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आजकल लोगों में भूलने की आदत इतनी आम हो गई है कि ज़रा-सी दिक़्क़त होने पर वे इसे तुरंत अल्जाइमर या डिमेंशिया से जोड़ने लगते हैं. लेकिन, मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर बार इसका कारण गंभीर बीमारी नहीं होता. कई बार गलत जीवनशैली, पोषण की कमी और नींद की गड़बड़ी भी याददाश्त को प्रभावित कर सकती हैं. आइए डिटेल में जानते है इसके बारे में…

आजकल भूलने की आदत इतनी आम हो गई है कि लोग इसे तुरंत अल्जाइमर या डिमेंशिया से जोड़ने लगते हैं. लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि हर बार इसका कारण बड़ी बीमारी नहीं होती. गलत लाइफस्टाइल, नींद की कमी और पोषण संबंधी गड़बड़ियां भी मेमोरी को कमजोर कर सकती हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक मेमोरी लॉस दो तरह का होता है. पहला, डिजेनेरेटिव (जैसे अल्जाइमर), जिसे पूरी तरह रिवर्स नहीं किया जा सकता. दूसरा रिवर्सिबल कारण, जिन्हें पहचानकर समय पर इलाज से ठीक किया जा सकता है.

मेमोरी लॉस के चार बड़े कारण हो सकते हैं. पहला, विटामिन B12 की कमी, जो खासकर शाकाहारी लोगों में आम होती है. दूसरा, हाइपोथायरॉइड की समस्या, जिसमें थायरॉइड की गड़बड़ी से ब्रेन फंक्शन प्रभावित होता है और याददाश्त में कमी आती है. तीसरा, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, यानी सोडियम लेवल बिगड़ने से भ्रम और याददाश्त की समस्या उत्पन्न होती है. चौथा, संक्रमण और नींद की कमी, क्योंकि कम नींद से शॉर्ट टर्म मेमोरी पर असर पड़ता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लिमफैटिक सिस्टम गहरी नींद के दौरान दिमाग से टॉक्सिन निकालता है. लगातार 18–24 घंटे जागे रहने से दिमाग की कार्यक्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है.

याददाश्त को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय अपनाने चाहिए. सबसे पहले, चिकित्सक की सलाह लें और विटामिन B12 की जांच करवाकर आवश्यक सप्लीमेंट लें. साथ ही, थायरॉइड की जांच और मैनेजमेंट करवाना भी जरूरी है. खूब पानी पिएं और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रखें। सबसे महत्वपूर्ण, फिक्स समय पर सोएं और क्वालिटी स्लीप लेने का ध्यान रखें.
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