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बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई हर साल खा रहा इतना जहर, कम लोग ही दे रहे ध्यान


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Health tips : अगर हम जल्द ही इस चीज के अधिक प्रयोग को कम नहीं किया तो ये हमारी सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए बड़ी समस्या बन सकता है. अब एक ही रास्ता बचा है.

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डॉ

डॉ रमेश चंद्र यादव 

हाइलाइट्स

  • हर साल औसत व्यक्ति 300 ग्राम जहरीले कीटनाशक खा रहा है.
  • कीटनाशकों से कैंसर, हृदय रोग, किडनी फेल्योर का खतरा बढ़ता है.
  • जैविक खेती और प्राकृतिक खाद का उपयोग बढ़ावा देना चाहिए.

जौनपुर. आज की कृषि प्रणाली में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है. ये स्थिति न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. कृषि में पैदावार बढ़ाने और फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसान बड़ी मात्रा में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये रसायन पौधों में अवशोषित हो जाते हैं और जब हम सब्जियों का सेवन करते हैं तो ये हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं. जौनपुर के  उप परियोजना निर्देशक ‘आत्मा’ कृषि प्रसार डॉ. रमेश चंद्र यादव कहते हैं कि एक औसत व्यक्ति हर साल 300 ग्राम तक जहरीले कीटनाशकों का सेवन सब्जियों के माध्यम से कर रहा है.

इस चीज में अधिकता

कई बार किसान बाजार में जल्दी बेचने के लिए सब्जियों पर अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों का छिड़काव कर देते हैं, जिससे उनकी विषाक्तता कई गुना बढ़ जाती है. सही समय और तरीके से इनका छिड़काव न होने के कारण ये हानिकारक तत्व सीधे मानव शरीर में चले जाते हैं. डॉ. रमेश चंद्र यादव कहते हैं कि कीटनाशकों और रसायनों से युक्त सब्जियों के सेवन से कैंसर, हृदय रोग, किडनी फेल्योर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बच्चों में ये तत्व मानसिक विकास को भी प्रभावित कर सकते हैं.

डॉ. यादव के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है कि कीटनाशकों की अधिकता से खाद्य पदार्थ विषाक्त हो सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं. खासतौर पर जैव-अघटनशील (non-biodegradable) कीटनाशक हमारे शरीर में एकत्रित होकर धीमे जहर की तरह काम करते हैं.

क्या है समाधान

डॉ. यादव  कहते हैं कि किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए, जिसमें प्राकृतिक खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है. फसलों पर कीटनाशकों और रसायनों के अनियंत्रित छिड़काव से बचना चाहिए और वैज्ञानिक विधियों का पालन करना चाहिए. सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धोना और भिगोकर रखना चाहिए, ताकि उन पर लगे कीटनाशक कम हो सकें. स्थानीय और मौसमी सब्जियों को प्राथमिकता दें, क्योंकि इनमें कम रसायनों का उपयोग होता है. सरकार को खाद्य सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना चाहिए और किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करना चाहिए.

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हर कोई हर साल खा रहा इतना जहर, कम लोग ही दे रहे ध्यान


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