Ayurvedic Cure for Bad Breath: कई लोगों के मुंह से दुर्गंध आती है, जिसकी वजह से वे खुलकर बात भी नहीं कर पाते हैं. मुंह की बदबू लोगों के लिए शर्म का कारण बन जाती है और इससे लोग मेंटली परेशान हो जाते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो मुंह में दुर्गंध की समस्या सिर्फ मुंह से जुड़ी नहीं होती है, बल्कि इसका पेट से भी गहरा संबंध होता है. पाचन संबंधी परेशानी होने की वजह से भी मुंह से दुर्गंध आती है. आयुर्वेद में मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए कई तरीके बताए गए हैं, जो बेहद असरदार साबित हो सकते हैं. इनसे न सिर्फ मुंह की बदबू दूर हो जाएगी, बल्कि मसूड़ों की सेहत में भी सुधार आ जाएगा.
शरीर में पानी की कमी भी मुंह की दुर्गंध का कारण हो सकती है. आयुर्वेद में ओरल हेल्थ के लिए 4 विधियों का जिक्र किया है, जिनमें दंतधावन (ब्रशिंग), गंडुष (ऑयल पुलिंग), जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) और कावाला (गरारे) जैसी दैनिक क्रियाएं शामिल हैं. इन विधियों का पालन करने से मुंह की दुर्गंध दूर होगी, दांतों को मजबूती मिलेगी, मसूड़ों से खून आने की समस्या का निदान होगा और दांतों की चमक भी बरकरार रहेगी.
मुंह की दुर्गंध मिटाएंगे ये 4 आयुर्वेदिक तरीके
सबसे पहले दंतधावन यानी ब्रशिंग करनी चाहिए. आज के समय में सभी प्लास्टिक के ब्रश पर निर्भर हैं. ऐसे में फ्लोराइड से बने टूथपेस्ट का इस्तेमाल ज्यादा करें और धीरे-धीरे दांतों को ब्रश करें. तेजी से ब्रश करने से मसूड़े कमजोर होते हैं. आयुर्वेद में दांतों को नीम की टहनियों से साफ करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो दांत के साथ-साथ पेट को भी साफ करते हैं. इसके अलावा हर्बल दंत चूर्ण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
दंतधावन के बाद गंडुष (ऑयल पुलिंग) करना चाहिए. गंडुष करने से दांतों के कोने में छिपे बैक्टीरिया को भी बाहर किया जा सकता है और प्लाक जमने से भी रोकता है. ऑयल पुलिंग के लिए नारियल का तेल, जैतून का तेल और तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. ध्यान में रखें कि पुलिंग को 2 से 3 मिनट मुंह में रखने के बाद बाहर निकाल दें.
जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) करना भी जरूरी है, क्योंकि ब्रश करने से दांत साफ हो जाते हैं लेकिन जीभ रह जाती है. जीभ पर बहुत सारे बैक्टीरिया जमा होते हैं, जो खाने के बाद जीभ पर चिपक जाते हैं. ऐसे में खुरचनी की सहायता से जीभ को धीरे-धीरे साफ करें.
कावाला (गरारे) को आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस क्रिया की मदद से गले में जमा बैक्टीरिया भी साफ हो जाते हैं. गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा किया जा सकता है. इसके साथ पानी में तुलसी और हल्दी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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