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Dangers of Long Term Constipation Doctor Reveals Major Health Risks | लंबे समय तक कब्ज के नुकसान और इससे होने वाली बीमारियां


Diseases Caused by Chronic Constipation: कब्ज यानी कॉन्स्टिपेशन एक गंभीर समस्या है, लेकिन अधिकतर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. डॉक्टर्स की मानें तो पेट साफ न होने की परेशानी को कब्ज माना जाता है. अगर कब्ज लंबे समय तक रहे हैं, तो इसे क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन कहा जाता है. अगर कब्ज लंबे समय तक बनी रहे, तो शरीर पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है. लगातार कब्ज रहने से पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है और कई गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं. डॉक्टर्स के अनुसार अगर महीनों या सालों तक मल त्याग में कठिनाई बनी रहे, पेट साफ न हो या पेट में भारीपन और गैस लगातार रहे, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. चलिए डॉक्टर से जानते हैं कि लंबे समय तक कब्ज रहने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. अनिल अरोड़ा ने Bharat.one को बताया कि लंबे समय तक कब्ज रहने से बवासीर (Piles) की समस्या हो सकती है. लंबे समय तक जोर लगाकर मल त्याग करने से गुदा क्षेत्र की नसों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे सूजन और दर्द शुरू हो जाता है. कई बार खून भी आने लगता है. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह समस्या गंभीर हो सकती है. पाइल्स भारत में सबसे तेजी से बढ़ती लाइफस्टाइल डिजीज में से एक है और इसका मुख्य कारण लंबे समय तक कब्ज रहना है. लोगों को इससे बचने के लिए कब्ज का ट्रीटमेंट कराना चाहिए.

डॉक्टर की मानें तो क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन से फिशर की समस्या हो सकती है. लगातार कठोर मल निकलने से गुदा की त्वचा फट जाती है और यह स्थिति बेहद दर्दनाक हो सकती है. मल त्याग करते समय जलन और चुभन होती है. कई बार इससे ब्लीडिंग भी होती है. पुरानी कब्ज न केवल फिशर का कारण बनती है, बल्कि इसकी रिकवरी को भी धीमा कर देती है. कई लोग इसे शर्म के कारण बताने से बचते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है. इसके अलावा कब्ज के कारण इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) हो सकता है. कब्ज से आंतों की फंक्शनिंग प्रभावित होती है, जिससे पेट में ऐंठन, गैस, सूजन, कभी कब्ज और कभी दस्त जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं. IBS एक क्रॉनिक कंडीशन है, जिसमें लाइफस्टाइल, डाइट और तनाव पर ध्यान देना पड़ता है.

एक्सपर्ट के अनुसार पुरानी कब्ज से लिवर और शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है. आंतों में मल जमा रहने से टॉक्सिन्स का शरीर से बाहर निकलना धीमा हो जाता है, जिससे मुंह से बदबू, त्वचा पर दाने, सिरदर्द, थकान और कमजोरी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. डॉक्टर कहते हैं कि आंतों में लंबे समय तक मल जमा रहना शरीर को अंदर से जहर के संपर्क में रखता है, जो कई तरह के इंफेक्शन और सूजन बढ़ा सकता है. कुछ गंभीर मामलों में लंबे समय तक कब्ज रहने से रेक्टल प्रोलैप्स या आंत में रुकावट जैसी स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं. रेक्टल प्रोलैप्स में मल त्याग के दौरान आंत का हिस्सा बाहर आने लगता है, जो बेहद गंभीर कंडीशन है और कई बार सर्जरी की नौबत आ सकती है.

डॉक्टर अरोड़ा ने बचाया कि कब्ज से बचने के लिए रोज 8-10 गिलास पानी पिएं, फाइबर से भरपूर डाइट लें और नियमित एक्सरसाइज करें. इसके अलावा देर तक मल रोककर न रखें. ज्यादा तली-भुनी चीजों, फास्ट फूड और कम पानी पीने की आदत कब्ज को बढ़ाती है. सुबह की वॉक, पेट पर हल्की मालिश और नियमित रूटीन भी आंतों को सक्रिय रखने में मदद करती है. सबसे जरूरी बात है कि कब्ज को हल्के में न लें. अगर यह लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें, क्योंकि समय पर इलाज से बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-chronic-constipation-can-cause-which-diseases-gangaram-hospital-doctor-explains-health-risks-ws-n-9871737.html

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