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सैकड़ों बीमारियों का इलाज ये पहाड़ी बूटी, हर दर्द की दवा, हर मर्ज का उपचार


Agency:Bharat.one Uttarakhand

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Jatamansi herb Bageshwar : जटामांसी को पहाड़ों की दिव्य औषधि कहते हैं. इसका यूज तीखे महक वाले इत्र बनाने में भी होता है. जटामांसी का वास्तुकला और धार्मिक कार्यक्रमों में भी इस्तेमाल होता है. इसे…

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जटामांसी 

जटामांसी 

हाइलाइट्स

  • जटामांसी पहाड़ों की दिव्य औषधि है.
  • जटामांसी से बनाया जाता है तीखे महक वाला इत्र.
  • जटामांसी 50-60 रुपये तोला बिकता है.

बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर में जड़ी-बूटी का खूब उत्पादन होता है. यहां औषधीय गुण से भरपूर कई जड़ी-बूटियां उगाई और बेची जाती हैं. इन्हीं में से एक जड़ी-बूटी ‘जटामांसी’ भी है. जटामांसी (Jatamansi herb) सहपुष्पी औषधीय पौधा है, जिसका यूज तीखे महक वाले इत्र बनाने में किया जाता है. इसे जटामांसी इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी जड़ों में जटा या बाल जैसे तंतु लगे होते हैं. इन्हें बालझड़ भी कहते हैं. आयुर्वेद के अनुसार जटामांसी सैकड़ों बीमारियों में इस्तेमाल होती है. जटामांसी को पहाड़ों की दिव्य औषधि माना जाता है.

60 रुपये तोला

बागेश्वर की रहने वाली विमला दानू Bharat.one से कहती हैं कि जाटामांसी एक बहुउपयोगी औषधि है. इसका वास्तुकला, धार्मिक कार्यक्रमों और दवा के रूप में यूज किया जाता है. ये बागेश्वर के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होता है. बागेश्वर की सरस मार्केट में जाटामांसी मुनस्यारी, खाती और पिंडारी आदि हिमालयी क्षेत्रों से आता है. बाजार में जटामांसी 50 रुपये से लेकर 60 रुपये तोला बिकता है. इसकी खूब डिमांड रहती है.

पूजा-पाठ में भी काम

जटामांसी के तेल से वात संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं. आयुर्वेद में कई दवाइयां बनाने में इसका प्रयोग होता है. जटामांसी के पेड़ों की लंबाई कम होती है. इसे पेड़ की जड़ से निकाला जाता है. जाटामांसी दो प्रकार का होता है. एक को ‘जाटामांसी’ के नाम से जानते हैं. इसकी जटाएं बड़ी होती हैं. दूसरे को ‘मांसी’ के नाम से जाना जाता है. इसकी जटाएं छोटी-छोटी होती हैं. औषधीय गुण दोनों के समान हैं. पहाड़ में होने वाले पूजा-पाठ में भी जटामांसी का यूज किया जाता है.

बनाते हैं तेल

आयुर्वेद के अनुसार जटामांसी का सांस, खांसी, विष संबंधी बीमारी, विसर्प या हर्पिज, उन्माद या पागलपन, अपस्मार या मिर्गी, वातरक्त या गाउट, शोथ या सूजन आदि रोगों में यूज होता है. इन बीमारियों में अन्य द्रव्यों के साथ जटामांसी का प्रयोग किया जाता है. सुश्रुत-संहिता में व्रणितोपसनीय जटामांसी का उल्लेख मिलता है. सिर दर्द के लिए जटामांसी उत्कृष्ट औषधि है. ये बहुत ही स्वास्थ्यप्रद है. जटामांसी कमर दर्द, घुटनों में दर्द, पीट में दर्द और जोड़ों में दर्द से राहत दिलाता है. इन समस्याओं से राहत पाने के लिए जटामांसी का तेल बनाया जाता है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-jatamansi-herb-in-bageshwar-multi-purpose-cures-vaata-related-problems-local18-8998661.html

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