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LNJP Doctor Naresh Kumar says do not take pain killer drug in dengue fever| एलएनजेपी के डॉक्टर नरेश कुमार डेंगू में कभी न लें पेनकिलर


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Dengue Prevention: राजधानी समेत आस-पास के इलाकों में डेंगू का प्रकोप क्यों बढ़ने लगा है. इसके पीछे क्या कारण है और इससे बचने के लिए क्या करें, आइए इसके बारे में लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में से जानते हैं.

डेंगू में किसी भी कीमत पर दर्द की दवा न लें, वरना कल्पना से परे होगी बीमारीडॉ. नरेश कुमार.
Dengue Prevention : डेंगू को लोग जितना आसान समझते हैं उतना ही यह बीमारी खतरनाक साबित हो जाती है. डेंगू का यही सीजन है और इस समय दिल्ली में डेंगू ने तांडव मचाया हुआ है.दिल्ली में अब तक डेंगू मरीजों की संख्या 619 पहुंच गई है. दिल्ली ही नहीं पूरे देश में डेंगू के कई मामले सामने आ रहे हैं. डेंगू में बुखार आता है. बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द भी होता है. बुखार के लिए लोग पैरासिटामोल खा लेते हैं लेकिन जब बदन में दर्द होने लगता है तो आमतौर पर लोग पेनकिलर दवा भी खा लेते हैं. लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल, नई दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी मेडिसीन के प्रमुख डॉ. नरेश कुमार कहते हैं कि यह सबसे बड़ी गलती है. उन्होंने कहा कि अगर डेंगू में मरीज को पेनकिलर दवाइयां दे दी जाती है तो यह बहुत बड़ी गलती है. इससे बीमारी और ज्यादा गंभीर स्थिति में चली जाती है और अगर तत्काल इलाज नहीं हुआ तो मरीज पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है. इसलिए डेंगू में सिर्फ क्रोसिन या पैरासिटामोल लें बाकी कोई पेनकिलर दवा न लें.

क्यों पेनकिलर देना है खतरनाक

डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि जब किसी को डेंगू होता है तो उसके खून में प्लेटलेट्स की कमी होने लगती है. प्लेटलेट्स खून में चिपचिपा जालीदार पदार्थ है. जब कहीं चोट लगती है यह खून की नलियां फट जाती है या कट जाती है प्लेटलेट्स तत्काल वहां जालीनुमा संरचना बनाने लगता है जिससे खून का बहना रुक जाता है. ऐसे में प्लेटलेट्स की कमी कितना खतरनाक हो सकता है, इसकी सहज ही कल्पना कर सकते हैं. मुश्किल ये है कि डेंगू में यही प्लेटलेट्स कम होने लगता है और जब कोई पेनकिलर दवा या नॉन-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लामेटरी दवा खा लेता है तो यह प्लेटलेट्स और कम होने लगता है. एनएसएआईडी खून में एक एंजाइम साइक्लोऑक्सीजेनेज को ब्लॉक कर देता है. साइक्लोऑक्सीजेनेज थ्रोबॉक्सिन A2 को बनने से रोक देता है. लेकिन यही थ्रोबॉक्सिन A2 प्लेटलेट्स को जालीनुमा संरचना बनाने में मदद करता है. जब थ्रोबॉक्सिन A2 नहीं बनेगा तो प्लेटलेट्स का फंक्शन बेकाम को हो जाएगा और इसके साथ इसकी संख्या में तेजी से गिरावट आएगी.

फिर डेंगू मरीजों को क्या करना चाहिए

डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि सबसे पहले लक्षणों के आधार पर यह समझने की कोशिश करें कि डेंगू है या नहीं. आमतौर पर मलेरिया और यह कुछ अन्य तरह के बुखारों में भी यही लक्षण दिखते हैं. शुरू में चार-पांच दिन बुखार आता है और फिर उतर जाता है तो लोग समझते हैं कि मामूली फ्लू था लेकिन इसके बाद फिर से बुखार आ जाता है और इस बार प्लेटलेट्स कम होना शुरू हो जाता है. इसलिए डेंगू के लक्षणों पर बारीक से ध्यान दें. जब डेंगू का मच्छर काटता है उसके 4 से 10 दिनों के बाद ही शरीर में लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं. गलती से लोग इसे फ्लू भी समझ लेते हैं. लेकिन डेंगू में आंखें लाल हो जाती है, चकते हो जाती है बॉडी में निशान पड़ जाते हैं. अगर बुखार 100 से उपर पहुंच जाए तो कभी इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर बुखार के साथ मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दर्द, हड्डियों और ज्वाइंट में दर्द, उल्टी, मतली, आंखों के नीचे दर्द, गले में सूजन और स्किन में लाल रैशेज दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

डंगू के गंभीर संकेत

उपर के लक्षणों के साथ जब पेट में तेज दर्द होने लगे, लगातार उल्टी हो, कहीं से भी ब्लीडिंग होने लगे, सांस लेने में तकलीफ हो, बहुत ज्यादा कमजोरी-थकान हो, बेचैनी हो तो यह डेंगू के गंभीर संकेत हैं. इस स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है. यह भी ध्यान रखें कि अगर बुखार के साथ प्लेटलेट्स कम हो रहा है तो यह डेंगू नहीं है. यह मलेरिया या कुछ और बुखार है. डेंगू में जब बुखार उतर जाता है तब प्लेटलेट्स कम होता है.

डेंगू को मामूली न समझें

डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि यह बात ध्यान रखें कि डेंगू मामूली बुखार नहीं है. इसमें जान भी जा सकती है. इसलिए कभी भी इसमें लापरवाही नहीं बरतें. डेंगू की स्थिति में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. पानी पर्याप्त पीना चाहिए. घर के आसपास मच्छरों को पनपने से रोकने की कोशिश करना चाहिए.रात में मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए. साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए.

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LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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डेंगू में किसी भी कीमत पर दर्द की दवा न लें, वरना कल्पना से परे होगी बीमारी


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