Monday, September 22, 2025
25.9 C
Surat

AI और रेटिनल इमेजिंग से डायबिटीज, हार्ट, किडनी रोग की पहचान


Last Updated:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ओक्युलोमिक्स जैसी तकनीकें रेटिना इमेजिंग से डायबिटीज, हार्ट, किडनी रोग की पहचान आसान बना रही हैं, लेकिन डेटा और पारदर्शिता चुनौतियां बनी हुई हैं.

AI बस आंखों से ही पता कर लेगा शुगर लेवल, किडनी और डिजीज भी करेगा डिटेक्टआंखों से ब्लड शुगर का टेस्ट.
आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने आंखों की स्टडी यानी ऑफ्थाल्मोलॉजी के क्षेत्र को नई दिशा दी है. आज एआई और मशीन लर्निंग के जरिए रेटिना की तस्वीरों का विश्लेषण कर न सिर्फ आंखों की बीमारियों, बल्कि पूरे शरीर से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का समय से पहले पता लगाया जा सकता है. रेटिना यानी आंख का पिछला हिस्सा, शरीर की रक्त वाहिनियों (Vessels) और नसों का साफ प्रतिबिंब दिखाता है. यही वजह है कि इसे शरीर के वैस्कुलर स्टेटस का सटीक गवाह माना जाता है.

Down To Earth में छपी रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च से साबित हुआ है कि रेटिना की छोटी रक्त वाहिनियों का सिकुड़ना लंबे समय में हाई ब्लड प्रेशर का संकेत देता है, जबकि बड़ी नसों का चौड़ा होना टाइप-1 डायबिटीज में किडनी की समस्या से जुड़ा हो सकता है. इसके अलावा आर्टेरियोल-टू-वेन्यूलर डायमीटर रेशियो स्ट्रोक और हार्ट डिजीज का अहम बायोमार्कर है. ऐसे में रेटिना की नियमित जांच डायबिटीज, किडनी रोग, हार्ट की समस्या और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर तक के खतरे को समय रहते पहचानने में मदद करती है.

पिछले दो दशकों में रेटिनल इमेजिंग तकनीक जैसे रेटिनल फंडस फोटोग्राफी, ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी–एंजियोग्राफी (OCT-A) और एडैप्टिव ऑप्टिक्स ने आंखों की सूक्ष्म रक्त वाहिनियों की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें लेना आसान बना दिया है. इन तकनीकों से डायबिटिक रेटिनोपैथी, ग्लूकोमा और उम्र से जुड़ी मैक्युलर डिजेनरेशन जैसी बीमारियों का स्क्रीनिंग किया जाता है. अब एआई सॉफ्टवेयर इन तस्वीरों को पढ़कर नसों और धमनियों की सटीक स्थिति का स्वचालित विश्लेषण कर सकता है.

हाल ही में ओक्युलोमिक्स नामक तकनीक ने रेटिनल माइक्रोवास्कुलर बायोमार्कर्स को समझने में नई उम्मीद जगाई है. एआई अब प्री और पोस्ट-ऑपरेटिव इमेजेस से सीखकर मैक्युलर होल सर्जरी के नतीजों का अनुमान भी लगा रहा है, जिससे सर्जरी की योजना और मरीज को परामर्श देना आसान हो जाता है. भारत जैसे देश में जहां डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, एआई आधारित नॉन-इनवेसिव डायबिटीज स्क्रीनिंग बेहद कारगर हो सकती है. मौजूदा HbA1c टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल की जरूरत होती है, जबकि रिसर्च टीमें एक डीप लर्निंग फ्रेमवर्क तैयार कर रही हैं जो केवल रेटिना की फोटो से ही ब्लड शुगर लेवल (HbA1c) को सटीकता से आंक सके.

authorimg

Vividha Singh

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homelifestyle

AI बस आंखों से ही पता कर लेगा शुगर लेवल, किडनी और डिजीज भी करेगा डिटेक्ट


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-ai-eye-scans-can-detect-diabetes-also-kidney-and-heart-issues-and-other-diseases-ws-kl-9630035.html

Hot this week

Topics

Sharadiya Navratra special importance of Maharatri Nisha Puja

Last Updated:September 22, 2025, 21:39 ISTMaharatri Nisha Puja...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img