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शादी से पहले प्रीमैरिटल मेडिकल टेस्ट क्यों है जरूरी?


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हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे की शादी अच्छे से हो जाए, वह अपनी लाइफ में सेटल हो जाएं और उनके सामने वह पोता या पोती देख लें. शादी से पहले कुंडली मिलाने पर भी जोर दिया जाता है. लेकिन पैरेंट्स को और होने वाल…और पढ़ें

हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए शादी से पहले जन्मपत्री नहीं, ये वाली कुंडली मिलाएं

40 की उम्र के बाद जेनेटिक बीमारियां ज्यादा देखने को मिलती हैं (Image-Canva)

Premarital medical before marriage: हमारे समाज में जब बच्चा पैदा होता है तो उसके कई संस्कार किए जाते हैं. इनमें से एक शादी भी है. जैसे ही बच्चे जवान होते हैं, माता-पिता उनके लिए जीवनसाथी की तलाश शुरू कर देते हैं. जैसे ही कोई लड़का या लड़की पसंद आती है, उसकी जन्मपत्री मांगकर कुंडली मिलाई जाती है. जितने ज्यादा गुण मिलते हैं, शादी की संभावना बढ़ जाती है लेकिन आजकल बीमारियां बहुत बढ़ गई हैं और बच्चों को जन्म से ही दिक्कत होने लगती है. इसलिए जरूरी है कि जन्म कुंडली नहीं, लड़के और लड़की की मेडिकल कुंडली मिलाई जाए. 

कई बीमारियों से बचा जा सकता है
आजकल ब्लड प्रेशर और डायबिटीज बहुत आम बीमारी बन गई है. अगर यह पैरेंट्स को हो तो बच्चे को होना भी तय है. इन्हें हेरेडेट्री डिजीज यानी वंशानुगत बीमारी भी कहा जाता है. यही नहीं सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया,  हीमोफीलिया, ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर, डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. जब दो लोग शादी करते हैं तो उन्हें नहीं पता होता कि उन्हें यह बीमारी हो सकती है जो बच्चे में भी ट्रांसफर हो सकती है इसलिए शादी से पहले मेडिकल टेस्ट कराना बेहद जरूरी है.  

तुरंत नहीं दिखते लक्षण
फीजिशियम संदीप नायर कहते हैं कि मेडिकल टेस्ट से भविष्य में होने वाली बीमारियों का पता समय से पहले लगाया जा सकता है. दरअसल ऐसी कई बीमारियां है  जिनके लक्षण तुरंत नहीं दिखते. लेकिन जब इंसान की उम्र बढ़ने लगती है तो उसकी इम्यूनिटी कम होने लगती है जिससे बीमारी सामने आने लगती है. अगर पहले से ही बीमारी का पता लग जाए तो इलाज संभव हो जाता है और व्यक्ति ठीक हो सकता है.

कई पीढ़ियों तक चलती है बीमारी
जेनेटिक बीमारियां जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होती हैं जो कई बार बच्चे को एबनॉर्मल बना सकती हैं. दरअसल हमारे शरीर में डीएनए होते हैं. इनकी गड़बड़ी जीन की म्यूटेशन को बिगाड़ सकती हैं. यह जेनेटिक बदलाव पैरेंट्स से बच्चे में जा सकते हैं. इंसान के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं जो 23 पेयर में होते हैं. हर क्रोमोसोम का पेयर पैरेंट्स से बनता है. अगर बच्चे में इससे ज्यादा क्रोमोसोम हो तो इसे ट्राइसोमी कहते हैं और अगर यह कम हो तो मोनोसोमी. जैसे जो बच्चे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं, उन्हें 21 पेयर की एक्स्ट्रा कॉपी होती है यानी 47 क्रोमोजोम होते हैं जो दिमाग के विकास पर असर डालते हैं. यूएस सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन वेबसाइट के अनुसार अगर माता-पिता में कोई जेनेटिक बीमारी है तो वह 50% तक बच्चे में ट्रांसफर हो सकती है. यह बीमारी एक पीढ़ी तक सीमित नहीं रहती. 

ये टेस्ट जरूर कराएं
खुशहाल शादी और स्वस्थ बच्चे के लिए हर कपल को जेनेटिक टेस्टिंग जरूर करानी चाहिए ताकि अगली पीढ़ी तक आनुवंशिक बीमारी ना पहुंच पाए. इस टेस्ट के लिए खून, बाल या स्किन के सैंपल लिए जाते हैं. दरअसल यह डीएनए के सैंपल होते हैं जिन्हें लैब में टेस्ट किया जाता है. सैंपल के प्रोटीन में होने वाले म्यूटेशन से बीमारी का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा हर कपल को एचआईवी टेस्ट, एसटीडी टेस्ट और इनफर्टिलिटी टेस्ट भी जरूर कराना चाहिए.  

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-which-disease-can-be-inherited-from-parent-to-children-why-genetic-disorder-tests-are-important-before-marriage-how-it-can-lead-to-happy-marriage-9139683.html

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