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80 साल की दादी… बिना चश्मा फटाफट पढ़ती हैं अखबार, कारण जान आप भी हो जाएंगे हैरान


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Jehanabad News: आज के समय में आंख में चश्मा लगने की समस्या आम सी हो गई है. बच्चे हो या जवान आंख पर चश्मा लटकाए हुए मिल ही जाएंगे, लेकिन आज एक ऐसी बुजुर्ग महिला की बात करने जा रहे हैं, जिनकी उम्र करीब 80 साल हो …और पढ़ें

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अखबार पढ़ती 80 साल की दादी

हाइलाइट्स

  • कुंती देवी 80 साल की हैं और बिना चश्मा अखबार पढ़ती हैं.
  • उनका स्वस्थ्य रहस्य दूध, दही, मक्खन और छाछ है.
  • सही खानपान से आंख और दांत स्वस्थ रहते हैं.

जहानाबाद.  बिहार के जहानाबाद में काको की रहने वाली कुंती देवी 80 साल की हैं. वह पांचवीं कक्षा तक पढ़ी हुई हैं. हालांकि, अखबार पढ़ना उनका रोजाना का रूटीन है. सुबह-सुबह ही वह अखबार लेकर बैठ जाती हैं. हालांकि, उनको इस उम्र में अखबार पढ़ने के लिए आंख में चश्मा नहीं लगाना पड़ता है.

कुंती देवी आज भी बिना चश्मा के किताबें और अखबार पढ़ती हैं, जिसका कारण उनका खान पान है. वह कहती हैं कि ‘हमे तो शुरू से ही दूध, दही, मक्खन और छाछ मिला है. हम नानी घर में रह हलियो तब वहां हमर नानी मट्ठा मह हलथिन तब वहीं पर बैठे लगी बोल दे हलथीन और जब मक्खन निकलतो हल न तब दबा के खा हली’ इस कारण से आज भी हम चश्मा आंख में नहीं लगाते हैं. पहले के समय में इतनी सुविधा नहीं होने से हम सब मक्का, दर्रा, दूध, दही खाकर रह लेते थे. आज उन्हीं सब के कारण से हम स्वस्थ हैं. आज भी मस्त हैं और पढ़े के मन भी करता है.

शादी, पढ़ाई के बारे में बताई कहानी 
कुंती देवी बताती हैं हमारी पढ़ाई पांचवीं कक्षा तक हुई है. गांव में पांचवीं कक्षा तक ही स्कूल था, जिसके कारण हम इसी वर्ग तक पढ़ पाएं. पहले से अब तक क्या बदला, इस सवाल पर वो कहती हैं कि पहले हम चिट्ठियां भेजा करते थे. दो तीन दिन इस चिट्ठी को गंतव्य तक पहुंचने में वक्त लगता था, लेकिन आज अब ये स्थिति बदल चुकी है. अब मिनट में ही किसी का हाल को जान लेते हैं. यही काम पहले इतनी सरलता से नहीं हो पाता था. हमारी शादी सिर्फ 15 साल की उम्र में हो गई थी. उस वक्त तो हमारी बारात ट्रेन से बेलागंज पहुंची थी. ट्रेन भी वो वाली जो कोयला पानी से चलती थी. डोली से बेलागंज स्टेशन तक आते और वहां से जहानाबाद स्टेशन तक पहुंचते. इसके बाद फिर वहां से काको रिक्शा के जरिए घर तक आते थे.

लोगों को दिया ये संदेश 
वो आगे कहती हैं कि हम नानी के घर रहते थे. वहां उतना काम नहीं करते थे. ससुराल में कई तरह के काम करना सीख गए. यहां पर आने के बाद ढेंका चलाना सीखा. साथ ही कई अन्य काम करना सीख गए. आज की स्थिति को देख यह मालूम हो रहा है कि काम तो आसान हुआ है, लेकिन लोगों को खान पान पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि उनका शरीर स्वस्थ हो और मस्त रहें. बिना सही खान पान आपका न आंख लंबे समय तक टिक पाएगा और न ही दांत ठीक से चल पाएगा.

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80 साल की दादी… बिना चश्मा फटाफट पढ़ती हैं अखबार, बताई ये बड़ी वजह


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