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how to weight loss this capsule may aid weight loss | वजन कम करने के लिए ये कैप्सूल खाएं


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Bacteria Capsule Weight Loss: वजन कम करना चाहते हैं तो इसके लिए वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया से कैप्सूल बनाया है. .

मोटापे के खिलाफ स्थायी सुरक्षा कवच, वैज्ञानिकों ने बनाया बैक्टीरिया से कैप्सूलवजन कम करने के लिए कैप्सूल.
Bacteria Capsule Weight Loss: वैज्ञानिकों ने मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए एक बेहद अनोखा उपाय खोजा है. ऐसा उपाय जिसमें न डाइटिंग और न ही हार्ड एक्सरसाइज की जरूरत है. अब तक मोटापे से मुक्ति के लिए कई तरीके अपनाए जा चुके हैं लेकिन अगर आपको कहा जाए कि इसका इलाज कैप्सूल में मिलने वाले बैक्टीरिया से हो सकता है तो कैसा लगेगा? न्यूज़ीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड के लिगिन्स इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया है कि हेल्दी गट बग्स यानीनआंत के अच्छे बैक्टीरिया वाली कैप्सूल मोटापे और उससे संबंधित बीमारियों से लम्बे समय तक बचाव कर सकती है. यह रिसर्च नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुई है और इसके नतीजे मोटापे की बढ़ती समस्या के बीच नयी उम्मीद जगा रहे हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि एक बार गट बग्स की कैप्सूल लेने से ही शरीर में लंबे समय तक सकारात्मक असर देखा गया है. यह न सिर्फ वजन कम करने में मदद करता है बल्कि मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी घातक बीमारियों जैसे कि डायबिटीज, हार्ट डिजीज के जोखिम को भी काफी कम कर देता है. खास बात यह है कि इस तकनीक का असर सालों तक बना रहता है. यानी मोटापे के खिलाफ एक स्थायी सुरक्षा कवच का काम करता है.

कैसे काम करती है यह तकनीक

टीओआई की खबर के मुताबिक यह नया शोध 8 साल पहले शुरू हुए एक क्रांतिकारी अध्ययन का फॉलो-अप है, जिसमें 87 मोटे किशोरों को शामिल किया गया था. इन किशोरों को स्वस्थ दाताओं के आंत के बैक्टीरिया से बनी कैप्सूल दी गई थी जबकि दूसरी तरफ एक ग्रुप को सिर्फ प्लेसिबो (बेअसर दवा) दिया गया. चार साल बाद की फॉलो-अप स्टडी में पाया गया कि जो किशोर ‘गट बग्स’ वाले कैप्सूल ले चुके थे, उनके शरीर में ये अच्छा बैक्टीरिया पनप रहा था और उनकी सेहत व वजन में बाकी ग्रुप के मुकाबले बड़ा फर्क दिखा. आंत के हेल्दी बैक्टीरिया यानी माइक्रोबायोटा शरीर में पाचन, इम्यूनिटी और मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करते हैं. जब मोटापे के शिकार लोगों की आंत का माइक्रोबायोम असंतुलित हो जाता है तो बीमारी और वजन बढ़ना शुरू हो जाता है. गट बग्स थैरेपी यानी फिकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन (FMT) में हेल्दी व्यक्ति का बैक्टीरिया कैप्सूल के रूप में मोटे व्यक्ति को दिया जाता है. इसके बाद कुछ ही हफ्तों में आंत में मास्टर बैक्टीरिया का प्रभाव दिखता है.

मोटे लोगों पर हैरान करने वाला असर

चार साल बाद भी जिन किशोरों ने ‘गट बग्स’ वाले कैप्सूल लिए थे, उनका औसत वजन प्लेसिबो लेने वालों से 11 किलो कम था. हालांकि ये कमी सांख्यिकीय रूप से बेहद महत्वपूर्ण नहीं मानी गई, पर सबसे बड़ा बदलाव मेटाबोलिक सिंड्रोम में दिखा. मेटाबोलिक सिंड्रोम दरअसल पांच बीमारियों का एक समूह है जिसमें हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, पेट की चर्बी, रक्त में ट्राईग्लिसराइड्स की अधिकता और कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल शामिल है. इन स्थितियों के साथ दिल का रोग, स्ट्रोक और डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. शोध के प्रमुख लेखक प्रोफेसर वेन कटफील्ड के मुताबिक, हमारे स्टडी के एक तिहाई से ज्यादा किशोरों में शुरुआत में मेटाबोलिक सिंड्रोम था. अध्ययन में सिर्फ एक बार गट बग्स कैप्सूल लेने से मेटाबोलिक सिंड्रोम में जोरदार कमी आई और यह असर चार साल तक बना रहा.

लंबे समय तक जमे रहे अच्छे बैक्टीरिया

प्रोफेसर जस्टिन ओसुलिवन ने बताया कि हैरान करने वाली बात यह रही कि चार साल बाद भी दिये गये हेल्दी बैक्टीरिया किड्स की गट में बने रहे. इससे स्पष्ट है कि एक ही बार दिया गया माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन भी शरीर के माइक्रोबायोम को स्थायी रूप से बेहतर कर सकता है और मेटाबोलिक बीमारियों की रोकथाम में मदद कर सकता है.

आगे की राह होगी आसान

शोधकर्ताओं की टीम अब यह खोज रही है कि कौन से खास गट बग्स इन जबरदस्त फायदों के लिए जिम्मेदार हैं. इसका लक्ष्य है एक सुपर मिक्स बनाना जिसे नियमित तौर पर दिया जाए तो मेटाबोलिक सिंड्रोम को रोका या कम किया जा सके. प्रो. कटफील्ड के अनुसार यह पूरी तरह संभव है कि भविष्य में लोग न सिर्फ इलाज के लिए बल्कि मेटाबोलिक बीमारियां शुरू होने से पहले ही ऐसी गट बग्स कैप्सूल लेते रहें. मोटापा आज सिर्फ डाइट और लाइफस्टाइल का नहीं, बल्कि गट हेल्थ का भी मसला है. किशोरियों में मोटापा आगे चलकर वयस्क जीवन में भी रहता है और नतीजतन टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, कैंसर, ऑस्टियोआर्थराइटिस, स्लीप एपनिया जैसी बीमारियां जन्म लेती हैं. अभी यह रिसर्च प्रायोगिक स्तर पर है, लेकिन जिस तरह से माइक्रोबायोटा थैरेपी ने मोटे किशोरों में लंबी अवधि का असर दिखाया है, उससे यह क्षेत्र मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों के इलाज में क्रांति ला सकता है.

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LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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