Sunday, December 7, 2025
22 C
Surat

सीताराम येचुरी की डेड बॉडी AIIMS को दी गई दान, देहदान के बाद क्‍या होता है शव के साथ? जानें


सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 साल की उम्र में एम्‍स दिल्‍ली में निधन हो गया था. जिसके बाद उनकी इच्‍छानुसार परिवार ने उनकी डेड बॉडी एम्‍स को ही दान कर दी. अंतिम दर्शनों के बाद येचुरी के शव को एम्‍स के एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया जाएगा. हालांकि जानना दिलचस्‍प है कि आखिर अस्‍पताल में दान की गई डेड बॉडी के साथ होता क्‍या है? यह शव कितने दिन तक अस्‍पताल में रखा रहता है? क्‍या फिर से कोई परिजन उसे वापस मांग सकता है? क्‍या अस्‍पताल वाले उस शव का दाह-संस्‍कार भी करते हैं? आइए इन सभी सवालों का जवाब पॉइंट्स में जानते हैं ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र से…

डेड बॉडी का क्‍या होता है इस्‍तेमाल?
डॉ. मिश्र कहते हैं कि जब भी कोई दान की हुई देह अस्‍पताल में आती है तो व‍ह अक्‍सर एनाटॉमी विभाग में ही जाती है, क्‍योंकि एमबीबीएस करने वाला हर छात्र इस विषय को पढ़ता है और शव की चीर-फाड़ यानि डिसेक्‍शन के माध्‍यम से बेसिक शारीरिक संरचना और विभिन्‍न अंगों की सर्जरी प्रक्रियाएं सीखता है.

ये भी पढ़ें 

बरसात में चाय-पकौड़े ही क्‍यों आते हैं याद, कुछ और क्‍यों नहीं? सिर्फ स्‍वाद नहीं, ये है वैज्ञानिक कारण

सबसे पहले बॉडी को करते हैं सुरक्षित
मृत्‍यु के एक दो दिन के बाद ही शरीर सड़ने लगता है, उसमें बैक्‍टीरिया पनपने लगते हैं, ऐसे में सबसे जरूरी है कि दान की गई देह को सुरक्षित किया जाए. इसके लिए कई तकनीकें अपनाई जाती हैं. इनमें एक है थील तकनीक. इसमें शव के ऊपर एक लेप लगाया जाता है. ऐसा करने से शव नरम बना रहता है और उसमें बैक्‍टीरिया भी नहीं पनपते. इस तकनीक में गंध भी कम आती है, ऐसे में छात्रों को इसे छूने, काटने, पकड़ने में दिक्‍कत नहीं होती. इसके अलावा इस शव पर फॉर्मेलिन भी लगा सकते हैं, यह भी शव को मुलायम और प्राकृतिक स्‍वरूप में रखता है.

साथ ही डेड बॉडी में एक सॉल्‍यूशन भी इंजेक्‍ट किया जाता है. ऐसा करने से जब तक बॉडी को रखना चाहें, रख सकते हैं. इसमें खराबी नहीं आती है.

फिर शव की करते हैं चीर-फाड़
जब शरीर को सुरक्षित कर लिया जाता है तो उसे डॉक्‍टरी की पढ़ाई कर रहे छात्रों के बीच ले जाया जाता है. यहां अलग-अलग ग्रुपों में छात्रों को बांटकर शव के अलग-अलग अंगों का डिसेक्‍शन करने के लिए दिया जाता है. एनाटमी में गर्दन, पेट, हाथ, पैर सभी की अलग-अलग चीर-फाड़ करके अंगों के अंदर की बारीकियों को समझते हैं. ऐसा तब तक किया जाता है जब त‍क कि शव पूरी तरह इस्‍तेमाल नहीं हो जाता. ऐसा करके छात्र पढ़ाई के साथ-साथ रिसर्च वर्क भी करते हैं.

निकाल लेते हैं हड्डियां
इसके बाद शव के क्षत-विक्षत हो जाने पर उसमें से हड्डियों को निकाल लिया जाता है. इन हड्डियों से भी छात्र आगे पढ़ाई करते हैं. जबकि बाकी शरीर को डिस्‍पोज ऑफ कर दिया जाता है.

क्‍या परिवार को वापस किया जाता है शव?
देहदान के बाद शव को परिवार को वापस नहीं किया जाता है. न ही परिवार वाले भी शव मांगने के लिए अस्‍पताल में अर्जी लगाते हैं. अगर कोई अस्थियां मांगता भी है तो, अस्‍पताल इसे लेकर रजामंद हो भी सकता है और दे भी सकता है. आमतौर पर ऐसा होता नहीं है.

शव का करते हैं अंतिम संस्‍कार?
डॉ. मिश्र कहते हैं कि डिसेक्‍शन के बाद और हड्डियां निकालने के बाद शव में ऐसा कुछ बचता नहीं है कि उसे दाह-संस्‍कार या दफनाया जाए. अस्‍पताल के नियमानुसार उसे डिस्‍पोज ऑफ कर दिया जाता है.

कितने साल इस्‍तेमाल होता है शव?
डॉ. मिश्र बताते हैं कि इंग्‍लैंड में शव को रखने का अधिकतम 7 साल का नियम है, लेकिन भारत में ऐसा कोई नियम नहीं है. जब 50-100 छात्र मिलकर पूरे शरीर का डिसेक्‍शन करेंगे तो डेडबॉडी एक ही सेशन चल पाती है.

क्‍या है देहदान का फायदा?
डॉ. मिश्र बताते हैं कि एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए शवदान या देहदान बहुत उपयोगी है. एमबीबीएस के हर छात्र को शुरुआत में एनाटॉमी की पढ़ाई में डिसेक्‍शन करना होता है, ऐसे में डेड बॉडीज तो चाहिए ही. अगर कोई इच्‍छा से दान करता है, तो यह और भी बेहतर है.

ये भी पढ़ें 

क्या 18 साल के बाद भी बढ़ सकती है हाइट? एक्‍सपर्ट ने बताई 3 चीज, लंबाई का सपना होगा पूरा


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/knowledge/what-happens-with-dead-body-after-donation-dehdan-ke-bad-shav-ke-sath-kya-hota-hai-as-cpim-leader-sitaram-yechuri-deadbody-donated-to-aiims-delhi-8684169.html

Hot this week

aaj ka Vrishchik rashifal 08 December 2025 Scorpio horoscope in hindi Raj Samman Yog for Vrishchik Rashi Today

Last Updated:December 08, 2025, 00:07 ISTAaj ka Vrishchik...

Indresh Maharaj Wedding। किलोल कुंज रस्म

Kilol Kunj Ceremony : इंद्रेश उपाध्याय की शादी...

Bihari special barabar ki chutney recipe: बिहार की खास बराबर चटनी रेसिपी: अमचूर संग सर्दियों का स्वाद

बिहार की पारंपरिक रेसिपीज़ में कई ऐसी डिशेज...

Topics

Indresh Maharaj Wedding। किलोल कुंज रस्म

Kilol Kunj Ceremony : इंद्रेश उपाध्याय की शादी...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img