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Diwali Smoke impacting Asthmatics: दिवाली पर पटाखों का धुआं दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देशभर में वायु प्रदूषण 4-5 गुना बढ़ाता है, जिससे 3.5 करोड़ अस्थमा मरीजों के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है. WHO और CSE ने चेताया है.
Diwali Smoke impacting Asthmatics: मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक दिवाली का त्योहार 20 अक्तूबर है. ऐसे में देश के कोने-कोने में जश्न का माहौल है. यह पर्व जितना खुशियों भरा है उतना ही जोखिम भरा भी. क्योंकि, दिवाली का धुआं सांस पीड़ितों (अस्थमा) के लिए जानलेवा भी हो सकता है. सर्दियों की मार और वायु प्रदूषण इस बीमारी के ट्रिगर के प्रमुख कारण हैं. बता दें कि, लंबे समय तक चलने वाली अस्थमा इंसान को अंदर से घायल कर देती है. कई बार स्थिति बिगड़ने पर अस्थमा अटैक का भी कारण बन जाती है. इसलिए दीपावली के दौरान अस्थमा मरीजों को सावधानी रखनी चाहिए, ताकि उनकी खुशियां बरकरार रहें. इसके लिए वे गर्म कपड़े पहनें, धूल और धुएं से बचें, डॉक्टर द्वारा दिए गए दवाओं का नियमित सेवन करें. अब सवाल है कि आखिर पटाखों का धुआं अस्थमा के मरीजों को कैसे प्रभावित करता है? दिवाली पर अस्थमा मरीज कैसे करें अपना बचाव?
दीपावली पर पटाखों, धूपबत्ती और जलते दीयों से निकलने वाला धुआं पॉल्यूशन बनकर वातावरण में छा जाता है. फिर यह हवा में हानिकारक कणों और गैसों को फैलाता है, जोकि अस्थमा रोगियों के लिए घातक साबित हो सकता है. बता दें कि, पटाखों से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण एयर क्वालिटी को खतरनाक लेवल तक पहुंचा सकता है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) के मुताबिक, दिवाली के दौरान वायु प्रदूषण सामान्य से 4-5 गुना तक बढ़ जाता है. इस पर्व पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से 500 तक पहुंच जाता है, जो कि ‘सीरियस’ कैटेगरी में आता है.

पटाखों का धुआं सांस रोगियों के लिए क्यों बन जाता घातक?
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं. पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा में PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें छोड़ता है. फिर ये सभी तत्व हवा के साथ सांस की नलियों में पहुंचते हैं, जोकि सूजन और जलन कारण बनते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं. बता दें कि, अस्थमा रोगियों की सांस की नलियां आम लोगों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं. इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और क्रॉनिक अस्थमा पीड़ितों पर पड़ता है.
अस्थमा मरीजों के लक्षणों में क्या होते बदलाव?
दिवाली पर अस्थमा मरीज कैसे रखें खुद सुरक्षित?
- क्रॉनिक अस्थमेटिक लोगों को दिवाली पर घर के बाहर निकलने से बचें.
- ज्यादा भीड़भाड और प्रदूषण वाले क्षेत्रों में जाने के प्लान को कैंसिल करें.
- अगर किसी काम से बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क पहनकर ही निकलें.
- अस्थमा मरीज अपने फेफड़ों के सुरक्षित रखने के लिए इनहेलर साथ रखें.
- दीपावली के त्योहार से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें.
- डॉक्टर की सलाह से स्थिति के अनुसार दवाओं में बदलाव कर सकते हैं.
- बहुत ज्यादा मिठाइयां, तली-भुनी चीजें और प्रोसेस्ड फूड्स खाने से बचें.

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-diwali-how-firecracker-smoke-affects-asthma-patients-during-festival-know-prevention-tips-ws-kln-9753606.html