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Cough syrup for kids : कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद देशभर में हड़कंप मचा हुआ है. दो साल या इससे कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने और चार साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने में सावधानी बरतने की गाइडलाइन जारी की गई है.
देहरादून. बदलते मौसम में अक्सर बच्चों को फ्लू और खांसी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में उन्हें कफ सिरप दिया जाता है, लेकिन कफ सिरप से राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुई मौतों से अब पेरेंट्स अपने बच्चों की फिक्र कर रहे हैं. कुछ कफ सिरप पर केंद्र सरकार ने रोक लगाते हुए एडवाइजरी जारी की है. उत्तराखंड के ड्रग कंट्रोलर ताजबेर सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से बच्चों के जिन कफ सिरप पर रोक लगाई गई है, उनमें डेक्सट्रोमेथोर्फन, फिनाइलफ्राइन, हाइड्रोक्लोराइड और इनसे तैयार किए गए कॉम्बिनेशन शामिल हैं. दो साल या इससे कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने और चार साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने में सावधानी बरतने की गाइडलाइन भी जारी की गई है. दूसरे राज्यों में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद लोगों में हड़कंप मच गया है. राज्यभर में स्वास्थ्य विभाग की टीमें मेडिकल स्टोर्स और दवा थोक विक्रेताओं के साथ ही अस्पतालों की दवा दुकानों की जांच कर रही हैं.
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के एचओडी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि कुछ कफ सिरप में डेक्सट्रोमेथोर्फन जैसे हानिकारक पदार्थ पाए जाते हैं, जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिए जाने चाहिए. कफ सिरप बनाने के लिए जो तत्व उपयोग किया जाता है वह बच्चों के दिल और किडनी पर असर डालता है. इसलिए इस तरह के सिरप 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिए जाने चाहिए. लेकिन कई बार देखा जाता है कि अभिभावक या तो सही डॉक्टर न मिलने पर इस तरह के सिरप देते हैं या जल्दी ठीक करने के लिए केमिस्ट से ही अपने आप इन्हें खरीदकर पिला देते हैं, जो उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
खराब हो सकते हैं ये अंग
डॉ. अशोक के अनुसार, अगर कफ होता भी है तो घबराने की जरूरत नहीं है. 5 से 7 दिन के अंदर यह अपने आप भी ठीक हो सकता है, बस ध्यान रखें की ठंडी चीजों से बच्चे को बचाकर रखें. कफ ज्यादा होने पर हनीटोस कफ सिरप और बुखार होने पर पेरासिटामोल ही दी जाती है. इसलिए बाल रोग विशेषज्ञ को ही अपने बच्चों को दिखाएं. डॉ. अशोक बताते हैं कि पहले सिरप पीने के बाद उल्टी, पेट दर्द और दस्त जैसी परेशानी होती है. किडनी में क्रिस्टल बनते हैं, जिसके चलते किडनी फेलियर हो जाता है. तीसरी स्थिति में इससे ब्रेन इफेक्ट भी होता है, जो बहुत घातक हो सकता है. दो तरह की खांसी होती है, सूखी खांसी और गीली खांसी. दोनोंं के लिए अलग-अलग दवाएं और ट्रीटमेंट होते हैं, लेकिन अगर बच्चों में खांसी के पीछे सांस के रास्ते में कोई ब्लॉकेज हो, मतलब बच्चे को अस्थमा जैसी दिक्कतें हों तो खांसी दबाने के स्थान पर सांस के उस ब्लॉकेज को खोलने के लिए काम करना चाहिए.

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-which-cough-syrup-is-best-for-for-child-local18-ws-e-9705442.html