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AI अब बेऔलाद माता-पिता को बच्चे पैदा करने में करेगा मदद, लेकिन होगा कैसे


ये क्या तकनीक है जिसने इस दंपत्ति की मदद की है. इस प्रक्रिया में क्या होता है और इसमें कितना खर्च आता है. साथ ही क्या भारत जैसे देशों में ये तकनीक आ चुकी है.

AI कैसे करेगा मदद?

इस स्पर्म ट्रेकिंग और रिकवरी (STAR) AI-आधारित माइक्रोफ्लुइडिक सिस्टम है, जो वीर्य में छिपे हुए या स्पर्म को पहचानने और अलग करने के लिए विकसित किया गया है. यह उन पुरुषों के लिए उपयोगी है जिन्हें एजूस्पर्मिया (वीर्य में स्पर्म बहुत कम होना) की समस्या है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 8 मिलियन से अधिक इमेजेस का विश्लेषण कर इस सिस्टम को ट्रेन किया, जो एक घंटे में पूरे नमूने को स्कैन कर लेता है.

यह तकनीक नॉन-इनवेसिव है, यानी इसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। स्टार IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) या ICSI (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) जैसे उपचारों के साथ जोड़कर उपयोग की जाती है. हाल के एक केस में, STAR ने केवल दो स्पर्म सेल्स को अलग किया, जिनका उपयोग ICSI में कर एक सफल गर्भावस्था हासिल हुई. यह उन मामलों में क्रांतिकारी है जहां पारंपरिक स्पर्म रिट्रीवल सर्जरी (जैसे TESE या microTESE) की आवश्यकता पड़ती है, जो महंगी और जोखिम भरी होती हैं.

स्टार को विकसित विकास डॉ. ज़ेव विलियम्स और उनकी टीम ने किया, जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर में काम कर रहे हैं.

स्टार कैसे काम करती है?

स्टार की प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमेटिक और AI-गाइडेड है. यह मैनुअल माइक्रोस्कोपी से कहीं अधिक सटीक है।

सैंपल क्लेक्शन: पुरुष से वीर्य का सैंपल लिया जाता है. एजूस्पर्मिया वाले मामलों में सैंपल में स्पर्म की संख्या बहुत कम होती है, और डेब्री में छिपे होते हैं।

AI-आधारित इमेजिंग: नमूने को हाई-पावर्ड इमेजिंग सिस्टम में डाला जाता है. AI एल्गोरिदम 8 मिलियन से अधिक ट्रेनिंग इमेजेस के आधार पर स्पर्म कोशिकाओं की पहचान करता है. यह सिस्टम एक घंटे में पूरे नमूने को स्कैन करता है, जो मैनुअल तरीके से हफ्तों ले सकता है.

माइक्रोफ्लुइडिक चिप का इस्तेमाल: पहचाने गए स्पर्म को एक माइक्रोफ्लुइडिक चिप में डायरेक्ट किया जाता है. यह चिप छोटे, बाल जैसे चैनल्स से बनी होती है. जो स्पर्म को अलग करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह डेब्री को अलग कर वायबल स्पर्म को आइसोलेट करती है.

आर्टिफिशियल फर्टिलाइजेशन: अलग किए गए स्पर्म को IVF लैब में ले जाया जाता है, जहां एकल स्पर्म को फीमेल एग में इंजेक्ट किया जाता है। यह आर्टिफिशियल फर्टिलाइजेशन को करता है।

यह प्रक्रिया नॉन-इनवेसिव है, यानी टेस्टिकल बायोप्सी या सर्जरी की जरूरत नहीं। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, STAR ने उन मामलों में सफलता दर बढ़ाई जहां पहले असफलता मिली थी। हालांकि, यह अभी क्लिनिकल ट्रायल्स के शुरुआती चरण में है और मुख्य रूप से US में उपलब्ध है।

भारत में अनुमानित खर्च कितना

स्टार एक नई तकनीक होने के कारण भारत में अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है. लेकिन समान स्पर्म रिट्रीवल प्रक्रियाओं (जैसे TESA, microTESE या ICSI) की लागत से तुलना की जा सकती है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में STAR का पूरा साइकल (स्कैनिंग + ICSI + IVF) लगभग 15 हजारे से लेकर 20 हजार डॉलर यानी 12-16 लाख रुपये का अनुमान है.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के डॉ. ज़ेव विलियम्स ने CNN को बताया, “STAR उन पुरुषों के लिए गेम-चेंजर है जिन्हें बताया गया कि वे कभी जैविक पिता नहीं बन सकते। यह तकनीक नॉन-इनवेसिव तरीके से दुर्लभ स्पर्म को ढूंढती है, जो लाखों जोड़ों को नई उम्मीद देगी।”

इंडिया टुडे (4 नवंबर 2025) में डॉ. अनुरागा मलिक (फर्टिलिटी विशेषज्ञ) ने टिप्पणी की, “भारत में 15% जोड़े बांझपन से प्रभावित हैं, और STAR जैसी तकनीक यहां पहुंचने पर लाखों परिवारों को फायदा पहुंचाएगी। लेकिन लागत और पहुंच बढ़ानी होगी।”


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-sperm-tracking-and-recovery-star-ai-based-for-azoospermia-9815558.html

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