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Migraine Causes And Management: महिलाओं को माहवारी के समय, किशोरावस्था, गर्भावस्था के बाद या मेनोपॉज के आसपास माइग्रेन ज्यादा होता है. इसका कारण एक सेक्स हार्मोन है, जिसका लेवल अचानक से गिरने पर माइग्रेन ट्रिगर होता है.
माइग्रेन एक तरह का तेज सिरदर्द है, जिसमें सिर के साथ-साथ मतली, रोशनी से परेशानी और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है. यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है. डॉ. अतुल प्रसाद
वाइस चेयरमेन एवं एचओडी, न्यूरोलॉजी बीएलके, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अनुसार, इसका एक बड़ा कारण महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोन बदलाव हैं.
खासकर एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन माइग्रेन को प्रभावित करता है. जब यह हार्मोन ऊपर-नीचे होता है, तो माइग्रेन के दौरे आ सकते हैं. इसलिए कई महिलाओं को माहवारी के समय, किशोरावस्था, गर्भावस्था के बाद या मेनोपॉज के आसपास माइग्रेन ज्यादा होता है. अच्छी बात यह है कि सही जानकारी, सही इलाज और स्वस्थ आदतों से माइग्रेन को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
महिलाओं में माइग्रेन ज्यादा क्यों?
माइग्रेन महिलाओं में पुरुषों से लगभग तीन गुना ज्यादा होता है.महिला हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) दिमाग में दर्द महसूस करने वाले हिस्सों को प्रभावित करते हैं. हार्मोन में तेज बदलाव होने पर माइग्रेन आसानी से शुरू हो सकता है.
एस्ट्रोजन की भूमिका
माहवारी से पहले एस्ट्रोजन अचानक कम होता है, जिससे माइग्रेन हो सकता है. किशोरावस्था, गर्भावस्था के बाद और मेनोपॉज के समय हार्मोन बदलते हैं, इसलिए माइग्रेन बढ़ सकता है.गर्भावस्था के आखिरी महीनों में, जब एस्ट्रोजन स्थिर रहता है, कई महिलाओं को माइग्रेन कम होता है. इसके अलावा, महिलाओं में माइग्रेन के दौरे लंबे हो सकते हैं. मतली, रोशनी और आवाज से परेशानी ज्यादा हो सकती है.कुछ गर्भनिरोधक गोलियां भी ट्रिगर बन सकती हैं.
इलाज और देखभाल
पैरासिटामोल दर्द कम करने वाली दवाएं और डॉक्टर द्वारा दी गई माइग्रेन-खास दवाएं. रोकथाम के लिए अगर माइग्रेन बार-बार हो, तो डॉक्टर रोज़ की दवाएं या नई थेरेपी सुझा सकते हैं.बिना दवा के तरीके आराम, सांस लेने की एक्सरसाइज, रिलैक्सेशन और कुछ खास मशीनें मदद कर सकती हैं.
रोजमर्रा की अच्छी आदतें
समय पर सोना, हल्की एक्सरसाइज, सही खाना और पानी पीना.तनाव कम रखना.हेडेक डायरी बनाना ताकि पता चले कि माइग्रेन किस वजह से होता है. लड़कियों और महिलाओं को माहवारी, गर्भावस्था और मेनोपॉज़ के बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करनी चाहिए.सही देखभाल से माइग्रेन को समझना और संभालना आसान हो सकता है.
About the Author

शारदा सिंह बतौर सीनियर सब एडिटर Bharat.one Hindi से जुड़ी हैं. वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्यू पर आधारित रिपोर्ट्स बनाने में एक्सपर्ट हैं. शारदा पिछले 5 सालों से मीडिया …और पढ़ें
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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