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सर्दियों में नाभि में तेल डालना सिर्फ दादी–नानी का नुस्खा नहीं, बल्कि शरीर और त्वचा के लिए एक प्राकृतिक उपाय है. यह न केवल रूखी त्वचा, फटे होंठ और हाथ-पांव की ड्राइनेस को कम करता है, बल्कि पाचन सुधारने, पेट की गर्मी घटाने और जोड़ दर्द में राहत देने में भी मददगार माना जाता है. जानिए कैसे सही तरीके से नाभि में तेल लगाकर आप सर्दियों में शरीर को गर्म और स्वस्थ रख सकते हैं.

दादी–नानी के अनुसार नाभि को शरीर का केंद्र माना जाता है, गर्भावस्था के समय यहीं से शिशु को पोषण मिलता है, इसलिए बुजुर्गों का मानना रहा है कि नाभि शरीर के कई हिस्सों से जुड़ी होती है. सर्दियों में, जब शरीर में रूखापन और ठंड का असर बढ़ता है, तब नाभि में तेल डालने की परंपरा अपनाई जाती है ताकि शरीर में नमी बनी रहे और ठंड का असर कम हो.

ठंडी हवा और कम नमी के कारण सर्दियों में त्वचा सबसे अधिक प्रभावित होती है. दादी कहती थीं कि रात को सोने से पहले नाभि में सरसों का तेल, नारियल का तेल या देसी घी की 2–3 बूंदें डालने से त्वचा का रूखापन कम होता है. बुजुर्गों का अनुभव रहा है कि इससे होंठ फटना, एड़ियों में दरारें और हाथ-पैरों की ड्राइनेस भी धीरे-धीरे कम होने लगती है.

सर्दियों में जोड़ों का दर्द, कमर की अकड़न और शरीर में जकड़न आम समस्या होती है, दादी के नुस्खों में नाभि में हल्का गर्म किया हुआ सरसों का तेल या सरसों के तेल में लहसुन डालकर लगाने की सलाह दी जाती थी. माना जाता है कि इससे शरीर में गर्माहट आती है और ठंड से होने वाले दर्द में कुछ हद तक राहत महसूस होती है.
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नाभि में तेल डालते समय साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, सबसे पहले नाभि को अच्छी तरह साफ कर सूखा लें. इसके बाद साफ उंगली या ड्रॉपर की मदद से केवल 2–3 बूंद शुद्ध तेल लगाएं, दिन में बार-बार या ज्यादा मात्रा में तेल डालने से खुजली या संक्रमण की समस्या हो सकती है. यदि नाभि में पहले से घाव, खुजली या फंगल संक्रमण हो, तो यह उपाय नहीं अपनाना चाहिए.
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