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शुरूआती स्टेज में कैंसर तो बच सकती है जान, लक्षण से लेकर टेस्ट तक सब जानें, आएगा काम


बिस्मा उन किस्मत वाले लोगों में से एक हैं जिन्होंने समय रहते इस कैंसर को डिटेक्ट कर लिया. एक्सपर्ट का मानना है कि 50% तक कैंसर से होने वाली मौतें रोकी जा सकती हैं अगर स्टेज-1 या स्टेज-2 में पता चल जाए.

दिल्ली एम्स में फोर्मर डीन और मैक्स हॉस्पिटल में ओंकोलॉजी डिपार्टमेंट के वाइस चेयरमैन पीके जुल्का ने बताया, “भारत में ज्यादातर मरीज स्टेज-3 या स्टेज-4 में पर आते हैं. ये मरीज अगर पहले डिटेक्ट कर लिए जाएं उतना बेहतर हो सकता है.”

डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2024 के अनुसार, दुनिया में हर साल 1.93 करोड़ नए मरीज सामने आते हैं, जबकि एक करोड़ मौतें कैंसर से होती हैं. भारत में आईसीएमआर नेशनल कैंसर रजिस्ट्री 2024 ने 14.6 लाख नए मामले दर्ज किए हैं. पुरुषों में मुँह का कैंसर सबसे आम है, महिलाओं में स्तन कैंसर और ग्रामीण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले ज्यादा हैं.

कब करवानी चाहिए जांच

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS), आईसीएमआर, टाटा मेमोरियल अस्पताल और अमेरिकी सीडीसी ने संयुक्त रूप से 2025 की नई कैंसर गाइडलाइंस जारी की हैं. इनमें कैंसर की जल्दी पहचान, चेतावनी और जोखिम कारकों पर विस्तार से बताया गया है. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने इस पर पूरी जानकारी दी है.

डा. पी.के. जुल्का ने बताया कि किसी व्यक्ति को अगर अचानक से कहीं खून आना शुरू हो जैसे पेशाब और गर्भाशय से तो मेडिकल सलाह लेना जरूरी होता है. इसके अलावा बार-बार स्टूल आने, अल्सर या फिर ब्रेस्ट या टेस्टिकल में गांठ दिखाई दे तो टेस्ट करवा लेना चाहिए.

स्तन कैंसर के लिए 40 से 45 साल की उम्र से मैमोग्राफी शुरू करें और हर 1 से 2 साल में दोहराएँ. यह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी और आईसीएमआर की सिफारिश है. जिन महिलाओं के परिवार में स्तन कैंसर रहा हो, उन्हें 30 साल से एमआरआई और मैमोग्राफी दोनों करवानी चाहिए.

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए 21 से 30 साल की उम्र से पैप स्मीयर या एचपीवी डीएनए टेस्ट शुरू करें. हर 3 से 5 साल में दोहराएँ. डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर की सलाह है. ग्रामीण क्षेत्रों में सिरके से विजुअल इंस्पेक्शन बहुत सस्ता और प्रभावी है.

कौन-कौन से टेस्ट करवाए जा सकते हैं.

अलग-अगल एजेंसीज ने हर तरह के कैंसर को लेकर टेस्ट सुझाए हैं. जिन्हें करवाकर भविष्य में होने वाली बीमारी से बचा जा सकता है.

आंत के कैंसर के लिए 45 साल से कोलोनोस्कोपी या स्टूल टेस्ट शुरू करें. कोलोनोस्कोपी हर 10 साल में करवाएँ. सीडीसी और एसीएस ने उम्र 50 से घटाकर 45 कर दी क्योंकि युवाओं में मामले बढ़ रहे हैं.

फेफड़े के कैंसर के लिए 50 से 80 साल के धूम्रपान करने वालों के लिए लो-डोज़ सीटी स्कैन सालाना करवाएँ. यह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की सिफारिश है.

