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dimagi bukhar ke kya lakshan hai: भोजपुर में मस्तिष्क ज्वर के दो मामले सामने आए हैं. यह बीमारी 1 से 15 वर्ष के बच्चों को अधिक प्रभावित करती है. सिविल सर्जन शिवेंद्र कु सीन्हा ने लक्षण और बचाव के उपाय बताए हैं.

इन दिनों ये बीमारी 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए हो रहा खतरनाक साबित,ऐसे पहचाने इस
भोजपुर: मस्तिष्क ज्वर बच्चों के लिए एक बेहद ही खतरनाक बीमारी है. इन दिनों यह बीमारी फिर से बढ़ी है. इस बीमारी की पहचान के लिए लक्षण की जानकारी होना भी अनिवार्य है. आरा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने इस बीमारी का लक्षण और इलाज भी बताया है. अब तक भोजपुर जिले में मस्तिष्क ज्वर के दो मामले सामने आए हैं. इसे लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है.
1 से 15 वर्ष के बच्चे होते हैं अधिक प्रभावित
चिकित्सकों के अनुसार मस्तिष्क ज्वर एक गंभीर बीमारी है, जो 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों को अधिक प्रभावित करती है. इसके लक्षणों में तेज बुखार, चमकी, सिरदर्द, भ्रम और बेहोशी शामिल हैं. यह बीमारी जापानी इंसेफलाइटिस, खसरा, मम्प्स, चेचक, कुपोषण, अधपकी लीची खाने और सुअरबाड़ा या जलपक्षियों के पास रहने वाले बच्चों में अधिक पाई जाती है.
बिहार में यह रोग पूरे साल सक्रिय रहता है, लेकिन अप्रैल से नवंबर के बीच इसके मामले अधिक आते हैं. इससे मृत्यु दर 20 से 30 प्रतिशत तक पाई गई है. रोग से बचाव के लिए निम्न बातें सुझाई गई हैं. बच्चों को रात में भरपेट भोजन कराएं. सुबह और रात में उनकी स्थिति जांचें. तेज धूप से बचाएं. दिन में दो बार स्नान कराएं. ओआरएस और नींबू पानी चीनी का घोल पिलाएं. किसी भी लक्षण पर तुरंत 102 एम्बुलेंस या अन्य वाहन से अस्पताल पहुंचाएं.
सिविल सर्जन शिवेंद्र सिन्हा ने बताया कि इसके रोकथाम के लिए स्वच्छता संबंधी व्यवहारों का जरूर पालन करें. बच्चों और बड़ों को खाने से पहले और शौचालय के बाद हाथों को साबुन से धोने की आदत होनी चाहिए. बच्चों को साफ और उबला हुआ पानी ही पीने के लिए दें. उनके खाने में तरल तथा पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करें. छोटे बच्चों को माताएं अधिकाधिक स्तनपान कराएं और दूध पिलाने के लिए बोतल इस्तेमाल न करें. शिशुओं की साफ सफाई सहित खाना आदि बनाए जाने के दौरान स्वच्छता बरतें. बच्चों के व्यक्तिगत स्वच्छता की चीजें जैसे ब्रश, जूठा खाना या ऐसी अन्य प्रकार की वस्तुओं को साझा न करने की हिदायत दें. खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को रूमाल से ढंकने की आदत डालें. ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचें जिन्हें मेनिनजाइटिस हुआ हो.
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