Fake Medicine Alert: बाजार में नकली दवाएं खूब बिक रही हैं और लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं है. पिछले दिनों आगरा में नकली दवाओं का जखीरा पकड़ा गया था, जहां से देशभर में कई दवाएं भेजी जा रही थीं. इससे पहले दिल्ली में भी नकली दवाओं के रैकेट का पर्दाफाश हुआ था. समय-समय पर नकली दवाओं के मामले सामने आते रहते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में बेची जाने वाली लगभग 10% दवाएं नकली या घटिया क्वालिटी वाली होती हैं. भारत जैसे बड़े देश में यह संख्या और भी ज्यादा है. नकली दवाएं बीमारी से राहत नहीं दिलाती हैं और शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं. ऐसे में हर व्यक्ति के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि असली और नकली दवा में फर्क कैसे पहचाना जाए.
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो नकली दवा वह होती है, जिसमें असली दवा का कोई साल्ट नहीं होता है या बहुत कम मात्रा में होता है. ऐसी दवाओं में कई बार सस्ते और हानिकारक केमिकल्स भी मिला दिए जाते हैं. कई बार नकली दवाओं की पैकेजिंग इतनी असली जैसी होती है कि लोगों के लिए पहचानना मुश्किल हो जाता है. ऐसी दवाएं न तो बीमारी का इलाज करती हैं, बल्कि शरीर में साइड इफेक्ट्स, एलर्जी, लिवर या किडनी डैमेज जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं.
असली-नकली दवाओं की पहचान कैसे करें?
पैकेजिंग और लेबल को ध्यान से देखें : असली दवाओं की पैकेजिंग हमेशा स्पष्ट, साफ-सुथरी और एक समान होती है. जबकि नकली दवाओं का प्रिंट धुंधला, गलत स्पेलिंग, रंग में थोड़ा फर्क, लोगो या ब्रांड नेम का आकार अलग होना और बैच नंबर व एक्सपायरी डेट अस्पष्ट हो सकते हैं. हमेशा असली कंपनी की वेबसाइट या पुराने पैक से तुलना करें. अगर पैकिंग में जरा भी शक लगे, तो दवा न खरीदें.
QR कोड या यूनिक कोड स्कैन करें : अब अधिकांश दवा कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स पर QR कोड या यूनिक आइडेंटिफिकेशन कोड (UID) देती हैं. यह कोड आप अपने मोबाइल से स्कैन करके तुरंत जांच सकते हैं कि दवा असली है या नहीं. भारत सरकार ने भी दवा कंपनियों को हर पैक पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है. स्कैन करने पर कंपनी की वेबसाइट या एप आपको बताएगी कि यह दवा कब और कहां बनी है.
दवा के रंग, स्वाद और आकार में अंतर : अगर आपने वही दवा पहले भी ली है और इस बार उसका रंग, आकार, या स्वाद थोड़ा भी अलग लगे, तो सतर्क हो जाएं. नकली दवा निर्माता अक्सर असली जैसी दिखने की कोशिश करते हैं, लेकिन दवा की बनावट या घुलने की गति में अंतर रह जाता है. इसे जांचने के लिए टैबलेट या कैप्सूल को पानी में डालें. अगर वह असामान्य रूप से जल्दी घुल जाए या रंग छोड़ दे, तो यह नकली होने का संकेत हो सकता है.
रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर या भरोसेमंद वेबसाइट से खरीदें : नकली दवाएं अक्सर छोटे या अनधिकृत दुकानों में बेची जाती हैं. दवा हमेशा रजिस्टर्ड फार्मेसी, अस्पताल या भरोसेमंद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ही खरीदें. दवा खरीदने के बाद बिल या इनवॉइस जरूर लें. ऑनलाइन खरीदते समय वेबसाइट का SSL सिक्योरिटी जरूर जांचें. बहुत सस्ती कीमत देखकर लालच में न आएं.
डॉक्टर या फार्मासिस्ट से कन्फर्म करें : अगर किसी दवा की गुणवत्ता पर आपको संदेह है, तो तुरंत अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट को दिखाएं. वे उसकी पैकिंग, ब्रांड, बैच नंबर और प्रभाव देखकर बता सकते हैं कि दवा असली है या नहीं. आप CDSCO की वेबसाइट पर जाकर भी दवा की सत्यता की जांच कर सकते हैं या शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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