गोवा से दिल्ली आ रही फ्लाइट में कैलिफोर्निया की रहने वाली एक 34 साल की लड़की सवार थी. हवा में 25 हजार फुट की ऊंचाई पर अचानक वह बेहोश होकर सीट पर झुक गई. जब हल्ला हुआ तो उसी फ्लाइट में सफर कर रही कांग्रेस नेता और डॉक्टर डॉ. अंजलि निंबालकर भी वहां पहुंची. फिर लड़की की नब्ज टटोली. लड़की का शरीर ठंडा पड़ चुका था और पल्स रेट का पता ही नहीं चल रहा था. उन्होने तुरंत उसे सीपीआर देना शुरू किया. कुछ मिनट बाद लड़की होश में आ गई और बात करने लगी. इसके बाद डॉ. अंजलि अपनी सीट पर चली गई. लेकिन कुछ ही मिनट के बाद लड़की दोबारा बेहोश हो गई. डॉ. अंजलि ने दोबारा सीपीआर देना शुरू किया और उसे बचाने के लिए जी-जान से जुट गई. पर लड़की होश में नहीं आ रही थी. डॉ. अंजलि को तो एक समय ऐसा लगा कि शायद यह अब न बचें. लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और कुछ देर बाद वह होश में आ गई. दिल्ली पहुंचने के बाद उसे अस्पातल में भर्ती करा दिया गया. उस फ्लाइट में संयोग से एक डॉक्टर मौजूद थीं, जिस कारण जान बच गई पर सवाल यह है कि यदि आम लोगों को हार्ट अटैक आने वाला हो तो क्या उसे पहले से पहचाना जा सकता है. इसी विषय पर हमने आकाश अस्पताल, नई दिल्ली में इंटरनल मेडिसीन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा से बात की.
फ्लाइट में क्या स्थिति होती है
डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा ने बताया कि फ्लाइट में हार्ट अटैक के समय अनहोनी से कैसे बचें जानें इससे पहले यह जानें कि फ्लाइट में इस तरह की नौबत आई क्यों. दरअसल, जब आप आसमान में ऊंचाई पर होते हैं तो आपके हार्ट को पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी होती है. इससे शरीर में जो ऑक्सीजन का लेवल है वह कम हो जाता है. सांस लेने और छोड़ने में पानी शरीर से बाहर निकलता है. इससे शरीर में पानी की मात्रा भी कम हो जाती है. इसके साथ ही खून का वॉल्यूम भी कम हो जाता है जिससे खून पतला होने लगता है. ब्लड सर्कुलेशन कम होने लगता है जिसके कारण पैरों में आपको भारीपन महसूस हो सकता है. ऐसे में जिन लोगों को पहले से हार्ट से संबंधित जटिलताएं हैं उन्हें इसका ज्यादा खतरा हो सकता है. उस लड़की के शरीर के अंदर क्या हुआ था, यह तो विस्तृत जांच से ही पता चलेगा लेकिन इसके कई कारण हो सकते हैं.
हार्ट अटैक की नौबत क्यों आती है
डॉ. प्रभात रंजन ने बताया कि हार्ट अटैक की नौबत आने से पहले शरीर में कुछ न कुछ परेशानियां पहले से रही होंगी. कुछ लोगों में हार्ट से संबंधित जन्मजात परेशानियां होती हैं. इसका लक्षण बहुत सालों तक सामने नहीं आता, इसलिए लोगों को पता नहीं रहता. दूसरा कुछ लोगों को हार्ट की धमनियों से संबंधित जटिलताएं हो सकती है. इसमें धमनियों में विभिन्न कारणों से ब्लॉकेज हो सकता है. इसे मेडिकल भाषा में हाइपरट्रॉपिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है. इसमें अचानक धमनियां ब्लॉक हो जाती है और खून हार्ट तक पहुंचना बंद हो जाता है. इसमें सडेन कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है और मरीज की तत्काल मौत भी हो सकती है. कुछ लोगों को एरिदिमिया की बीमारी हो सकती है. इसमें धड़कनें समान रूप से नहीं चलती. कभी बहुत तेज हो जाती है तो कभी बहुत कम हो जाती है. हार्ट की रफ्तार अचानक बढ़ जाती है. इससे भी हार्ट अटैक हो सकता है.
