ऋषिकेश. बदलती जीवनशैली, गलत खानपान और पाचन से जुड़ी समस्याओं के कारण आज कई गंभीर बीमारियां लोगों को लंबे समय तक परेशान कर रही हैं. इन्हीं में से एक है फिस्टुला (Piles Fistula Treatment), जो न सिर्फ शारीरिक दर्द देता है बल्कि मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी को भी मुश्किल बना देता है. गुदा के आसपास बनने वाली यह बीमारी लगातार सूजन, दर्द और मवाद निकलने जैसी परेशानी पैदा करती है, जिससे बैठना, चलना और सामान्य काम करना तक दूभर हो जाता है. अधिकतर लोग इसे ऑपरेशन से जुड़ी बीमारी मानते हैं, लेकिन सर्जरी के डर और दोबारा फिस्टुला बनने की आशंका के कारण मरीज मानसिक तनाव में आ जाते हैं. ऐसे में ऋषिकेश स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक बिना सर्जरी आयुर्वेदिक इलाज के जरिए मरीजों को राहत दे रहा है.
क्या है फिस्टुला और क्यों होती है यह समस्या
लोकल18 से बातचीत में आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजकुमार (आयुष) बताते हैं कि फिस्टुला शरीर के अंदर बनने वाली एक असामान्य नली होती है, जो किसी अंदरूनी हिस्से को त्वचा की सतह से जोड़ देती है. यह समस्या अक्सर लंबे समय तक कब्ज रहने, बार-बार होने वाले इंफेक्शन, एनल एब्सेस, कमजोर पाचन तंत्र और गलत खानपान के कारण पैदा होती है. जब किसी फोड़े का समय रहते सही इलाज नहीं हो पाता, तो वह अंदर ही अंदर एक रास्ता बना लेता है, जिसे फिस्टुला ट्रैक कहा जाता है. समय के साथ यह ट्रैक गहरा होता जाता है और इंफेक्शन बार-बार लौटने लगता है. एलोपैथी में इसका इलाज ज्यादातर सर्जरी से किया जाता है, लेकिन कई मामलों में ऑपरेशन के बाद भी फिस्टुला दोबारा हो जाता है.
डॉ. राजकुमार बताते हैं कि ऋषिकेश के चंद्रभागा पुल के पास स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक में फिस्टुला के इलाज की शुरुआत मरीज की पूरी जांच से की जाती है. इसमें फिस्टुला की स्थिति, उसकी गहराई, पहले कराए गए इलाज और मरीज की दिनचर्या को ध्यान में रखा जाता है. इसके बाद हर मरीज के लिए अलग-अलग पर्सनलाइज्ड आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया जाता है. इस उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग किया जाता है, जिनका उद्देश्य सूजन कम करना, इंफेक्शन को कंट्रोल करना और फिस्टुला ट्रैक को अंदर से साफ करना होता है.
खानपान और दिनचर्या का भी रखा जाता है पूरा ध्यान
डॉ. राजकुमार बताते हैं कि फिस्टुला के इलाज में दवाओं के साथ-साथ खानपान और दिनचर्या का सही होना बेहद जरूरी है. मरीज को हल्का, फाइबर युक्त और सुपाच्य भोजन लेने की सलाह दी जाती है, ताकि कब्ज की समस्या न हो. तली-भुनी और ज्यादा मसालेदार चीजों से दूरी बनाने को कहा जाता है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और शरीर को डिटॉक्स रखने वाली आयुर्वेदिक चीजों को दिनचर्या में शामिल करना भी इलाज का अहम हिस्सा होता है. सही खानपान से दवाओं का असर और बेहतर हो जाता है.
कायाकल्प हर्बल क्लिनिक में फिस्टुला के आयुर्वेदिक इलाज के लिए हर महीने करीब 6000 रुपए शुल्क लिया जाता है. इसमें दवाएं, ट्यूब और इंजेक्शन जैसी जरूरी चीजें शामिल होती हैं. अधिक जानकारी या परामर्श के लिए मरीज आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजकुमार से उनके मोबाइल नंबर +91 75794 17100 पर संपर्क कर सकते हैं.
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