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Cough syrup death case: जहरीले कफ सिरप को पीने से हुई 23 बच्चों की मौत के बाद एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, जिसने बच्चों के लिए यह सिरप प्रिस्क्राइब की थी. देशभर के डॉक्टर इस मामले में डॉक्टर की गिरफ्तारी को गलत बता रहे हैं. आइए जानते हैं एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र का क्या कहना है…
Cough syrup case: कफ सिरप का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक जहरीला कफ सिरप पीने से मध्य प्रदेश और राजस्थान में 23 बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें मध्य प्रदेश में 19 बच्चों और राजस्थान में 4 बच्चों की मौत हुई है. मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु और पंजाब ने इस सिरप की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, वहीं इस सिरप को प्रिस्क्राइब करने वाले डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया गया है. हालांकि दवा में मिले जहरीले तत्वों के बाद देशभर के डॉक्टर इस गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं और इसके लिए दवा बनाने वाली कंपनी, ड्रग कंट्रोलर्स और अस्पतालों में इसकी सप्लाई कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
‘अस्पताल में उपलब्ध किसी भी सिरप,टैबलेट, इंजेक्शन और बॉटल्स के क्रय विक्रय में ड्यूटी डॉक्टर्स या नर्स की कोई भूमिका नहीं होती है,न ही उपलब्ध इंजेक्शन,बॉटल्स और दवाइयों की गुणवत्ता पर किसी ड्यूटी डॉक्टर्स या नर्स से कोई अभिमत या फीडबैक नहीं लिया जाता है.’
क्या बोले, एम्स के पूर्व निदेशक
वे कहते हैं कि डॉक्टर की गलती ये है कि उसे 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप प्रिस्क्राइब नहीं करना था क्योंकि 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खांसी के सिरप की जरूरत नहीं होती. 4 से 6 साल के बच्चों को भी ये नहीं दी जा सकती क्योंकि इतने कम उम्र के छोटे बच्चे खांस नहीं सकते. इन्हें स्टीम इन्हेलेशन दिया जा सकता है. एक साल से ऊपर के बच्चों को शहद दे सकते हैं. वहीं एक साल से कम उम्र के बच्चों को नेबुलाइजेशन दे सकते हैं, सेलाइन वॉटर नाक बंद होने पर डाल सकते हैं. हालांकि पब्लिक सेंटीमेंट को रोकने के लिए डॉक्टर की गिरफ्तारी की गई है, लेकिन असली दोषी कोई और है.
खांसी के सिरप में जिस एथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा .1 परसेंट से भी कम होनी चाहिए, वह 48 परसेंट पाया गया है. ये बड़ा सवाल है कि ऐसे खतरनाक सॉल्वेंट खांसी के सिरप में क्यों मिलाए जा रहे हैं? और वह भी इतनी बड़ी मात्रा में. डॉक्टर ने इसे छोटे बच्चे के लिए लिखा, ये भी गलत है, उसे ये पता होना चाहिए. इसके लिए फार्मा कंपनी को पकड़ना चाहिए, ड्रग कंट्रोलर और ड्रग इंस्पेक्टर को पकड़ना चाहिए. उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. बिना डॉक्टरी परामर्श के खांसी की दवा बेचने वाले कैमिस्टों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. दवा से इस तरह बच्चों की जानें जाना बहुत बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला है. इसके अलावा दवा पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि यह दवा छोटे बच्चों के लिए नहीं है.

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें
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