मुँह के कैंसर के लिए तंबाकू, गुटखा या पान मसाला खाने वाले 30 साल से ऊपर के लोग हर 6 महीने में दंत चिकित्सक या ईएनटी डॉक्टर से मुँह की जाँच करवाएँ. यह आईसीएमआर और टाटा मेमोरियल की सिफारिश है.

प्रोस्टेट कैंसर के लिए 50 साल से पीएसए ब्लड टेस्ट और डीआरई करवाएँ. उच्च जोखिम वाले लोग 45 साल से शुरू करें.

वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने कहा, “कैंसर मौत की सज़ा नहीं है. लेकिन गरीब और मध्यम आय वाले देशों में 70% मरीज स्टेज-3 या स्टेज-4 में ही अस्पताल पहुँचते हैं. यह स्वास्थ्य व्यवस्था की नाकामी है.”

कम लागत वाले टेस्ट

आईसीएमआर ने 2024 में उत्तर प्रदेश और बिहार में 21 लाख महिलाओं की गर्भाशय कैंसर स्क्रीनिंग की. डा. पीके जुल्का के अनुसार, PAP और HAV जैसे टेस्ट तो काफी सस्ते हैं. आंगनबाड़ी और प्राइमरी हेल्थ केयर में ये 100 रूपए तक में हो जाते हैं और बीमारी से पहले पकड़ लेते हैं.

पैप और एचपीवी टेस्ट की आमतौर पर शहरों में लगभग 1500 से 4000 रूपए तक होती है. प्राइवेट में स्टैंडअलोन पैप टेस्ट की लागत ₹600 से ₹1,000 तक हो सकती है जबकि स्टैंडअलोन एचपीवी टेस्ट की लागत ₹1,500 से ₹2,000 या उससे अधिक हो सकती है.

टाटा मेमोरियल की पिंक चेन मोबाइल वैन ने महाराष्ट्र में 42 यूनिट चलाई हैं. स्तन कैंसर के 68% मामले स्टेज-1 में पकड़े गए, जिससे पाँच साल जीवित रहने की संभावना 92% तक पहुँच गई.

इसके अलावा कैंसर होने से पहले के लक्षण अगर दिखाई दे रहे हैं तो जांच करवा लें. सरकारी हस्पताल में ये काफी सस्ते हैं. प्राइवेट में सरकारी के मुकाबले 5 से 6 गुणा देना पड़ सकता है.

कैंसर के सबसे बड़े कारण

धूम्रपान या तंबाकू चबाना दुनिया में 22% और भारत में मुँह के कैंसर के 80% मामलों का कारण है. इसे पूरी तरह छोड़ दें.इसके अलावा शराब दूसरा सबसे बड़ा कारण है.

इसके अलावा मोटापा 4% से 8% कैंसर बढ़ाता है. बीएमआई 18 से 24 तक रखें.

एचपीवी वायरस गर्भाशय कैंसर का 4.5% कारण है.

हेपेटाइटिस बी या सी लीवर कैंसर के 70% मामलों का कारण है, इसलिए वैक्सीन और सुरक्षित ब्लड ही लें.

स्किन कैंसर का 90% कारण सूर्य की यूवी किरणें हैं, लेकिन एनआईएच के अनुसार भारत में इसका प्रतिशत 1% से कम है. इससे बचने के लिए एसपीएफ 30+ सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है.

बिस्मा की जीवनशैली और सबक

इसके अलावा एक बात और जो सबके लिए जानना जरूरी है. बिस्मा अपने काम में अच्छा कर रही थीं, लेकिन उनका काम का समय अनियमित था. वे रात-भर काम करना, कॉफी पर निर्भर रहना और नींद की कमी जैसी आदतें उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई थीं. इसलिए अपने लाइफस्टाइल में सुधार करें. अच्छा भोजन और एक्सरसाइज आपको कैंसर से छुटकारा दे सकती है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-how-to-detect-cancer-early-signs-of-cancer-what-are-risk-factors-9823988.html

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