देखने में यह आमतौर पर होने वाले कंजक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू जैसा ही होता है लेकिन उससे अलग है. एक तो यह सिर्फ बारिश में ही होता है. साथ ही यह संक्रमण नहीं होता और इस वजह से यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता भी नहीं है. इसमें आंखों में खुजली होती है और आंखों से पानी आता है और लाल होती हैं. यह आमतौर पर धूल, प्रदूषण या फूलों के कणों से होता है और जुलाई-अगस्त के महीने में ही होता है. कभी-कभी सूखे-धूल भरे या प्रदूषण ग्रस्त इलाकों में हो जाती है.
बच्चे और युवा होते हैं जल्दी शिकार
एम्स के आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की डॉ. श्रीदेवी नायर बताती हैं कि एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस आमतौर पर बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है, खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों में यह परेशानी होती है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इसके लक्षण कम होने लगते हैं. यह बीमारी उन लोगों को ज्यादा होती है, जिन्हें शरीर में कहीं एलर्जी हो जैसे ब्रॉन्कियल अस्थमा, बार-बार छींक आना यानि एलर्जिक राइनाइटिस या चमड़ी की एलर्जी हो.
. इसमें पुतली के आसपास सफेद डॉट्स दिखाई दे सकते हैं.
. आंखें लाल हो सकती हैं.
. पलकों के नीचे बड़े-बड़े लाल छाले दिख सकते हैं.
डॉ. कहती हैं कि ये सभी एक्टिव सीवियर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के लक्षण हैं, ऐसा दिखाई देने पर तुरंत आंख के डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
डॉ. नायर बताती हैं कि अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो इससे पुतली पर दाग या सफेदी आ सकती है. या फिर केरेटोकोनस बीमारी हो सकती है जिसमें पुतली पतली हो जाती है. अगर इस बीमारी का इलाज लोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए खुद ही दवा खरीदकर करते हैं तो उससे आंखों में मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसी भयंकर बीमारी भी हो सकती है. या फिर स्टेरॉइड दवा से आंख का अल्सर तक हो सकता है.
डॉ. कहती हैं कि अगर आंखों में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो उसे ठीक करने का एक ही रास्ता है कि आप बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं. ताकि आपकी आंखों की जांच करके सही दवा मिल सके. इसके अलावा कुछ एहतियात और सावधानियां बरतने की भी जरूरत है. जैसे..
. एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस में आंखों को रगड़ना सबसे खराब असर डाल सकता है. अगर ये परेशानी हो जाए तो आंखों को न रगड़ें क्योंकि ऐसा करने पर एलर्जी बढ़ जाएगी.
. आप आंखों की ठंडी सिकाई कर सकते हैं.
. आपको जिस चीज से भी एलर्जी है, जैसे गर्मी, प्रदूषण, धूल आदि उन सबसे आंखों को बचाएं.
. बीमारी की स्थिति में कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं.
. मेडिकल स्टोर से खुद दवा खरीदकर न डालें, क्योंकि ये दवाएं स्टेरॉइड होती हैं, जिससे आंख को आराम तो मिल जाता है लेकिन उसके साइड इफैक्ट्स बहुत होते हैं. बल्कि डॉक्टर के पास जाकर आंखें दिखाएं.
. कुछ मामलों में लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है, क्योंकि अगर इसका पूरा इलाज नहीं कराते तो करीब 20 साल की उम्र तक ये हर साल होता रहता है.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-allergic-conjunctivitis-is-biggest-risk-in-monsoon-children-and-youths-are-mostly-affected-causes-symptoms-and-treatment-of-this-eye-disease-ws-kl-9582534.html