Wednesday, September 24, 2025
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Earphones Cause Ear Infection: बारिश में ईयरफोन का शौक बन सकता है खतरा, जानें क्यों बढ़ते हैं कान के इंफेक्शन


Ear Infection From Earphones In Rainy Season: बरसात के मौसम में इंफेक्‍शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में अधिक सतर्क रहने की जरूरत रहती है. आपको बता दें कि जिस ईयर फोन को आप दिनभर कान में लगाए घूमते हैं या गाने सुनते रहते हैं, यह आपकी कानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. मॉनसून के मौसम में तो ये कान में इंफेक्‍शन का सबसे बड़ी वजहों में से एक है. ENT डॉक्‍टर यह सलाह देते हैं कि बरसात के दिनों में न सिर्फ पानी से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं, बल्कि कानों में इंफेक्शन का रिस्क भी कई गुना बढ़ जाता है. खासतौर पर जब लोग बारिश में भीगने या नमी के बीच लगातार ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं.

कैसे होता है कान का इंफेक्शन?
इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के अनुसार, PSRI हॉस्पिटल की सीनियर ENT कंसल्टेंट डॉ. मीनू अग्रवाल डॉ. अग्रवाल बताती हैं कि बारिश में सबसे कॉमन प्रॉब्लम होती है ओटिटिस एक्सटर्ना या ओटोमाइकोसिस, जिसे फंगल इंफेक्शन भी कहते हैं. नमी कान के अंदर फंस जाती है और फिर वहीं बैक्टीरिया और फंगस तेजी से बढ़ते हैं. जिन लोगों को एलर्जी या बार-बार जुकाम की शिकायत रहती है, उन्हें मिडिल ईयर इंफेक्शन का खतरा और भी ज्यादा होता है.

दरअसल, ईयरफोन की वजह से कान के अंदर हवा का फ्लो रुक जाता है और स्किन की नैचुरल क्लीनिंग प्रोसेस बाधित होती है. खासकर इन-ईयर बड्स कान की नमी को ट्रैप कर लेते हैं और इंफेक्शन का माहौल बना देते हैं. वहीं, ओवर-ईयर हेडफोन थोड़ा सेफ माने जाते हैं क्योंकि वे कान को पूरी तरह ब्लॉक नहीं करते.

ईयरफोन की क्वालिटी और सफाई भी अहम
सिर्फ नमी ही नहीं, बल्कि ईयरफोन की क्वालिटी और हाइजीन भी बहुत मायने रखती है. सस्ते और घटिया क्वालिटी वाले ईयरफोन न सिर्फ जल्दी खराब होते हैं बल्कि उनकी प्लास्टिक से जहरीले केमिकल्स निकल सकते हैं. उनके क्रैक्स और दरारों में बैक्टीरिया आसानी से पनप जाते हैं. अगर आप ईयरफोन को समय-समय पर साफ नहीं करते तो यह इंफेक्शन का रिस्क और बढ़ा देता है.

किन लक्षणों को न करें नजरअंदाज?
डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि कान के इंफेक्शन को शुरू में पकड़ना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अगर आपको कान में लगातार खुजली, भारीपन, हल्का दर्द, डिस्चार्ज या सुनने में परेशानी हो रही है तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें. ये इंफेक्शन के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. इलाज न मिलने पर यह सुनने की क्षमता तक को प्रभावित कर सकता है.

क्‍या है इलाज और बचाव
अगर ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलना जरूरी है. कान का फिजिकल एग्जामिनेशन करके डॉक्टर सूजन, लाली, फ्लूइड या ब्लॉकेज चेक करते हैं. ट्रीटमेंट में कान को सूखा रखना, डॉक्टर द्वारा बताए गए एंटीबायोटिक या एंटीफंगल ड्रॉप्स, और जरूरत पड़ने पर दवाएं शामिल होती हैं. राहत के लिए पेन-रिलीफ भी दिया जा सकता है. अच्छी खबर यह है कि अगर समय रहते इलाज शुरू हो जाए तो यह पूरी तरह ठीक हो सकता है.

डॉक्टर की क्‍या है सलाह
डॉ. अग्रवाल की मानें तो बरसात में इन-ईयर बड्स का इस्तेमाल कम से कम करें. कानों को हमेशा ड्राई रखें और ईयरफोन को क्लीन करते रहें. अगर संभव हो तो ईयरबड डीहाइड्रेटर का इस्तेमाल करें. और सबसे अहम – अपने ईयरफोन किसी और के साथ शेयर न करें, क्योंकि इससे बैक्टीरिया और फंगस दूसरे तक पहुंच सकते हैं.

.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)


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