कई लोगों को खाना खाते ही नींद आने लगती है. अक्सर लोग इसे आलस समझ लेते हैं, लेकिन असल में यह शरीर का एक अहम संकेत होता है. आयुर्वेद के मुताबिक, ऐसा होना मंद अग्नि यानी कमजोर पाचन शक्ति का लक्षण है. जब अग्नि कमजोर होती है तो शरीर को खाना पचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. पाचन में ऊर्जा लगने लगती है, इसलिए दिमाग तक ऊर्जा थोड़ी कम पहुंचती है और हमें नींद जैसा महसूस होने लगता है.
आयुर्वेद का मानना है कि अग्नि ही शरीर की असली ऊर्जा है. अगर यह धीमी हो जाए तो अधपचा भोजन बनने लगता है, जिसके कारण भारीपन, सुस्ती और धीमापन आता है. ठंडा, बासी या बहुत भारी खाना अग्नि को और कमजोर बना देता है, जबकि गर्म, हल्का और ताजा भोजन अग्नि को मजबूत करता है.
क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो खाना खाने के बाद शरीर का ब्लड फ्लो पेट की तरफ बढ़ जाता है ताकि पाचन ठीक हो सके. इसी दौरान दिमाग को ब्लड और ऑक्सीजन थोड़ी कम मिलती है, इसलिए शरीर रिलैक्स मोड में चला जाता है और नींद जैसा अहसास होता है. इंसुलिन और अन्य पाचन हॉर्मोन भी खाना खाने के बाद बढ़ते हैं, जिनके डिप होने पर शरीर में हल्की सुस्ती आ जाती है. खासकर अगर आपने बहुत भारी खाना खा लिया हो तो यह असर और ज्यादा महसूस होता है.

खाने की आदतें भी इसमें बड़ा रोल निभाती हैं. जल्दी-जल्दी खाना, कम चबाना, भूख न होने पर खाना या जरूरत से ज्यादा खाना, ये सभी आदतें सुस्ती बढ़ाती हैं. आयुर्वेद में 70 प्रतिशत पेट भरने का नियम बताया गया है. प्लेट जितनी भरी होगी, नींद उतनी ज्यादा आएगी. ठंडा पानी भी पाचन को धीमा कर देता है और इससे भी सुस्ती बढ़ती है.
दोष असंतुलन में खासकर कफ बढ़ने पर भारीपन और नींद ज्यादा आती है. मीठा खाने से इंसुलिन तुरंत बढ़ता है और फिर अचानक गिरता है, जिससे भी पलकें भारी होने लगती हैं. गलत फूड कॉम्बिनेशन, जैसे दही के साथ तला हुआ खाना, दूध के साथ खट्टा भोजन या फल को भोजन के साथ खाना, शरीर में टॉक्सिन बढ़ाते हैं और पाचन को और कमजोर करते हैं.
इस समस्या से बचने के लिए कुछ आसान उपाय हैं. खाना हमेशा गर्म और ताजा खाएं, धीरे-धीरे खाएं और अच्छी तरह चबाएं, खाने से पहले गुनगुना पानी लें, स्क्रीन देखते हुए न खाएं और खाने के बाद 5 मिनट की हल्की सैर करें.
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