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सांप के जहर से भी विषैली है यह बूटी, कुत्ता काटने के इलाज में करती है काम



सोनभद्र: आपने सुना होगा कि लोहा लोहे को काटता है. इसी तरह एक जहर के असर को दूसरे जहर से ही खत्म किया जाता है. आधुनिक समय से पहले सांप के डसने, कुत्ते के काटने और बिच्छू के डंक मारने का इलाज इसी तरह की जहरीली जड़ी-बूटियों से किया जाता रहा है. बस उनके इस्तेमाल का सही तरीका और सही डोज पता होना चाहिए. थोड़ी भी लापरवाही से जान बचने की जगह जान जा भी सकती है. इस धरती पर एक से बढ़कर ऐसी-ऐसी चीजें हैं जो लोगों की जान बचाती हैं और शरीर के विष को भी ठीक कर देती हैं. आज ऐसी ही एक बूटी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल कुत्ते के काटने का इलाज करने के लिए किया जाता है.

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के अगोरी किले के प्रवेश द्वार पर मां दुर्गा की एक प्रतिमा लगी है. प्रसिद्ध लोक गायक लोरिक ने अपने गाने में इसका जिक्र किया है कि उनकी प्रेमिका वीर लोरिक कि जब शादी होती है तो वह किले के दरवाजे पर विराजमान मां दुर्गा का दर्शन करने जाते हैं. मंजरी और वीर लोरिक विजय का आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा से मां दुर्गा का दर्शन करने गए थे. इसके साथ ही वहां के राजा मोलागत से भयंकर युद्ध और हार की आशंका को देखते हुए मंजरी ने अपने आंचल में माहुर अर्थात (विष या जहर) बांधकर रखा था.

मंजरी का प्लान था कि अगर युद्ध में हार की स्थिति होती है तो वह दुश्मन राजा के हाथ में आने से पहले ही माहुर यानी जहर खा लेगी और मर जाएगी. इससे वह जीते जी दुश्मन राजा के हाथ नहीं लगेगी. हालांकि, मंजरी के प्रेमी वीर लोरिक को इस बात की भनक लग चुकी थी. इसके बाद मंजरी को बहला फुसलाकर छल से उसने विष यानी माहुर को छीन कर तलवार से प्रहार कर विश को दो टुकड़े में विभक्त कर दिया. उसके टुकड़े दूर जाकर गिरे और वहां वह जहरीला पौधा कुचला के नाम से विख्यात हो गया.

कुचला ऐसे तो बहुत ही विशधर माना जाता है लेकिन इसको आयुर्वेद औषधीय के रूप में प्रयोग भी किया जाता है. स्थानीय लोगों की मानें तो अगर किसी को कुत्ते द्वारा काट लिया जाता है तो उस कुचले के फल को रगड़कर घाव पर लगाने से कुत्ते के विश का असर समाप्त हो जाता है. इस बारे में वहां के स्थानीय निवासी संबंधित किले के जानकार मुराहू खरवार ने Bharat.one से खास बात चीत में बताया कि वीर लोरिक और मंजरी का प्रेम विवाह हुआ. इस दौरान जब राज मोलागत से युद्ध हो रहा था तो मंजरी को भय था कि लोरिक मारा जा सकता है. उसने यह निश्चय किया था कि अगर लोरिक मारा जाता है तो वह कुचिला नामक इस जहर का सेवन कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेगी किंतु ऐसा हुआ नहीं.

भीषण युद्ध में लोरिक की जीत हुई और फिर उसने उस जहर के दो टुकड़े करके फेंक दिया जो यहां के पास में ही पाया जाता है. इसका उपयोग कुत्ते के काटने से लेकर बिच्छू के डंक मारने तक में इस्तेमाल किया जाता है. कुत्ते और बिच्छू के विष को समाप्त करने के लिए आज भी इस माहुर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही अन्य कुछ बीमारियों में भी औषधीय रूप में इसका इस्तेमाल होता है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-remedy-for-dog-bites-treatment-at-home-in-hindi-kutta-kaatne-ki-jadi-buti-local18-8886319.html

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