Ground Report: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के सीतापुर स्थित 100 बिस्तरीय शासकीय अस्पताल में जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रहीं है. दरअसल पिछले ढाई माह से एक्स-रे मशीन खराब होने से जांच की सुविधा बंद है, जिससे मरीजों को निजी क्लिनिकों के एक्सरे सेंटरो में मोटी रकम देकर एक्स-रे कराना मजबूरी हो गई है, तो वहीं मरीजों को इस 100 बिस्तरीय शासकीय अस्पताल में सामान्य जांचों के लिए भटकना पड़ रहा है, क्योंकि जांच करने के लिए अस्पताल में पर्याप्त कीट और रिएजेंट्स की उपलब्धता नहीं हैं. इससे पहले इस अस्पताल में 75 से ज्यादा जांचों की सुविधाएं थी, जो अब सिमटकर 22 हो गई है, जिससे मरीजों को निजी क्लिनिकों में जाना मजबूरी बन चुका हैं देखिए ये रिपोर्ट.
सीतापुर के 100 बिस्तरीय शासकीय अस्पताल में पिछले ढाई माह से एक्स-रे मशीन खराब पड़ी है. इसके चलते मरीजों को जांच के लिए निजी एक्स-रे सेंटर्स में मोटी रकम चुकानी पड़ रही है. स्वास्थ्य सुविधा का यह हाल तब है जब यह अस्पताल पूरे इलाके का प्रमुख केंद्र माना जाता है.
75 से घटकर रह गईं 22 जांचें
अस्पताल में पहले करीब 75 तरह की जांचें होती थीं, लेकिन अब यह संख्या घटकर मात्र 22 रह गई है. कारण — जांच किट्स और रिएजेंट्स की भारी कमी. सामान्य रक्त जांच से लेकर अन्य लैब टेस्ट तक के लिए मरीजों को कई किलोमीटर दूर निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है.
सोनोग्राफी, ओटी और ब्लड बैंक की सुविधाएं भी नदारद
स्थानीय मरीजों का कहना है कि 100 बिस्तर की विशाल बिल्डिंग तो बना दी गई है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं जैसे सोनोग्राफी, ऑपरेशन थियेटर (ओटी), ब्लड बैंक और पर्याप्त स्टाफ की भारी कमी है. मरीजों के अनुसार, इन सुविधाओं के अभाव में निजी अस्पतालों का रुख करना उनकी मजबूरी बन गया है.
डॉक्टर और स्टाफ बोले संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं
अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों और स्टाफ ने भी माना कि पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को बेहतर सुविधा देना चुनौती बन गया है. सीमित साधनों में स्वास्थ्य सेवाएं बनाए रखना मुश्किल हो रहा है.
बीएमओ ने मानी कमी, जल्द सुधार का भरोसासीएचसी सीतापुर के बीएमओ डॉ. शिवनारायण पैंकरा ने भी माना कि बरसात के दिनों से एक्स-रे सुविधा बंद है, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है. उन्होंने स्वीकार किया कि रिएजेंट्स और किट्स के अभाव में 75 में से केवल 22 प्रकार की जांचें ही हो पा रही हैं. बीएमओ ने भरोसा दिलाया कि सभी व्यवस्थाओं को जल्द दुरुस्त किया जाएगा ताकि मरीजों को राहत मिल सके.
अब सबकी निगाहें जिम्मेदारों पर
फिलहाल सवाल यही है कि आखिर कब तक इस 100 बिस्तरीय अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी. जिम्मेदारों की उदासीनता कब खत्म होगी और सिस्टम कब पटरी पर लौटेगा — यह आने वाला समय ही बताएगा.
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