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काशमर्दा हेल्थ बेनिफिट: काशमर्दा एक औषधीय पौधा है जिसे आयुर्वेद में खांसी, जकड़न, बलगम और दमा के लिए प्राकृतिक इलाज माना जाता है. इसकी पत्तियों, फूलों और जड़ों से काढ़ा, चूर्ण और रस बनाकर उपयोग किया जाता है. यह फेफड़ों को साफ करता है, श्वसन नलियों की सूजन कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. नियमित सेवन से पुरानी खांसी, गले की खराश और सांस की समस्याओं में तेजी से राहत मिलती है.

प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, ऐसा हो एक पौधा है काशमर्दा, इसका प्रमुख रूप से खासी भगाओ टॉनिक के रूप में उपयोग में लिया जाता है. आयुर्वेद में काशमर्दा को औषधीय पौधा माना जाता है. इसके उपयोग से कई आयुर्वेदिक दवाएं भी बनती हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि काशमर्दा को खांसी, जकड़न और श्वास संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग में लिया जाता है. यह पौधा झाड़ी के रूप में पाया जाता है और अक्सर सड़क किनारे, खेतों की मेड़ों और खुली जगहों पर आसानी से उग आता है.

काशमर्दा का पूरा पौधा औषधीय गुणों वाला होता है. इसकी पत्तियों, फूलों और जड़ों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में काम में लिया जाता है. यह पौधा शरीर की श्वसन नलियों को साफ रखने में मदद करते हैं. इसलिए आयुर्वेद में इसे खांसी के बेहतरीन प्राकृतिक उपचार के रूप में माना गया है. काशमर्दा के पत्तों में कड़वाहट होती है, लेकिन यही कड़वाहट इसे खांसी और कफ को निकालने में बेहद प्रभावी बनाती है. यह कफ को ढीला करता है, गले में जमा बलगम को बाहर निकालने में सहायता करता है और श्वसन तंत्र की सूजन को कम करता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि इसकी जड़ें भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जिनका उपयोग पुरानी खांसी, दमा, हल्के बुखार और गले के संक्रमण में किया जाता है. यह पौधा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी धीरे-धीरे मजबूत बनाता है. उन्होंने बताया कि यह आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार काशमर्दा का रस गले को साफ करता है और सर्दी खांसी के दौरान होने वाली जलन को शांत करता है. जिन लोगों को बार-बार गले में खराश या खांसी की समस्या रहती है, उनके लिए यह पौधा बेहद लाभदायक माना जाता है.
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इसके सेवन से सांस लेने में आसानी होती है और फेफड़ों की शुद्धि भी धीरे-धीरे बढ़ती है. नियमित उपयोग से पुरानी खांसी भी धीरे-धीरे कम होने लगती है. आयुर्वेदिक चिकित्सक ने इसके उपयोग के तरीके के बारे में भी बताया है. उन्होंने बताया कि इसके ताजे पत्तों का काढ़ा खांसी में बहुत लाभ देता है. लगभग 10 से 12 पत्ते लेकर एक गिलास पानी में उबालें. जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर गुनगुना पी लें. दिन में एक या दो बार यह काढ़ा लेने से जिद्दी खांसी, गले की खराश और बलगम की समस्या में जल्दी राहत मिलती है. बच्चे भी इसे कम मात्रा में पी सकते हैं, लेकिन बहुत हल्का बनाकर देना चाहिए.

इसके अलावा इसके फूलों और जड़ों का चूर्ण भी खांसी और कफ को कम करने में कारगर माना जाता है. इसके लिए आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से गले की सूजन, खराश और बलगम बहुत हद तक कम होता है. यह तरीका खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है, जिन्हें बार-बार सूखी या कफ वाली खांसी होती है. इसके अलावा शहद इसके प्रभाव को और बढ़ा देता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि काशमर्दा की पत्तियों का रस भी श्वास संबंधित बीमारियां में रामबाण औषधि है. इसके उपयोग के लिए काशमर्दा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें थोड़ा अदरक रस और आधा चम्मच देशी घी मिलाकर दिन में दो बार लेने से श्वसन तंत्र की कमजोरी दूर होती है. यह नुस्खा दमा और पुरानी खांसी के मरीजों के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. इसके अलावा गले की जलन और सूखेपन में भी यह मिश्रण आराम देता है और फेफड़ों को अंदर से साफ करता है.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/health-how-kasamarda-helps-in-instant-relief-from-cough-and-throat-irritation-local18-9876863.html







