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शरीर की हड्डियों और मसल्स को फौलाद बना देता है यह हरा साग, लुंज-पुंज नसों में भी भर देता है नई जान, हर अंग पर असर


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Benefits of Sushni Sag: वैसे तो सभी साग पेट के लिए रामबाण होता है लेकिन सुसनी ऐसा साग है जिससे हड्डियां और मसल्स दोनों में फौलादी ताकत आती है. रिसर्च में दावा किया गया है कि सुसनी साग में नर्व सिस्टम में तेजी ल…और पढ़ें

शरीर की हड्डियों और मसल्स को फौलाद बना देता है यह हरा साग, नसों में नई जान

गजब का है यह साग.

Benefits of Sushni Sag: साग तो आपने बहुत तरह के खाएं होंगे लेकिन क्या कभी आपने सुसनी का साग खाया है. अब से इसे जरूर ट्राई करें क्योंकि यह साग शरीर में ताकत का खजाना है. सुसनी के साग से शरीर में हड्डियों और मसल्स को फौलाद बनाया जा सकता है. पाचन शक्ति के लिए तो हर साग बेहतर होता ही है, सुसनी के साग से शरीर में तंत्रिका तंत्र मजबूत होती है. यानी इससे लुंज-पुंज नसों में भी नई जान आ सकती है. सुसनी के साग को कई नामों से जाना जाता है. इसे कुछ जगहों पर सुनसुनी तो कुछ जगहों पर सुनसी साग भी कहा जाता है.इसका अंग्रेजी नाम वाटर क्लोवर या पेपरवर्ट कहा जाता है. दक्षिण-पश्चिम भारत में सुसनी का साग बहुतायात में पाया जाता है. लेकिन यह झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बहुतायात में पाया जाता है.आइए इसके फायदों के बारें में जानते हैं.

सुसनी के साग के फायदे
एनसीबीआई के रिसर्च पेपर में कहा गया है कि सुसनी के साग में जो कंपाउड पाए गए हैं वे एंटी-इंफ्लामेटरी, डाययूरेटिक, डिप्यूरेटिव जैसे गुणों से भरपूर है. इसका मतलब है यह हुआ कि सुसनी के साग का सेवन करने से डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी क्रोनिक बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है. वहीं एंटी-इंफ्लामेटरी होने के कारण यह गठिया के दर्द से भी राहत दिला सकता है. सुसनी के साग में दोनों तरह के फाइबर पाए जाते हैं जिससे पेट की गंदगी का सफाया हो सकता है. सुसनी के साग से अपच, गैस, एसिडिटी, कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

हड्डियों को फौलाद बनाने में
एनसीबीआई स्टडी में यह भी पाया कि सुसनी के साग में कैल्शियम को बढ़ाने की गजब की शक्ति है. यानी अगर आपको अपनी हड्डियों में चट्टानी ताकत लानी है तो सुसनी के साग का कुछ दिनों तक सेवन कीजिए. रिसर्च के मुताबिक सुसनी के साग के सेवन करने से बुढ़ापे में होने वाली बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो सकता है. इतना ही नहीं इसमें दिमाग में होने वाली बीमारी इडेमा को रोकने की भी क्षमता है. जानवरों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि सुसनी के साग के सेवन में दिमाग की कोशिकाएं समय से पहले बूढ़ी नहीं होती. यानी इससे मेमोरी पावर को बढ़ाया जा सकता है.

नसों से जहर को निकालता है
एनसीबीआई रिसर्च पेपर के मुताबिक सुसनी के साग की जब रासायनिक जांच की गई तो इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स पाए गए. इसके साथ ही इसमें फेनोलिक कंपाउड, टेनिंस, सेपोनिंस, फ्लेवेनोएड्स, स्टेरोएड्स, टरपेनोएड्स, अल्कालोएड्स जैसे कंपाउड भी मिले. ये सारे तत्व शरीर को बीमारियों से महफूज रखने के लिए बेहद मददगार साबित हो सकते हैं. स्टडी के मुताबिक नसों में जब एक्सिटोटॉक्सिसिटी बढ़ती है या यूं कहें नसों में जब हानिकारक तत्व घुस जाते हैं तो इससे नसें डैमेज होने लगती है. इसके कारण नसों के मूवमेंट पर फर्क पड़ता है. नसों के कमजोर होने से हम कोई भी काम सही से नहीं कर पाते. यहां तक ऐसी स्थिति में दिमाग भी सही से काम नहीं कर सकता. कमजोरी और थकान बेतहाशा बढ़ जाती है. छोटा सा काम करने पर मन बोझिल हो जाता है. स्टडी में पाया गया है कि सुसनी के साग में जो कंपाउड होता है वह इसे एक्सिटोटॉक्सिसिटी को रोक देता है जिसके कारण नसों में पहले जैसी जान आ जाती है और शरीर में फुर्ती आ जाती है.

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शरीर की हड्डियों और मसल्स को फौलाद बना देता है यह हरा साग, नसों में नई जान


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