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न करानी पड़ेगी सर्जरी, न खानी होगी दवा, ये पौधा बड़े आराम से पेशाब के साथ निकल देगा पथरी, जानें तरीका – Uttarakhand News


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Kamalya benefits : उत्तराखंड के पानी में चूना की बहुत ज्यादा मात्रा पाई जाती है, जिसके चलते यहां लोगों को पथरी की समस्या ज्यादा होती है. पनफुट्टी का पौधा इसका रामबाण इलाज है. इसे गढ़वाली भाषा में ‘कमल्या’ भी कहते हैं. प्राइवेट पार्ट में खुजली या जलन होने पर भी इसकी पत्तियों को पानी उबालकर उससे धो लीजिए. आराम मिल जाएगा.

Cathedral bell leaf

 तरी कमल्या उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में लगभग 900 से 3000 मीटर की उंचाई पर प्राकृतिक रूप से उगता है. टूटी हुई चट्टानों में यह पौधा उगता है जिसकी लंबाई 12 से 15 इंच की होती है. सर्दियों के दिनों में पहाड़ पर जब लोगों को बुखार होता है तब इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पिया जाता है. इसमें ज्वररोधी गुण पाए जाते हैं.

Cathedral bell leaf

कमल्या की पत्तियों को मैजिक लीफ भी कहा जाता है. इसमें कैल्शियम फास्फेट और केल्शियम ऑक्सेलेट मौजूद होने के चलते यह किडनी में होने वाली पथरी को तोड़ देती है. पहाड़ के बुग्यालों और हिमालय की तलहटी में पाए जाने वाले कमल्या के पौधे पथरीली भूमि पर उगते हैं. ग्रामीण इनकी पत्तियों को चुनकर लाकर इनका उपयोग करते हैं.

Cathedral bell leaf

कमल्या की पत्तियों में क्षारीय गुण पाए जाता है, जो पथरी को काट-काट कर पेशाब के जरिए बाहर निकालती है. बताया जाता है कि इस पत्ती के 5 से 10 ग्राम सेवन से लगभग 20 से 25 एमएमए तक के आकार की पथरी की घुलकर निकल जाती हैं. इसके लिए रोजाना सुबह के समय इसका रस या काढ़ा बनाकर सेवन करना पड़ता है. किडनी में पथरी के दर्द को दूर करती है.

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Cathedral bell leaf

कमल्या का पौधा कुदरत की ऐसी देन है जो इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, शुगर लेवल को कंट्रोल करने के साथ ही लीवर टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है. जिन लोगों को अक्सर कमर दर्द बना रहता है, उन लोगों के लिए इसकी पत्तियों का उपयोग सिकाई करने के लिए भी किया जाता है.

Cathedral bell leaf

सर्दियों के दिनों में पहाड़ों में जब लोगों को सर्दी, खांसी, जुखाम, दमा और सात संबंधी परेशानियां होती हैं तब इस पौधे की जड़ों से निकाले गए रस का प्रयोग इसके इलाज में किया जाता है. दमे के मरीज कमल्या की जड़ को छीलकर इसे सिल बट्टे से पीस लेते हैं. इसके बाद इसे छानकर रस का सेवन करते हैं, कुछ ही दिनों में आराम मिल जाता है.

Cathedral bell leaf

खट्टी और नमकीन स्वाद वाली कमल्या की पत्तियों का रस का उपयोग मूत्र विकारों को दूर करने के साथ ही बवासीर, उदरशूल और दस्त जैसी बीमारियों में दवा के रूप में किया जाता है. वजाइनल इंफेक्शन से जूझ रही महिलाओं के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है.

Cathedral bell leaf

कमल्या का पौधा पहले बड़ी संख्या में बुग्यालों और पहाड़ी चट्टानों पर प्राकृतिक रूप से होता था, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन, गाजर घास, काली बांसिग, लैन्टाना आदि विदेशी घासों के विस्तार के कारण यह उपयोगी पौधा सिमटता जा रहा है. पहाड़ पर यह सिर्फ एक पौधा नहीं बल्कि अनगिनत बीमारियों की दवा है, इसलिए इसका अंधाधुंध दोहन भी नहीं किया जाना चाहिए. दूसरी ओर कई लोग अब इसकी महत्ता को देख इसे अपने गमले में भी लगाने लगे हैं.

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न करानी पड़ेगी सर्जरी, न खानी होगी दवा, ये पौधा पेशाब के साथ निकल देगा पथरी


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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/health-kamalya-leaves-benefits-in-stones-himalayan-herb-local18-9959827.html

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