिलाता है. ऐसे में पेट अच्छी तरह साफ होता है. इसके अलावा पेट के अल्सर, एसिडिटी और बवासीर में आराम देता है. सर्दी-खांसी और गले की समस्या में इसका काढ़ा बनाकर सेवन करने में राहत मिलता है. इससमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ऐसे में घावों पर इसका पेस्ट लगाने से राहत मिलती है. वही स्कीन एलर्जी में भी राहत मिलती है. इसके अलावा इसके काढ़े के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
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Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें
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