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‘मेरा जुकाम-खांसी पिछले 20 दिन से जा क्यों नहीं रहा? भाप-दवा सब ले रही हूं’ सफदरजंग के डॉक्टर ने दिया जवाब why people having cold cough and seasonal flu symptoms till months despite having medicine steam desi nuskhe safdarjung respiratory dr neeraj replies


नोएडा में रहने वाली काम्या जब छींकते हुए ऑफिस पहुंची तो काफी असहज थीं लेकिन देखते ही देखते उन्हें गर्म पानी या काढ़ा पीने की सलाह देने वाले सहयोगी भी अपने-अपने जुकाम, खांसी और सर्दी से जूझने की बात बताने लगे. काम्या ने बताया कि उन्हें पिछले 20 दिन से जुकाम हो रहा है. भाप, दवा, हल्दी वाला दूध सब ले लिया लेकिन जुकाम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. कभी नाक से पानी बहने लगता है तो कभी नाक बंद हो जाती है. वहीं स्मिता और गाजियाबाद में रहने वाली शिखा ने बताया कि उन्हें भी नवंबर में जुकाम, खांसी और सर्दी हुई थी लेकिन अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हुई. यह बीमारी बार-बार लौट आती है. आखिर ये क्या है और इसकी क्या वजह है?

ऑफिस कलीग्स के इन सवालों पर News18hindi ने सफदरजंग अस्पताल के रेस्पिटरी विभाग में प्रोफेसर और जाने-माने पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीरज कुमार गुप्ता से बातचीत की और जाना कि बढ़ती जा रही इस मौसमी बीमारी की वजह क्या है?

डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि सूखी खांसी, कफ वाली खांसी जुकाम या नाक में से पानी बहने की शिकायत इसलिए होती है तो वह वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होती है और इस दौरान शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ जाती है. इसी की वजह से फ्लूड बनता है और वह नाक के माध्यम से बाहर निकलता है. खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यह इन्फ्लेमेशन प्रदूषण तत्व पीएम 2.5 की वजह से है. जब हम पीएम 2.5 को इन्हेल करते हैं तो वह चेस्ट में इन्फ्लेमेशन पैदा करता है और लगातार इसी प्रदूषित वातावरण में रहने के चलते शरीर को खुद को ठीक करने का समय नहीं मिल पाता और बीमारी खत्म नहीं होती.

डॉ. नीरज कहते हैं कि पीएम 10 तो हमारे अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट जैसे नाक, मुंह और साइनस तक ही पहुंचता है लेकिन वाहनों के धुएं, कंस्ट्रक्शन साइटों की धूल और कारखानों से निकलने वाली गैसों से बने पीएम 2.5 पार्टिकल्स लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट जैसे ब्रॉन्काइ और लंग्स आदि तक पहुंच जाते हैं और इन्फ्लेमेशन पैदा करते हैं. जबकि प्रदूषण के जो नैनो पार्टिकल्स होते हैं वे हमारे ब्लड में पहुंच जाते हैं और हमारे शरीर के ऑर्गन्स को डैमेज तक कर देते हैं.

तो क्या जल्दी ठीक नहीं होगी ये बीमारी?
डॉ. गुप्ता कहते हैं कि जब तक आप पीएम 2.5 को सांस के माध्यम से अंदर ले रहे हैं यह स्थिति चलती रहेगी. बार-बार इन्फ्लेमेशन होने और शरीर को ठीक होने का समय न मिलने से इस बीमारी के 4-6 दिनों में ठीक होना मुश्किल है. इसलिए संभव है कि यह परेशानी लौट-लौट कर आए और आपको ये महसूस हो कि ये ठीक ही नहीं हो रही.

क्या एनसीआर से बाहर चले जाएं तो फायदा होगा?
हां, बिल्कुल, अगर आप किसी पहाड़ी क्षेत्र में चले जाएं जहां एक्यूआई ठीक है और प्रदूषण नहीं है तो वहां पहुंचकर सांस लेते ही आपको महसूस होगा कि आप एकदम ठीक हैं. जुकाम, खांसी, सर्दी की परेशानी नहीं है और आपको किसी दवा की जरूरत नहीं है, लेकिन जैसे ही वहां से आप वापस लौटकर एनसीआर में आएंगे तो आपको फिर यही परेशानी होगी.

इससे बचने के लिए क्या करें?
इससे बचाव का एक ही उपाय है कि जितना ज्यादा हो सके प्रदूषण से बचा जाए. मास्क पहनें, घर में रहें तो स्टीम लें. संतुलित खान-पान लें, संभव हो सके तो प्रदूषण फैलाने वाली कंस्ट्रक्शन साइटों, वाहनों के धुएं से बचें.


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