LNJP Doctor Naresh Kumar Reveals How to Strong Lungs: लंग्स यानी फेफड़े हमारे लिए जीवन देने वाले अंग है. इसका मुख्य काम बाहर से हवा से ऑक्सीजन को खींचकर खून में भरना है और खून में जमा कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को शरीर से बाहर निकालना है. एक मिनट में ये लंग्स 12 से 20 बार ऑक्सीजन को शरीर में पहुंचाता है और कार्बनडायऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालता है. इसके लिए लंग्स में कई तरह के तंत्र लगे होते हैं. अगर लंग्स थोड़ा भी खराब हो जाए तो इसका सीधा असर सांस लेने पर पड़ता है यानी जिंदगी की सबसे जरूरी चीज प्रभावित होने लगती है. इसलिए लंग्स की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है. पर मुश्किल यह है कि आज हमारे आसपास जिस तरह का वातावरण है और जितनी जहरीली गैसें निकल रही है वह सबसे ज्यादा लंग्स को खराब कर रहे हैं. ऐसे में अपने लंग्स को कैसे सुरक्षित रखा जाए और इसके लिए क्या-क्या उपाय किए जाए ताकि फेफड़े मजबूत रहे. न्यूज 18 ने इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल, नई दिल्ली में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. नरेश कुमार से बात की.
लंग्स को किन-किन चीजों से खराबी
डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि लंग्स को खराब करने के लिए एक चीज जिम्मेदार नहीं बल्कि कई चीजें हैं जिससे हमारे लंग्स में परेशानी होती है. स्मोकिंग तो इसका सबसे बड़ा कारक है ही लेकिन पर्यावरण में मिली जहरीली गैसें भी बहुत ज्यादा जिम्मेदार है. कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डायऑक्साइड, सल्फर डायऑक्साइड, लेड, बैंजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउड, अमोनिया जैसी गैसों का आकार 10 माइक्रोन या 2.5 पार्टिकुलेट मैटर से कम होता है तो ये कंपाउड लंग्स की दीवार में सुरक्षात्मक लेयर को तोड़ देती है और उसमें घुस जाती है. यहीं से लंग्स को नुकसान होना शुरू हो जाता है. ये कंपाउड सिर्फ लंग्स को ही नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि खून में घुस हार्ट, ब्रेन, किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये दूषित चीजें जहरीली हवा से आती है लेकिन घर के अंदर की जहरीली चीजें भी लंग्स को खराब करने के लिए कम जिम्मेदार नहीं है. घर में इस्तेमाल होने वाले कोयला, किरोसिन तेल, गोबर, फसलों से निकले पराली या पुआल, कंस्ट्रक्शन के काम, स्प्रे, कलर आदि से भी पार्टिकुलेट मैटर निकलते हैं जो फेफड़े में पहुंच जाता है.
लंग्स में क्या परेशानी होती है
डॉ. नरेश कुमार कहते हैं कि जब ये प्रदूषक फेफेड़े के अंदर घुसते हैं तो इसकी सुरक्षात्मक दीवार को तोड़ देते हैं. इससे फेफड़े में इरीटेशन पैदा होता है और धीरे-धीरे फेफड़े के टिशूज में इंफ्लामेशन या सूजन होने लगती है. इससे लंग्स में सांस लेने के लिए बनी छोटी-छोटी कोठरी कमजोर होने लगती है और उसमें पर्याप्त ऑक्सीजन भर नहीं पाता जिससे सांस लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है. यानी एक बार सांस लेने में अगर नॉर्मल में लंग्स 100 एमएल ऑक्सीजन को प्राप्त कर पाता है तो खराब होने पर यह 80 एमएल या उससे कम ऑक्सीजन ले पाते हैं. इसका नतीजा यह होगा कि व्यक्ति के फेफड़े में म्यूकस ज्यादा बनने लगेगा जिससे वह खांसी ज्यादा करेगा, बलगम आने लगेगा जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ होगी. छाती में भारीपन होने लगेगा और आप बेचैनी महसूस करने लगेंगे. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलने की नौबत आ सकती है.
अब इन चीजों से बचकर लंग्स को मजबूत कैसे करें
डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि सबसे पहले तो यह समझिए कि ये जहरीली चीजें बाहर से तो मिलती ही है घर के अंदर में भी यह कम नहीं है. इसलिए हमें इंडोर पॉल्यूशन का ध्यान रखें. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है घर में बेंटिलेशन की व्यवस्था हो. घर में खिड़कियों को साफ रखें और इसे हर दिन खोले ताकि घर की जहरीले मैटर घर से बाहर जा सके. घरों में धूल को कभी भी जमने न दीजिए. कहीं भी जालीनुमा चीज डस्ट का लग गया है तो इसे तुरंत साफ करें. घरों में ज्यादा केमिकल का इस्तेमाल न करें. दरी, बेड शीट आदि में धूल जम जाते हैं ये बेहद नुकसानदेह है, इसे हमेशा साफ करते रहे. बाहर अगर पॉल्यूशन ज्यादा है तो जहां तक संभव हो सके, मास्क का प्रयोग करें. रोजाना एक्सरसाइज करें. स्मोकिंग को किसी भी कीमत पर न आजमाएं. यह भी ध्यान रखें कि सिर्फ सिगरेट पीने वालों को ही नुकसान नहीं होता बल्कि वहां आसपास के लोगों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसे पैसिव स्मोकिंग या सेकेंड हैंड स्मोकिंग है. यानी घर में कोई सिगरेट पी रहा है तो उसका नुकसान परिवार को भी झेलना होगा.

लंग्स मजबूती के लिए क्या खाएं

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