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Arhar Dal ke fayde: अरहर की दाल प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटैशियम और फॉलिक एसिड जैसे कई पोषक तत्वों का खजाना है. लेकिन सही तरीके से औषधीय रूप में इसका मात्रावध सेवन कर लिया जाए, तो 11 से अधिक बीमारियां छूमंतर हो सकती हैं. विस्तार से जानिए…

अरहर की दाल भारतीय रसोई की शान होती है, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटैशियम, फॉलिक एसिड और अन्य तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसका नियमित मात्रावध सेवन से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है.

शाकाहारी लोगों के लिए अरहर की दाल प्रोटीन का एक अच्छा विकल्प है. यह दाल मांसपेशियों की मरम्मत और विकास के लिए जरूरी अमीनो एसिड प्रदान करती है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए यह एक संपूर्ण प्रोटीन स्रोत है.

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की पांच साल अनुभवी (एमडी मेडिसिन) चिकित्साधिकारी डॉ. वंदना उपाध्याय ने कहा कि, “अरहर की दाल स्वाद के साथ पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाती हैं”. यह आंतों की सफाई में मददगार है. यह कब्ज की समस्या को दूर करती है.

अरहर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. इसके अलावा, अरहर की दाल में पोटैशियम तत्व होता हैं, जो रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे हृदय पर दबाव कम आता है.

अरहर की दाल हृदय के लिए भी बेहद लाभकारी और गुणकारी है. यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है. इसके नियमित सेवन से हृदय रोगों के खतरे की संभावना कम होता है.

यह फॉलिक एसिड से भरपूर होती है, जो गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है. यह शिशु के दिमागी विकास और रीढ़ की हड्डी के सही निर्माण में मदद करती है, जिससे जन्मजात विकृतियों के खतरे की संभावना कम होती हैं.

अरहर की दाल में प्रोटीन और फाइबर होते हैं, जो भूख को नियंत्रित करते हैं, जिससे बार-बार खाने की इच्छा कम होती और वजन घटता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन होने से शरीर को आवश्यक ऊर्जा भी मिलता हैं.

यह दाल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है , जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी को मजबूत कर सकती हैं. इसे खिचड़ी, तड़का दाल, रसदार सब्जी के रूप में खाया जा सकता है. लेकिन अरहर की साधा दाल बेहद लाभकारी होती हैं.

अरहर की दाल अधिक मात्रा में या अधपकी खाने से गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या हो सकती है. यूरिक एसिड, किडनी रोग, बवासीर और एलर्जी रोगियों को इसका सेवन चिकित्सक की सलाह से करनी चाहिए. बगैर आयुर्वेद एक्सपर्ट की देखरेख में इसका सेवन हानिकारक भी हो सकता है.
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