Rabies risk: रेबीज के खतरे को देखते हुए ही दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की नसबंदी का फैसला किया गया है. हालांकि सिर्फ कुत्ते ही नहीं बिल्ली और बंदर के काटने से भी रेबीज हो सकता है और यही वजह है कि अगर किसी को इनमें से कोई जानवर काट लेता है तो उसे तुरंत एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है. इतना ही नहीं अस्पताल पहुंचने से पहले ही घाव को बहते पानी और साबुन से करीब 20 मिनट तक लगातार धोते रहने की सलाह भी दी जाती है ताकि रेबीज फैलने का 80 फीसदी खतरा कम किया जा सके .
लेकिन शहर हों या गांव देखा जाता है कि सिर्फ कुत्ते, बिल्ली और बंदर ही नहीं बल्कि घरों में छोटे जानवर जैसे चूहे और छछूंदर भी काट लेते हैं. वहीं पार्क या खेतों में खेलते बच्चों को मोल या नेवले आदि भी काट लेते हैं, तो क्या इन जानवरों के काटने से भी रेबीज हो सकता है?
आपको बता दें कि कुत्ते और बंदर की तरह इन जानवरों का काटना भी खतरनाक हो सकता है. इनसे भी रेबीज रोग फैल सकता है और मरीज की मौत तक हो सकती है, हालांकि इसे लेकर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रेबीज की रोकथाम और बचाव के लिए गाइडलाइंस इसे लेकर विस्तार से बताती हैं.गाइडलाइंस कहती हैं कि कुत्ता-बिल्ली बंदर आदि जानवरों के काटने से रेबीज रोग हो सकता है, इसलिए रेबीज की वैक्सीन लगवानी बेहद जरूरी है, लेकिन घरों में रहने वाले कुछ छोटे जानवर भी काट लें तो खतरा पैदा हो सकता है.
एनसीडीसी की गाइडलाइंस बताती हैं कि सामान्य तौर पर घर में घूमने वाले चूहों के काटने से रेबीज का ट्रांसमिशन नहीं होता है. इसलिए, माना जाता है कि अगर चूहा दांत मार जाए तो रेबीज वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन जिस जगह चूहे ने काटा है, उस घाव को तत्काल बहते पानी और साबुन से धोने की जरूरत होती है. साथ ही यह भी देखना चाहिए कि घाव कितना बड़ा है. अगर घाव बड़ा है तो उसे तुरंत अस्पताल में जाकर दिखाना चाहिए और डॉक्टर उसे देखकर आपको एंटी टिटनेस का इंजेक्शन दे सकता है.
कई बार मरीज किसी जानवर के काटने की हिस्ट्री तो बताता है लेकिन वह सही नहीं मालूम पड़ती क्योंकि वह या तो कन्फ्यूज रहता है, या उसे ठीक से जानवर के बारे में पता नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में संभव है कि वह जिसे चूहा समझ रहा है, वह छछुंदर, नेवला या मोल हो. इसलिए बचाव के लिए जरूरी है कि मरीज को एंटी रेबीज का वैक्सीनेशन कराने जाना चाहिए.
इसके अलावा अगर आप जंगल या खेत में हैं और वहां आपको नेवला, खरगोश, चूहा, छछुंदर या कोई भी रोडेंट काट ले तो पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस यानि रेबीज के टीके जरूर ही लगवाने चाहिए क्योंकि इन जंगली जानवरों से रेबीज होने का खतरा ज्यादा होता है.
बहुत खतरनाक होता है रेबीज
एनसीडीसी के मुताबिक रेबीज की रोकथाम संभव है लेकिन अगर रेबीज रोग एक बार हो जाए तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता है. यह 100 फीसदी फैटल है. इसके होने के बाद पीड़ित व्यक्ति की जान चली जाती है. वहीं एक और बात है कि जिस जानवर ने काटा है, वह रेबिड है या नहीं, इसका भी पता नहीं चल पाता है, इसलिए रेबीज वैक्सीनेशन जरूरी हो जाता है.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-not-only-dog-cat-and-monkey-these-small-animals-rodents-can-spread-rabies-ncdc-guidelines-advice-vaccination-mandatory-ws-kl-9796798.html

 
                                    
