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पहाड़ों का चमत्कारी पौधा! पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारी को करता है ठीक, सूजन, दर्द और संक्रमण को भी करता है दूर


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Health Tips: उत्तराखंड का बागेश्वर का पहाड़ी इलाका औषधीय वनस्पतियों से भरा पड़ा है. यहां पहाड़ों पर पाया जाने वाला निर्गुंडी पौधा ‘संजीवनी बूटी’ के रूप में प्रसिद्ध है. इसके पत्तों का उपयोग पैरालिसिस, सूजन, दर…और पढ़ें

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निर्गुंडी

निर्गुंडी का पौधा

हाइलाइट्स

  • बागेश्वर में निर्गुंडी पौधा ‘संजीवनी बूटी’ के रूप में प्रसिद्ध है.
  • पैरालिसिस, सूजन और दर्द के इलाज में निर्गुंडी के पत्तों का उपयोग होता है.
  • चेचक के इलाज में भी निर्गुंडी के पत्तों से राहत मिलती है.

बागेश्वर: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं. बल्कि यहां पाए जाने वाले औषधीय पौधे भी किसी वरदान से कम नहीं हैं. इन्हीं में से एक निर्गुंडी भी है. जिसे स्थानीय भाषा में ‘संजीवनी बूटी’ की तरह माना जाता है. यह पौधा पहाड़ों में आसानी से मिल जाता है और इसके पत्तों में कई चमत्कारी गुण पाए जाते हैं.

पैरालिसिस बीमारी के लिए है रामबाण

बागेश्वर के स्थानीय जानकार किशन मलड़ा ने Bharat.one को बताया कि निर्गुंडी के पत्तों का उपयोग पैरालिसिस (पक्षाघात) जैसी गंभीर बीमारी के उपचार में किया जाता है. कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को 3 सप्ताह तक रोजाना निर्गुंडी के पत्तों से हवा दी जाए, तो उसका पक्षाघात धीरे-धीरे ठीक होने लगता है. यह प्रक्रिया बिना किसी दवा के केवल प्राकृतिक तरीके से की जाती है. जिसमें शरीर पर निर्गुंडी के पत्तों से झलकी (हवा) दी जाती है.

वहीं, आयुर्वेद में भी निर्गुंडी को एक अत्यंत प्रभावी औषधि के रूप में जाना जाता है. इसके पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और पेन रिलीवर गुण पाए जाते हैं. जो शरीर की सूजन, दर्द और संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं. यही कारण है कि इसे कई आयुर्वेदिक दवाओं में प्रयोग किया जाता है.

चेचक की बीमारियों में है लाभदायक

इसके अलावा पहाड़ों के बच्चों में होने वाली ‘छोटी माता’ (चेचक) जैसी बीमारियों का इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है. इस दौरान निर्गुंडी के पत्तों से बच्चों को झलकी दी जाती है, जिससे उन्हें राहत मिलती है और बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है. स्थानीय महिलाएं इसके पत्तों से आंगन की सफाई भी करती हैं. जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और वातावरण शुद्ध रहता है.

बागेश्वर के पहाड़ी इलाकों में इसे एक तरह से आध्यात्मिक और औषधीय दोनों ही दृष्टिकोण से उपयोग में लाया जाता है. हालांकि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में अभी इसकी पूरी तरह पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय अनुभव इस पौधे को चमत्कारी मानते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे देसी उपचारों को गंभीरता से अध्ययन कर आयुर्वेद में शामिल करना चाहिए.

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पैरालिसिस, चेचक, सूजन की बीमारियों को करता है दूर,बड़ा ही चमत्कारी है ये पौधा


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-serious-diseases-like-paralysis-can-be-cured-by-giving-air-through-nirgundi-leaves-local18-9159500.html

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