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बेहया पौधे के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ.


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Benefits of Behaya Plant: बेशक आपने बेहया प्लांट का नाम नहीं सुना हो लेकिन इसमें अद्भुत औषधीय गुण मौजूद होता है. बेहया का पत्ता डाइजेशन में कमाल का काम करता है. यह बिच्छू के डंक से निकले जहर को खत्म कर सकता है.

सर्वगुण संपन्न है बेहया का प्लांट, पेट की हर समस्या का समाधान तो मौसमी

बेहया प्लांट के फायदे.

हाइलाइट्स

  • बेहया प्लांट पाचन तंत्र को मजबूत करता है.
  • बेहया का रस त्वचा रोगों और घावों में मददगार है.
  • बेहया के एंटीऑक्सीडेंट गुण मौसमी बीमारियों से बचाते हैं.

Benefits of Behaya Plant: हमारा आयुर्वेद गागर में सागर है. इसमें मामूली चीजों से बड़ी-बड़ी बीमारियों को ठीक करने की विधि बताई गई. दिलचस्प बात यह है कि अब वैज्ञानिक शोधों में भी इनमें से कई चीजों को साबित किया जा रहा है. बेहया एक पौधा है जिसकी जड़, पत्तियां, तना, फूल सबमें औषधीय गुणों की भरमार है. इसका अंग्रेजी नाम इपोमोया कार्निया Ipomoea carnea है. इसे कुछ जगहों पर थेथर भी कहा जाता है. बेहया इतना गुणी पौधा है कि इससे पाचन तंत्र तो मजबूत होता ही है यह हर तरह के मौसमी बीमारियों के लिए काल है. यह किसी जहरीले जानवर के काटने से जो जहर बनता है उसे भी बेअसर करता है. यह कई तरह के दर्द से राहत दिलाता है. हालिया शोध में इस पौधे के कई चौंकाने वाले लाभ सामने आए हैं. आयुर्वेद में बेहया (जिसे थेथर या बिछिया भी कहा जाता है) को औषधीय गुणों वाला पौधा माना गया है और अब वैज्ञानिक अध्ययन भी इसके फायदों की पुष्टि कर रहे हैं.

मांसपेशियों में दर्द को खत्म करता
रिसर्च गेट के एक अध्ययन के मुताबिक बेहया के पत्तों और जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए गए हैं, जो कई बीमारियों से बचाव में मदद कर सकते हैं. शोध में पाया गया कि बेहया के अर्क (रस) का उपयोग गठिया, मांसपेशियों के दर्द और जोड़ों की सूजन में कारगर साबित हो सकता है. थेथर की पत्तियों का रस पाचन सुधारने, अपच दूर करने और पेट की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है. शोध के अनुसार, इस पौधे में मौजूद तत्व ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं, जिससे यह डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. बेहया के पत्तों से निकाला गया रस त्वचा रोगों, घावों और जलन को ठीक करने में मददगार पाया गया है. इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ावा मिलता है, जिससे मौसमी बीमारियों से बचाव हो सकता है.

खुजली की बीमारी में रामबाण
आयुर्वेद में बेहया को एक प्राकृतिक औषधि माना गया है. इसे पत्तों, जड़ों और फूलों के रूप में औषधीय प्रयोग में लाया जाता है. पारंपरिक चिकित्सा में बुखार, खांसी, चोट और पीलिया जैसी बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता रहा है. विशेषज्ञों की राय है कि इसका सेवन सीमित मात्रा में करना ठीक होता है और किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर ली जानी चाहिए. वहीं, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए इसका सेवन करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए. शोध में पाया गया है कि इसे सही मात्रा और सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का प्राकृतिक समाधान बन सकता है. इसके साथ ही बेहया के रस का उपयोग अब खेती में भी एक प्रभावी उपाय बन गया है, क्योंकि इसके एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण फसलों को बैक्टीरिया और कीटों से बचाने में मदद करते हैं.यानी खुजली की बीमारी में भी रामबाण है. यह न केवल कीटों को दूर करता है, बल्कि पशुओं से भी फसलों की सुरक्षा करता है, क्योंकि इसका रस जानवरों के लिए जहरीला होता है, और वे इससे दूर रहते हैं.
इनपुट-आईएएनएस

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