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Cardiac arrest in 8 years old girl: बेंगलुरु में क्लास 3 की एक बच्ची की मौत कार्डिएक अरेस्ट से हो गई. यह खबर बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट अटैक के मामले आते नहीं है. आखिर इसका क्या कारण है,…और पढ़ें
![8 साल की बच्ची को आ गया कार्डिएक अरेस्ट, क्या ऐसा भी हो सकता है? 8 साल की बच्ची को आ गया कार्डिएक अरेस्ट, क्या ऐसा भी हो सकता है?](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/01/cardiac-arrest-in-children-2025-01-202497a61d25c3c0a8723f6a8dae30a4-3x2.jpg?impolicy=website&width=360&height=270)
बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट. (सांकेतिक तस्वीर)
हाइलाइट्स
- बेंगलुरु में 8 साल की बच्ची को कार्डिएक अरेस्ट.
- बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट बहुत ही रेयर.
- लेकिन क्या है इसकी वजह, जानें.
Cardiac arrest in 8 years old girl: बेंगलुरु में एक 8 साल की बच्ची को कार्डिएक अरेस्ट आ गया. इससे मासूम की मौत हो गई. कार्डिएक अरेस्ट का मतलब है कि हार्ट ने काम करना बंद कर दिया. क्या ऐसा हो सकता है क्योंकि हार्ट से संबंधित परेशानियां आमतौर पर 18-20 साल के बाद ही होती है लेकिन इस मासूम बच्ची की मौत ने सबको हैरान कर दया है. इससे पहले अलीगढ़ में एक 4 साल के बच्चे की मौत भी कार्डिएक अरेस्ट से हो गई थी. आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है. क्या 10 साल से कम उम्र के बच्चे भी कार्डिएक अरेस्ट के शिकार हो सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.
इंडिया टूडे की रिपोर्ट में एसिएन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद में सीनियर कंसल्टेंट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रतीक चौधरी ने बताया कि बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट के मामले बहुत ही दुर्लभ है. एक लाख कार्डिएक अरेस्ट में 1 से 3 बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट के मामले आते हैं. इसी से समझा जा सकता है कि बच्चों में इसका खतरा कितना कम है लेकिन यह दुखद है. कार्डिएक अरेस्ट के कई कारण हो सकते हैं लेकिन आधे मामलों में कारणों का पता भी नहीं चलता. कार्डिएक अरेस्ट में अचानक हार्ट पंप करना बंद कर देता जिसके कारण अचानक रोगी की मौत हो जाती है. अगर तत्कार सीपीआर दे दिया जाए और अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो मरीज की जान बच सकती है लेकिन दुर्भाग्य से अधिकांश लोगों को सीपीआर देना नहीं आता और मरीज की मौत हो जाती है. ऐसे में इसके कारणों को समझना जरूरी है.
कार्डिएक अरेस्ट के कारण
डॉ. प्रतीक चौधरी ने बताया कि जब हार्ट में इंफेक्शन से मायोकार्डाइटिस हो जाता है तो हार्ट के मसल्स खराब होने लगते हैं. इससे अचानक कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है. बच्चे के केस में अक्सर ऐसा हो सकता है. वहीं अगर किसी को कैंसर है तो इससे भी कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है. अगर बहुत गंभीर चोटें लग जाती है तो यह कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती हैं. कभी-कभी ड्रग्स का ओवरडोज़ भी इसका कारण हो सकता है. कुछ व्यक्तियों में यह हार्ट की बीमारी जन्मजात या जेनेटिक होती है इससे भी सडेन कार्डिएक अरेस्ट आ जाता है.
हार्ट की धड़कन की असामान्यता कार्डिएक अरेस्ट का सबसे बड़ा कारण है. यह 1 से 35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में अचानक कार्डियक डेथ का सबसे सामान्य कारण है. हैदराबाद में अपोलो क्लीनिक की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. त्रिप्ती देब बताती है कि अगर फर्स्ट डिग्री रिलेशन में किसी को पहले से इस तरह की बीमारी है तो उसके बच्चे में भी यह हो सकता है. इन व्यक्तियों को 10 साल की उम्र तक लिपोप्रोटीन A और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना चाहिए ताकि हार्ट की स्थिति के बारे में पता चल सके.
इसके अलावा अगर हार्ट की मांसपेशियों की संरचनात्मक या कार्यात्मक गड़बड़ियों है तो भी कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है जैसे कि हृदय की मांसपेशी का मोटा होना. यह युवा में अचानक कार्डियक डेथ का प्रमुख कारण है. अगर हार्ट में कोशिकाओं के स्तर पर गड़बड़ियां है तो इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी या अधिकता से भी कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है.
कार्डिएक अरेस्ट से कैसे बचें
डॉ. प्रतीक चौधरी ने बताया कि अगर किसी के परिवार में हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की हिस्ट्री है तो उसे 10 साल की उम्र में ही हार्ट से संबंधित टेस्ट कराना चाहिए. हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से पहले कोई लक्षण सामने नहीं आता. इसलिए हर साल रेगुलर लिपिड प्रोफाइल, ट्रेडमील टेस्ट, ईसीजी जैसे हार्ट टेस्ट कराना चाहिए. इसके लिए डॉक्टर से बात कर उनसे सलाह लेनी चाहिए. सामान्य तौर पर हार्ट से जुड़ी बीमारियों से बचने के लिए हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज जरूरी है. पर्याप्त नींद और तनाव रहित जीवन भी जरूरी है.
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