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3 D Cornea restore in 70 years Old Man : वैज्ञानिकों ने आंखों की रोशनी देने के मामले में करिश्मा कायम किया है. वैज्ञानिकों ने एक तरह से लैब में विकसित कॉर्निया को एक 70 साल के बुजुर्ग महिला की आंखों में सेट कर उसे रोशनी दे दी है.
3 D Cornea restore in 70 years Old Man : नैन बिना सब सुन. अगर आंखें नहीं हैं तो दुनिया विरानी हो जाती है लेकिन कुछ लोग में जन्मजात यह बीमारी नहीं होती है, बाद में हो जाती है. आंकड़ों के मुताबिक ढलती उम्र में अगर 70 लोगों को कॉर्निया की जरूरत होती है तो इनमें से सिर्फ एक ही लोगों को डोनर से मिल पाता है. अगर कोई एक डोनर मिल गया तो इससे एक ही व्यक्ति को यह मिल पाता था लेकिन अब वैज्ञानिकों ने करिश्मा कर दिखाया है. अब सिर्फ एक कॉर्निया की कॉपी से सैकड़ों कॉर्निया बन सकती है और इन सभी कॉर्निया को इतने लोगों में लगाया जा सकता है. यह कमाल हुआ है 3 D प्रिंटेट कॉर्निया से. वैज्ञानिकों ने 3 D प्रिंटेट कॉर्निया बनाकर एक 70 साल के बुजुर्ग की आंखों में इसे सेट कर दिया और वह बुजुर्ग अब दुनिया को अपनी आंखों से देखने में सक्षम हो गया.
लाखों लोगों को मिल सकेगी नई रोशनी
अब तक हेल्थ सेक्टर में 3D प्रिंटिंग का उपयोग मुख्यतः सर्जिकल मॉडल,आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट, ब्रेन, कूल्हे तथा दांतों के कुछ कस्टमाइज़्ड इम्प्लांट तक सीमित था. लेकिन पिछले महीने, PB-001 नामक 3D-प्रिंटेड कॉर्निया ने इज़रायल के हैफ़ा स्थित रंबम हेल्थ केयर कैंपस में एक 70-वर्षीय महिला को दोबारा देखने की क्षमता दे दी. इस महिला की एक आंख से कुछ दिखाई नहीं देता था. एक तरफ जहां हजारों लोगों को उपयुक्त कॉर्निया नहीं मिल रही. वहीं इस आविष्कार से लाखों लोगों की आंखों में नई रोशनी मिलने की उम्मीद है.इजरायल की बायोटेक कंपनी प्रिसाइज बायो के सह-संस्थापक और सीईओ आर्ये बाट ने द जेरूसलम पोस्ट को बताया कि यह प्रत्यारोपण उन लाखों लोगों के लिए सचमुच उम्मीद का क्षण है जो कॉर्निया डोनेट का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह पहली बार है जब मानव कोशिकाओं से पूरी तरह प्रयोगशाला में बनाया गया इम्प्लांट किसी इंसान में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है. यह सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं,यह एक ऐतिहासिक क्षण है. यह प्रक्रिया कंपनी के 3D-प्रिंटेड इम्प्लांट के फेज-1 क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थी और अब तक मरीज ने इस पर अनुकूल प्रतिक्रिया दी है.
हर बार कॉर्निया की बिल्कुल परफेक्ट कॉपी
रिपोर्ट के मुताबिक दाता कॉर्निया बहुत कम मिलते हैं.इसी वजह से वेटिंग लिस्ट सालों लंबी हो जाती है.और जब कोई कॉर्निया उपलब्ध होता भी है तो उसकी गुणवत्ता दाता की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. इसमें अधिकांश में कॉर्निया सेट नहीं हो पाता है. कॉर्निया का टिशू बेहद नाज़ुक होते हैं और उसकी शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है. इसलिए एक जगह से दूसरी जगह कॉर्निया को सुरक्षित ले जाना बहुत मुश्किल हो जाता है. ऐसे में 3D-प्रिंटेड कॉर्निया इन सभी सीमाओं को आसानी से पार कर सकता है. 3 D प्रिंट डॉट कॉम के अनुसार, बायोप्रिंटेड कॉर्निया जल्द ही इस्तेमाल के लिए तैयार, फ्रीज़ कर के रखे जा सकने वाले और मांग पर उपलब्ध इम्प्लांट का नया युग शुरू कर सकते हैं.सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी गुणवत्ता एकदम असली जैसी होती है.
मेडिकल साइंस की बहुत बड़ी छलांग
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मेडिकल साइंस में बायोप्रिंटिंग के लिए बहुत बड़ी छलांग है क्योंकि अब तक ज्यादातर प्रिंट केवल संरचनात्मक थे. लेकिन यह पहला अवसर है जब एक प्रिंटेड टिशूज को किसी अंग के हिस्से की तरह सहज रूप से काम करना है. PB-001 ने इस परीक्षा को सफलतापूर्वक पार कर ली है. इज़राइली बायोटेक कंपनी प्रिसाइज़ बायो के सह-संस्थापक और सीइओ ने बताया कि यह प्रत्यारोपण उन लाखों लोगों के लिए वास्तविक उम्मीद का क्षण है जो कॉर्निया दान का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब पूरी तरह प्रयोगशाला में बनाए गए मानव कोशिकाओं से तैयार इम्प्लांट को सफलतापूर्वक किसी मनुष्य में लगाया गया है. यह सिर्फ वैज्ञानिक सफलता नहीं, एक ऐतिहासिक क्षण है. यह प्रक्रिया कंपनी के फेज I क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थी और रोगी का अब तक का रिस्पॉन्स बेहद सकारात्मक रहा है.
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Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at Bharat.one. His role blends in-dep…और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-first-time-in-history-scientist-restore-world-first-3d-printed-cornea-in-70-yr-old-vision-9948812.html







