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What is Frozen Shoulder: आजकल जिस तरह से लोग मोबाइल फोन और कंप्यूटर स्क्रीन पर चिपके रहते हैं, उसमें फ्रोजन सोल्डर की बीमारी बहुत आम हो गई है. ऐसे में इस बीमारी से जल्दी मुक्ति पाना बहुत जरूरी है वरना कई तरह की परेशानियां सामने आ जाएंगी.
What is Frozen Shoulder: फ्रोजन शोल्डर का मतलब होता है कंधे में हमेशा दर्द. इसमें कंधे में दर्द के साथ-साथ अकड़न भी होती है और गर्दन को मूव करने में बहुत दिक्कत होती है. अगर इसे समय पर सही नहीं किया जाए तो स्थिति गंभीर विकलांगता पैदा कर सकती है. यदि इसका इलाज न किया जाए तो समय के साथ यह और भी खराब हो सकती है. वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से इसके लिए सबसे बड़ा कारण मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर घंटों चिपके रहना है. फ्रोजन शोल्डर को विकसित होने में लगभग 2 से 9 महीने लग सकते हैं. हालांकि दर्द धीरे-धीरे कम हो सकता है पर कठोरता बनी रहती है. इसलिए समय पर इसका इलाज कराना बहुत जरूरी है.
हार्वर्ड मेडिकल के मुताबिक अब तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है कि फ्रोजन शोल्डर क्यों होता है लेकिन इसमें बड़ा संभावित कारण इंफ्लामेशन या कंधे की हड्डियों और मांसपेशियों में सूजन है. कभी-कभी फ्रोजन शोल्डर का कारण कंधे में चोट, सर्जरी या बीमारी हो सकते हैं. वहीं अगर आप एक्सरसाइज नहीं करेंगे या आपका शरीर शिथिल रहेगा तो यह स्थिति आ सकती है. वहीं अगर आपकी गर्दन अक्सर झुकी रहेगी या गर्दन पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा तो यह बीमारी हो सकती है. मोबाइल पर स्क्रीन ज्यादा देखने से गर्दन पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ता है जिससे फ्रोजन सोल्डर की बीमारी हो जाती है. हालांकि इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है.

फ्रोजन सोल्ड का क्या है इलाज
फ्रोजन सोल्डर के इलाज के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर आमतौर पर एंटी इंफ्लामेटरी दवा देते हैं और खास तरह की एक्सरसाइज की सलाह देते हैं. इससे कुछ सप्ताह तक इसे करने के बाद ठीक हो जाता है. आपको नियमित तौर पर इसके लिए एक्सरसाइज करनी पड़ेगी. वहीं आयुर्वेद में भी इसका इलाज किया जाता है. आयुर्वेद में इसे अवबाहुक शूल कहा गया है. आयुर्वेद में अवबाहुक शूल को वात दोष और कफ दोष से जोड़ा गया है. जब शरीर में वात दोष और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो मांसपेशियां और हड्डियों के जोड़ कमजोर होने लगते हैं और उनपर वसा का जमाव होने लगता है. इस स्थिति में जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, कंधे से लेकर गर्दन में खिंचाव और ज्यादा खराब स्थिति में गर्दन का न मोड़ पाना शामिल है. अवबाहुक शूल के होने के कई कारण हैं, जैसे ज्यादा तला-भूना खाना, कम पानी पीना, ज्यादा मेहनत या भार उठाने वाला काम करना, ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना, या ज्यादा समय तक पानी में रहना.
आयुर्वेद में क्या है इलाज
आयुर्वेद में फ्रोजन सोल्डर से निजात पाने के कई तरीके बताए गए हैं. सबसे पहले बात करते हैं तेल और मालिश के जरिए दर्द से राहत पाने की. तिल का तेल, दशमूल तेल या बालाश्वगंधा तेल से खिंचाव होने वाले हिस्से पर मालिश कर सकते हैं. रोजाना सुबह 10 मिनट और शाम को 10 मिनट तक मालिश करें. इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ेगा और दर्द और जकड़न में राहत मिलेगी. इसके अलावा पट्टी स्वेदन कर सकते हैं. इसके लिए गर्म पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाप लगाकर तवे की सहायता से सेक सकते हैं. कुछ औषधियों और घरेलू चीजों का सेवन कर भी राहत पाई जा सकती है, जैसे हल्दी वाला दूध जो मांसपेशियों की जकड़न कम करेगा और दर्द से राहत मिलेगी. इसके अलावा गिलोय का रस भी फायदेमंद होता है. सुबह खाली पेट गिलोय का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और हड्डियां भी मजबूत होंगी. अश्वगंधा और योगराज गुग्गुल का चूर्ण भी ले सकते हैं. रात को सोते समय दोनों चूर्ण को अलग-अलग लिया जा सकता है, ये दर्द और सूजन में आराम देता है. इसके साथ ही गर्म पानी से नहाने से भी आराम मिलेगा. इनपुट-आईएएनएस

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