सहारनपुर: भारत में औषधीय पौधों की 7,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनका आयुर्वेद में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि लगभग विलुप्त हो चुका है. हम बात कर रहे हैं श्वेत कंटकारी लक्ष्मणा वृक्ष की, जिसको पुत्र जननी, गुजरात में हनुमान बेल के नाम से भी जाना जाता है. लक्ष्मणा एक बेल की तरह दिखाई देने वाला पौधा है.
जड़ी बूटियों का बाप है यह पौधा
बता दें कि लक्ष्मणा पौधा आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक माना जाता है. इसे आयुर्वेद में लक्ष्मणा बूटी के नाम से जानते हैं. इसका सेवन करके कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. वहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार इस पौधे को लगाने और घर में सही दिशा में रखने से सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है.
बीमारियों में रामबाण है लक्ष्मणा
आयुर्वेदिक डॉ. हर्ष ने Bharat.one से बात करते हुए बताया कि लक्ष्मणा पेड़ का वानस्पतिक नाम है. कई इपोमिया सेपियारिया समेत कई बीमारियों में काम आता है. लक्ष्मणा पेड़ की दो प्रजातियां मिलती हैं. सफेद फूल वाली को श्वेत कंटकारी कहा जाता है और इसको गुजराती में हनुमान बेल के नाम से भी जाना जाता है.
जानें किन बीमारियों में है लाभदायक
वहीं, सबसे ज्यादा इसका प्रयोग वैदिक जगत में इसलिए किया जाता है, क्योंकि यह महिलाओं के गर्भाशय के सभी दोषों को दूर करके उसका शोधन करके संतान उत्पत्ति योग्य बनाता है. इसलिए इसको पुत्र जननी भी कहते हैं. डॉ हर्ष बताते हैं कि लक्ष्मणा पेड़ का उपयोग फोड़े फुंसियों को दूर करने, जहर काटने के लिए, खून साफ करने सहित शरीर में रसायन और बलवर्धक के लिए प्रयोग किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 07:38 IST
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