क्या हार्ट अटैक के लक्षण दिखते हैं
ऐसी विभिन्न परिस्थितियों में लक्षण शुरुआत में पता करना मुश्किल है लेकिन कुछ मामलों में लक्षण दिख सकते हैं. जैसे इस तरह के कंडीशन में सांस फूलना और एंजाइना सबसे कॉमन लक्षण है. एंजाइन तब होता है जब धमनियों में प्लैक जमा होने लगता है और वह खून के बहाव को धीमा करने लगता है. इससे छाती में दर्द, भारीपन महसूस हो सकता है. ऐसा लगेगा कि छाती को कुछ जकड़ रहा है. अगर एंजाइन बढ़ता है तो यह दर्द हाथ, गर्दन, जबड़ा और पीठ में भी दर्द हो सकता है. अगर इन लक्षणों के बाद भी लोग सही से इलाज नहीं कराते तो हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट भी हो सकता है. इसलिए इस तरह की परिस्थितियों में केयरलेस नहीं होना चाहिए.
किन लोगों को फ्लाइट में है ज्यादा खतरा
डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा ने बताया कि जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को हार्ट से संबंधित परेशानी है, उन्हें फ्लाइट या कहीं भी हार्ट अटैक का जोखिम है. साथ ही जिन लोगों को हार्ट से संबंधित जटिलताएं हैं, मतलब जांच में पता चला है कि हाई कोलेस्ट्रॉल है, कोई जन्मजात बीमारी है, ब्लड वैसल्स से संबंधित कोई बीमारी है, उन लोगों को हार्ट अटैक का खतरा है.
फ्लाइट में अगर ऐसी नौबत आ जाए
डॉ. प्रभात रंजन ने बताया कि अगर फ्लाइट में ऐसी नौबत आ जाए तो कुछ पहले इसका आभास जरूर होगा. छाती में कंजेशन होगा, भारीपन होगा, दर्द हो सकता है, हाथ, शोल्डर आदि में भारीपन महसूस हो सकता है. यानी आपको एंजाइन हो सकता है. इस परिस्थिति में आपको सॉर्बिट्रेट (Sorbitrate) टैबलेट को जीभ के नीचे रख लेना चाहिए. अगर अचानक कोई बेहोश हो जाता है तो उस परिस्थिति में तत्काल किसी मेडिकल पर्सन की जरूरत होगी. अगर कोई मेडिकल पर्सन है तो वह सीपीआर या अन्य आवश्यक तात्कालिक कार्रवाई कर उसे होश में ला सकता है. इसके बाद 90 मिनट के अंदर हर हाल में अस्पताल पहुंचना होता है. 90 मिनट तक हार्ट के मसल्स के सेल सुरक्षित रहते हैं. इसके बाद के प्रत्येक मिनट में हार्ट के मसल्स के सेल डेड होना शुरू होता है और मरीज की स्थिति नाजुक होती जाती है. इसलिए तत्काल अस्पताल पहुंचाना जरूरी है.
फ्लाइट में हार्ट अटैक न आए, इसके लिए क्या करें
डॉ. प्रभात रंजन ने बताया कि अगर आपको हार्ट से संबंधित जटिलताओं का पहले से पता है तो रेगुलर दवा लें और डॉक्टर से संपर्क करें. दूसरी ओर आम लोग भी जिन्हें पता नहीं है कि उनके शरीर में पहले से हार्ट संबंधित कोई जटिलताएं हैं वे भी कुछ सामान्य परहेज का पालन करें. जैसे विमान में चढ़ने से पहले और उस दौरान शराब न पिएं. फ्लाइट में चढ़ने से पहले पानी पिएं और विमान में भी पानी पीते रहें. नमक का भी सेवन न करें. इससे खून और पतला हो सकता है. सीट पर मूवमेंट करते रहें जिससे सर्कुलेशन बना रहे. विमान उपर जाने के बाद सलाइन नजल स्प्रे का इस्तेमाल करें. विमान जब रफ्तार पकड़ लें तो सीट से जरूर उठते रहें ताकि शरीर के नीचे तक ब्लड फ्लो होता रहे.
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