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Luni Grass Benefits: साधारण सा दिखने वाली लूणी घास स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों के लिए वरदान है. पुराने समय में महिलाएं इसे चेहरे पर प्राकृतिक फाउंडेशन की तरह लगाती थीं, जिससे बिना मेकअप चेहरे पर निखार आता था. इसकी सब्जी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है, वहीं काढ़ा सर्दी-जुकाम, खांसी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है.

प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं, जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. ऐसा ही एक घासनुमा औषधि है लूणी भाजी. यह एक ऐसा खजाना है जो पुराने जमाने में महिलाओं का प्राकृतिक फाउंडेशन माना जाता था. पहले महिलाएं लूणी भाजी को पीसकर उसका लेप चहरे पर लगाती थी.

इससे बिना किसी मेकअप के चेहरा चमकता और प्राकृतिक निखार आ जाता था. यही कारण है कि इसे महिलाओं का प्राकृतिक फाउंडेशन भी कहा जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अंजू चौधरी ने बताया कि लूणी भाजी सिर्फ चेहरे की सुंदरता ही नहीं, बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी है. इसकी सब्जी भी बनाई जाती है और इसका स्वाद बेहद लाजवाब होता है.

लूणी भाजी का काढ़ा बनाकर भी इसका उपयोग किया जाता है. काढ़ा बनाने की प्रक्रिया भी आसान है. काढ़ा बनाने के लिए पहले लूणी भाजी को अच्छी तरह धो लें, अब उसमें थोड़ी सी अदरक और लाल शक्कर डालें. सबको पानी में डालकर करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबाले. तैयार काढा छानकर गुनगुना ही पीएं. इससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं.

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, लूणी भाजी शरीर को भीतर से साफ करता है और सर्दी जुकाम में राहत देता है. यह त्वचा रोगों को ठीक करने में मदद करता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है. यानी खेतों में उगने वाली ये साधारण सी दिखने वाली घास असल में सुंदरता और स्वास्थ्य दोनों का साथी है. पुराने जमाने की महिलाएं इस रहस्य को जानती थी, इसलिए इसका उपयोग करती थी.

लूणी भाजी का उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है. इसके उपयोग से अनेकों आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं. चेहरे पर लूणी भाजी का लेप लगाने से बिना मेकअप ही निखार आ जाता है. इसलिए इसे पुराने जमाने में प्राकृतिक फाउंडेशन कहा जाता था. लूणी भाजी न सिर्फ सुंदरता बढ़ाती है बल्कि सेहत की भी रखवाली करती है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को डिटॉक्स करने का काम करते हैं.

इसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है. यही कारण है कि गांवों में इसे नियमित आहार का हिस्सा बनाया जाता रहा है. डॉ. अंजू चौधरी के अनुसार, लूणी भाजी का काढ़ा खासतौर पर सर्दी-जुकाम और खांसी में असरदार है. इसमें अदरक और लाल शक्कर डालकर उबालने से यह प्राकृतिक औषधि का काम करती है. गुनगुना पीने पर गले की खराश दूर होती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है.

इस भाजी की सब्जी भी बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे हरी सब्जी की तरह पकाकर खाया जाता है. इसमें कैल्शियम और आयरन की भरपूर मात्रा मिलती है, जो हड्डियों और खून की कमी को पूरा करने में सहायक है. यही वजह है कि इसे देसी टॉनिक भी माना जाता है.
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